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आखिरी सांस तक पूर्व CM जगन्नाथ मिश्रा को था मलाल- 'भाई के दोषियों को नहीं ढूंढ़ पाई CBI'

जगन्नाथ मिश्रा ने आरोप लगाया था कि यदि सही समय पर उनके भाई को अस्पताल ले जाया जाता तो उनकी जान बच सकती थी. भाई के दोषियों को सीबीआई की ओर से पता नहीं लगा पाने का उनको अंत तक मलाल था.

जगन्नाथ मिश्रा
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Published : Aug 20, 2019, 1:25 PM IST

पटना: बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत जगन्नाथ मिश्र अपने कई फैसलों से हमेशा से चर्चा में रहे. मुख्यमंत्री काल में उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिए जाने के कारण जगन्नाथ मिश्रा को मोहम्मद जगन्नाथ मिश्रा तक कहा जाने लगा. लेकिन आखिरी सांस तक उनके जेहन में ये दर्द रहा कि उनके भाई ललित नारायण मिश्रा के गुनहगारों को सजा नहीं मिल पाई.

ईटीवी भारत पर पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा का दर्द भरा संदेश

ललित नारायण मिश्रा, जगन्नाथ मिश्रा के बड़े भाई थे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. उनकी लोकप्रियता जिस तरह से बढ़ रही थी, उनका कद इंदिरा गांधी के बाद माने जाने लगा था. लेकिन समस्तीपुर में एक जनसभा में बम विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गई. इसे लेकर भी मिश्रा पर कई तरह के सवाल खड़े हुए. हालांकि उस घटना स्थल पर वो भी मौजूद थे और घायल हो गए थे.

'भाई के गुनहगारों को ढूंढ़ नहीं पाई CBI'
जगन्नाथ मिश्रा ने आरोप लगाया कि यदि सही समय पर उनके भाई को अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी. मरने से पहले जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि दोषियों को अंत तक सीबीआई खोज नहीं पाई. न्यायालय ने भी फैसला सुनाने में 4 दशक से अधिक समय लगा दिया. जिसका उन्हें मलाल था.

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जगन्नाथ मिश्र पर लगे थे कई आरोप

जगन्नाथ मिश्र पर लगे थे कई आरोप
जगन्नाथ मिश्र पर कई आरोप भी लगे. उनके शासन काल में उनपर गांधी मैदान को बेचने का भी आरोप लगा. हालांकि इस पर जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. ऐसी कोई बात नहीं थी. उनके भाई ललित नारायण मिश्रा की मौत को लेकर भी जगन्नाथ पर सवाल खड़े होते रहे.

उनके खिलाफ किया गया था दुष्प्रचार
अपने मुख्यमंत्री काल में उन्होंने कई बड़े फैसले लिए. खासकर अल्पसंख्यकों के लिए उर्दू को राज्य भाषा का दर्जा दिए जाने के कारण वो विशेष चर्चा में रहे. हालांकि उनपर गांधी मैदान और पटना जंक्शन को बेचने की कोशिश करने का भी आरोप लगा. इन सबके लिये मिश्रा ने कर्पूरी ठाकुर को जिम्मेवार ठहराया और कहा कि उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे व्यक्तिगत भावना से किया गया दुष्प्रचार बताया था.

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चारा घोटाला में भी दोषी थे जगन्नाथ

चारा घोटाला में भी दोषी थे जगन्नाथ
चारा घोटाला में भी जगन्नाथ मिश्रा सजायाफ्ता थे. हालांकि उनका बार-बार यह कहना था केवल एक चिट्ठी के आधार पर जो कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्होंने लिखा था, उसी के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया था जो सही नहीं था. बाद में स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण कोर्ट ने उन्हें बेल दे दिया था.

वो अर्थशास्त्र के बड़े जानकार थे
बता दें कि जगन्नाथ मिश्रा बिहार के बड़े राजनेता तो थे ही. इसके अलावा वो अर्थशास्त्र के बड़े जानकार थे. उन्होंने बिहार को लेकर कई किताबें लिखीं. हाल में भी उनकी एक किताब प्रकाशित हुई थी. बिहार में मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना जगन्नाथ मिश्रा ने ही की थी.

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पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने दिल्ली में ली अंतिम सांस

दिल्ली में ली अंतिम सांस
जगन्नाथ मिश्रा अपना मानवाधिकार संगठन भी चलाते थे. लेकिन पिछले कई सालों से वो बीमार रहने लगे थे. सोमवार को उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली. बता दें कि पिछले साल उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया था. उनके छोटे बेटे नीतीश मिश्रा बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. फिलहाल वो बीजेपी में सक्रिय हैं.

पटना: बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत जगन्नाथ मिश्र अपने कई फैसलों से हमेशा से चर्चा में रहे. मुख्यमंत्री काल में उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिए जाने के कारण जगन्नाथ मिश्रा को मोहम्मद जगन्नाथ मिश्रा तक कहा जाने लगा. लेकिन आखिरी सांस तक उनके जेहन में ये दर्द रहा कि उनके भाई ललित नारायण मिश्रा के गुनहगारों को सजा नहीं मिल पाई.

ईटीवी भारत पर पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा का दर्द भरा संदेश

ललित नारायण मिश्रा, जगन्नाथ मिश्रा के बड़े भाई थे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. उनकी लोकप्रियता जिस तरह से बढ़ रही थी, उनका कद इंदिरा गांधी के बाद माने जाने लगा था. लेकिन समस्तीपुर में एक जनसभा में बम विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गई. इसे लेकर भी मिश्रा पर कई तरह के सवाल खड़े हुए. हालांकि उस घटना स्थल पर वो भी मौजूद थे और घायल हो गए थे.

'भाई के गुनहगारों को ढूंढ़ नहीं पाई CBI'
जगन्नाथ मिश्रा ने आरोप लगाया कि यदि सही समय पर उनके भाई को अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी. मरने से पहले जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि दोषियों को अंत तक सीबीआई खोज नहीं पाई. न्यायालय ने भी फैसला सुनाने में 4 दशक से अधिक समय लगा दिया. जिसका उन्हें मलाल था.

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जगन्नाथ मिश्र पर लगे थे कई आरोप

जगन्नाथ मिश्र पर लगे थे कई आरोप
जगन्नाथ मिश्र पर कई आरोप भी लगे. उनके शासन काल में उनपर गांधी मैदान को बेचने का भी आरोप लगा. हालांकि इस पर जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. ऐसी कोई बात नहीं थी. उनके भाई ललित नारायण मिश्रा की मौत को लेकर भी जगन्नाथ पर सवाल खड़े होते रहे.

उनके खिलाफ किया गया था दुष्प्रचार
अपने मुख्यमंत्री काल में उन्होंने कई बड़े फैसले लिए. खासकर अल्पसंख्यकों के लिए उर्दू को राज्य भाषा का दर्जा दिए जाने के कारण वो विशेष चर्चा में रहे. हालांकि उनपर गांधी मैदान और पटना जंक्शन को बेचने की कोशिश करने का भी आरोप लगा. इन सबके लिये मिश्रा ने कर्पूरी ठाकुर को जिम्मेवार ठहराया और कहा कि उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे व्यक्तिगत भावना से किया गया दुष्प्रचार बताया था.

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चारा घोटाला में भी दोषी थे जगन्नाथ

चारा घोटाला में भी दोषी थे जगन्नाथ
चारा घोटाला में भी जगन्नाथ मिश्रा सजायाफ्ता थे. हालांकि उनका बार-बार यह कहना था केवल एक चिट्ठी के आधार पर जो कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्होंने लिखा था, उसी के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया था जो सही नहीं था. बाद में स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण कोर्ट ने उन्हें बेल दे दिया था.

वो अर्थशास्त्र के बड़े जानकार थे
बता दें कि जगन्नाथ मिश्रा बिहार के बड़े राजनेता तो थे ही. इसके अलावा वो अर्थशास्त्र के बड़े जानकार थे. उन्होंने बिहार को लेकर कई किताबें लिखीं. हाल में भी उनकी एक किताब प्रकाशित हुई थी. बिहार में मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना जगन्नाथ मिश्रा ने ही की थी.

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पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने दिल्ली में ली अंतिम सांस

दिल्ली में ली अंतिम सांस
जगन्नाथ मिश्रा अपना मानवाधिकार संगठन भी चलाते थे. लेकिन पिछले कई सालों से वो बीमार रहने लगे थे. सोमवार को उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली. बता दें कि पिछले साल उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया था. उनके छोटे बेटे नीतीश मिश्रा बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. फिलहाल वो बीजेपी में सक्रिय हैं.

Intro:पटना-- बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा अपने कई फैसलों और कई तरह के आरोपों से चर्चा में हमेशा बनी रहे। अपने मुख्यमंत्री काल में उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिए जाने के कारण जगन्नाथ मिश्रा को मोहम्मद जगन्नाथ मिश्रा तक कहा जाने लगा। वहीं गांधी मैदान बेचने का भी आरोप लगा हालांकि इस पर कई बार जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि दुष्प्रचार उनके खिलाफ किया गया ऐसी कोई बात नहीं थी । ललित नारायण मिश्रा की मौत को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि दोषियों को अंत तक सीबीआई खोज नहीं पाई और न्यायालय ने भी फैसला सुनाने में 4 दशक से अधिक समय लगा दिया।
पेश है खास है रिपोर्ट---


Body: जगन्नाथ मिश्रा बिहार के बड़े राजनेता तो थे अर्थशास्त्र के बड़े जानकार थे उन्होंने बिहार को लेकर कई किताबें लिखी हाल में भी उनकी एक किताब प्रकाशित हुई थी। मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की भी बिहार में पहली बार स्थापना जगन्नाथ मिश्रा ने ही किया था। जगन्नाथ मिश्रा विधान पार्षद और फिर उसके बाद लगातार कई बार विधानसभा चुनाव जीते मंत्री भी रहे और फिर मुख्यमंत्री बने एक बार नहीं तीन तीन बार । केंद्र में भी मंत्री रहे एक समय कांग्रेस में उनका सिक्का चलता था अपने मुख्यमंत्री काल में उन्होंने कई बड़े फैसले भी लिए खासकर अल्पसंख्यकों के लिए उर्दू को राज्य भाषा का दर्जा दिए जाने के कारण विशेष चर्चा में रहे । बड़े पैमाने पर उर्दू टंकण की भी बहाली की । अल्पसंख्यकों के ऊपर मेहरबान रहने के कारण उन्हें मोहम्मद जगन्नाथ मिश्रा तक कहा जाने लगा था लेकिन उन पर गांधी मैदान बेचने की कोशिश का भी आरोप लगा और पटना जंक्शन भी हालांकि इसके लिए कर्पूरी ठाकुर को उन्होंने जिम्मेवार बताया और कहा कि उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया इसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यक्तिगत भावना से क्या गया दुष्प्रचार बताया था । ललित नारायण मिश्रा जगन्नाथ मिश्रा के बड़े भाई थे और देश के कांग्रेस के बड़े लीडर थे उनकी लोकप्रियता जिस तरह से बढ़ रही थी उनका कद इंदिरा गांधी के बाद माने जाने लगा था लेकिन समस्तीपुर में एक जनसभा में बम विस्फोट में उनकी हत्या करा दी गई और इसको लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हुए हालांकि उस घटना स्थल पर जगन्नाथ मिश्रा भी मौजूद थे और घायल हो गए थे। यह भी आरोप लगाया कि यदि सही समय पर इलाज के लिए ललित नारायण मिश्रा को अस्पताल ले जाया गया रहता तो उन्हें बचाया जा सकता था उनकी हत्या में शामिल दोषियों को भी सीबीआई खोज नहीं पाई। यह आरोप जगन्नाथ मिश्रा ने लगाया था और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा किया था जब इसको लेकर फैसला आया तब भी उन्होंने अपनी बात कुछ इस तरह से रखी थी।
बाईट--जगन्नाथ मिश्रा, दिवंगत पूर्व सीएम


Conclusion:चारा घोटाला में भी जगन्नाथ मिश्रा सजायाफ्ता थे हालांकि उनका बार-बार यह कहना था केवल एक चिट्ठी के कारण जो नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्होंने लिखा था उसी के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया था जो सही नहीं था स्वास्थ्य कारणों से कोर्ट ने उन्हें बेल दे रखा था।
जगन्नाथ मिश्रा अपना मानवाधिकार संगठन भी चलाते थे और हाल तक सक्रिय थे लेकिन पिछले कई सालों से बीमार ही रहने लगे थे और इलाज के लिए उन्हें बार-बार दिल्ली और अन्य स्थानों पर जाना पड़ता था कैंसर जैसी बीमारी से भी जूझ रहे थे दिल्ली में अपने बड़े बेटे के पास अधिक रहने लगे थे उनकी पत्नी का देहांत पिछले साल ही हुआ था और बिहार में उनका छोटा बेटा नीतीश मिश्रा एक बार बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और फिलहाल बीजेपी में सक्रिय हैं।
अविनाश, पटना।
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