पटना: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. हर दल के नेता अपने-अपने हिसाब से वोट मांगने की कोशिश में जुटे हैं. इस दौर में बिहार के चौक-चौराहों पर पुराने नेताओं की भी बातें होने लगी है, लेकिन आरजेडी के पोस्टर से लालू यादव ही गायब है. इस मामले पर विपक्ष की ओर से कई सवाल भी खड़े किए गए हैं.
चुनावी मैदान में उतरने को तैयार राजद के पोस्टरों में अब सिर्फ और सिर्फ तेजस्वी यादव ही नजर आ रहे हैं. चाहे पार्टी कार्यालय हो या अन्य जगह, तेजस्वी यादव की आदमकद तस्वीरें हर जगह दिख रही हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या तेजस्वी अकेले लालू की कमी पूरी कर पाएंगे? क्या चुनाव मैदान में अकेले तेजस्वी विरोधियों से लोहा ले पाएंगे?
![पोस्टर से लालू गायब](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-pat-lalu-ke-bina-rjd-pkg-7200694_21092020184330_2109f_02787_269.jpg)
राष्ट्रीय जनता दल के सामने बड़ी चुनौती
वर्ष 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में बिल्कुल अलग होने जा रहा है. बिहार की सियासत में पिछले तीन दशक की बात करें तो यह पहला मौका होगा जब लालू यादव चुनाव प्रचार में नजर नहीं आएंगे. ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल के सामने इस बार बड़ी चुनौती है. क्योंकि उनके पास एकमात्र चेहरा तेजस्वी यादव का है और इसी चेहरे को पार्टी अपनी भविष्य की योजनाओं के तहत तमाम जगहों पर प्रमोट कर रही है.
![मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-pat-lalu-ke-bina-rjd-pkg-7200694_21092020184337_2109f_02787_662.jpg)
क्या कहते हैं मृत्युंजय तिवारी
पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा भी तेजस्वी यादव ही हैं. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि तेजस्वी हमारे सेनापति हैं. लालू यादव भले ही उपस्थित नहीं हैं, लेकिन लालू बिहार के लोगों के दिल में बसते हैं. दरअसल पार्टी के प्रदेश कार्यालय में एक तरफ युवा तेजस्वी की तस्वीर लगी है. दूसरी तरफ लालू यादव या राबड़ी देवी की एक भी तस्वीर पार्टी के दफ्तर के सामने नजर नहीं आ रही है. हालांकि लालू और राबड़ी की तस्वीर कार्यालय के अंदर नए हॉल में लगाई गई है.
तेजस्वी के हाथ में चुनाव की पूरी जिम्मेदारी
वर्ष 2015 चुनाव हो या फिर बस 2010 का चुनाव हर चुनाव में लालू यादव प्रमुखता से मौजूद रहे हैं और पार्टी की पूरी कमान उन्होंने ही संभाली थी. 2015 के बाद पिछले कुछ सालों से लालू यादव चारा घोटाला मामले में जेल में सजा काट रहे हैं. फिलहाल चुनाव तक उनके जमानत पर रिहा होने की संभावना काफी कम नजर आ रही है. जाहिर है कि पार्टी की पूरी जिम्मेदारी और महागठबंधन का पूरा दारोमदार भी तेजस्वी के हाथ में ही होगा.