लोकसभा चुनाव इसबार कई मायनों खास होने वाला है. जहां एक तरफ इस चुनाव में विपक्ष एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ खड़ाहै. तो वही पिछले दिन दशकों से स्टार प्रचारक रहे लालू प्रसाद यादव इस चुनावी प्रचार में नही दिखेंगे.
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स्टार प्रचारकों की बात हो वहां लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बगैर चर्चा अधूरी रह जाती है, क्योंकि लालू अपनी भाषा शैली से लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए जाने जाते है. लेकिन तीन दशक के चुनाव में ऐसा पहली बार होगा लालू प्रसाद यादव चुनावी सभाओं में भाषण देते नहीं दिखेंगे. जिसको लेकर पार्टी नेता उदास हैं.
लालू यादव के चुनावी प्रचार के तरीके को सहयोगी अच्छीतरह से समझते है, तभी तो कहते कम्पैन में वह काफी प्रभावी होते है इसलिए उनके मुकाबले राज्य क्या देश मे भी गिने चुने ही लोग हैं.
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वहीं राजद के वरिष्ठ नेता एमएस फातमी ने कहा किइस चुनाव में लालू यादव की अनुपस्थिति बहुत खलेगी. क्योंकि चुनाव प्रचार ही नहीं लोग उनको ऐसे भी देखना चाहते हैं. इसलिए सभी लोग सदमे में है जब से जेल गए है. वही उन्होंने इसके बहाने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा इसका खमियाजा केंद्र और पटना में बैठे लोगों को भुगतना होगा.
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भले ही राजद और उनके सहयोगी लालू यादव के चुनाव प्रचार में नहीं रहने की वजह से दुखी हैं. लेकिन जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंहने इसे सिरे से नकारते हुए कहा है किमैं यह नहीं मानता कि आवाज से लालू यादव राजनीति में जीवित थे. लालू यादव थे इसलिए इसका कोई फर्क नही पड़ने वाला है.