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तीन दशक में पहली बार चुनावी प्रचार में नही दिखेंगे लालू

स्टार प्रचारकों की बात हो वहां लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बगैर चर्चा अधूरी रह जाती है, क्योंकि लालू अपनी भाषा शैली से लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए जाने जाते है.

लालू यादव, फाइल फोटो
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Published : Mar 28, 2019, 6:14 PM IST

लोकसभा चुनाव इसबार कई मायनों खास होने वाला है. जहां एक तरफ इस चुनाव में विपक्ष एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ खड़ाहै. तो वही पिछले दिन दशकों से स्टार प्रचारक रहे लालू प्रसाद यादव इस चुनावी प्रचार में नही दिखेंगे.

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स्टार प्रचारकों की बात हो वहां लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बगैर चर्चा अधूरी रह जाती है, क्योंकि लालू अपनी भाषा शैली से लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए जाने जाते है. लेकिन तीन दशक के चुनाव में ऐसा पहली बार होगा लालू प्रसाद यादव चुनावी सभाओं में भाषण देते नहीं दिखेंगे. जिसको लेकर पार्टी नेता उदास हैं.

अखिलेश प्रसाद सिंह, कांग्रेस नेता

लालू यादव के चुनावी प्रचार के तरीके को सहयोगी अच्छीतरह से समझते है, तभी तो कहते कम्पैन में वह काफी प्रभावी होते है इसलिए उनके मुकाबले राज्य क्या देश मे भी गिने चुने ही लोग हैं.

रोचक खबरें:राहुल गांधी से मुलाकात के बाद बोले बिहारी बाबू- नवरात्र के शुभ मुहूर्त में हो जाऊंगा कांग्रेसी

वहीं राजद के वरिष्ठ नेता एमएस फातमी ने कहा किइस चुनाव में लालू यादव की अनुपस्थिति बहुत खलेगी. क्योंकि चुनाव प्रचार ही नहीं लोग उनको ऐसे भी देखना चाहते हैं. इसलिए सभी लोग सदमे में है जब से जेल गए है. वही उन्होंने इसके बहाने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा इसका खमियाजा केंद्र और पटना में बैठे लोगों को भुगतना होगा.

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भले ही राजद और उनके सहयोगी लालू यादव के चुनाव प्रचार में नहीं रहने की वजह से दुखी हैं. लेकिन जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंहने इसे सिरे से नकारते हुए कहा है किमैं यह नहीं मानता कि आवाज से लालू यादव राजनीति में जीवित थे. लालू यादव थे इसलिए इसका कोई फर्क नही पड़ने वाला है.

लोकसभा चुनाव इसबार कई मायनों खास होने वाला है. जहां एक तरफ इस चुनाव में विपक्ष एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ खड़ाहै. तो वही पिछले दिन दशकों से स्टार प्रचारक रहे लालू प्रसाद यादव इस चुनावी प्रचार में नही दिखेंगे.

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स्टार प्रचारकों की बात हो वहां लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बगैर चर्चा अधूरी रह जाती है, क्योंकि लालू अपनी भाषा शैली से लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए जाने जाते है. लेकिन तीन दशक के चुनाव में ऐसा पहली बार होगा लालू प्रसाद यादव चुनावी सभाओं में भाषण देते नहीं दिखेंगे. जिसको लेकर पार्टी नेता उदास हैं.

अखिलेश प्रसाद सिंह, कांग्रेस नेता

लालू यादव के चुनावी प्रचार के तरीके को सहयोगी अच्छीतरह से समझते है, तभी तो कहते कम्पैन में वह काफी प्रभावी होते है इसलिए उनके मुकाबले राज्य क्या देश मे भी गिने चुने ही लोग हैं.

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वहीं राजद के वरिष्ठ नेता एमएस फातमी ने कहा किइस चुनाव में लालू यादव की अनुपस्थिति बहुत खलेगी. क्योंकि चुनाव प्रचार ही नहीं लोग उनको ऐसे भी देखना चाहते हैं. इसलिए सभी लोग सदमे में है जब से जेल गए है. वही उन्होंने इसके बहाने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा इसका खमियाजा केंद्र और पटना में बैठे लोगों को भुगतना होगा.

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भले ही राजद और उनके सहयोगी लालू यादव के चुनाव प्रचार में नहीं रहने की वजह से दुखी हैं. लेकिन जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंहने इसे सिरे से नकारते हुए कहा है किमैं यह नहीं मानता कि आवाज से लालू यादव राजनीति में जीवित थे. लालू यादव थे इसलिए इसका कोई फर्क नही पड़ने वाला है.

Intro:लोकसभा चुनाव इसबार कई मायनों खास होने वाला है...इस चुनाव में विपक्ष एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ खड़ी है..तो वही पिछले दिन दशकों से स्टार प्रचारक रहे लालू प्रसाद यादव इस चुनावी प्रचार में नही दिखेंगे...


Body:कहते स्टार प्रचारकों की बात हो..वहां लालू प्रसाद यादव की चर्चा ना हो अधूरी रह जाती है...क्योंकि लालू अपने भाषाओं लोगो को अपने साथ जोड़ना बखूबी जाते है...लेकिन तीन दशक के चुनाव में ऐसा पहली बार होगा लालू प्रसाद यादव चुनावी सभाओं में भाषण देते नही दिखेंगे।जिसको लेकर पार्टी नेता उदास है।

लालू यादव के चुनावी प्रचार के तरीके को सहयोगी अच्छे तरह से समझते है...तभी तो कहते कम्पैन में वह काफी प्रभावी होते है इसलिए उनके मुकाबले राज्य क्या देश मे भी गिने चुने ही लोग है।


वही राजद के वरिष्ठ नेता एमएस फातमी कहते है इस चुनाव में लालू यादव अनुपस्थिति बहुत खलेगी...क्योंकि चुनाव प्रचार ही नही लोगो उनको ऐसे भी देखना चाहते है।इसलिए सभी लोग सदमे में है जब से जेल गए है...वही उन्होंने इसके बहाने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा इसका खमियाजा केंद्र और पटना में बैठे लोगों को भुगतना होगा।

भले ही राजद और उनके सहयोगी लालू यादव के चुनाव प्रचार में नही रहने की वजह से दुखी है...लेकिन विपक्ष इसे सिरे से नकारते हुए कहा मैं यह नही मानता कि आवाज से लालू यादव राजनीत में जीवित थे...लालू यादव थे इसलिए इसका कोई फर्क नही पड़ने वाला है।





Conclusion:आपको बताते चले कि लालू प्रसाद यादव के जेल में रहने राजद भले ही कमजोर पड़ी है...लेकिन पार्टी इस बात से राहत की सांस ले रही की तेजस्वी यादव के सभाओं लोग जुट रहे है।
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