पटना: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच (PMCH) में एडमिट ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की जान पर संकट बन आई है. इससे पीछे की वजह से यह है कि अस्पताल में ब्लैक फंगस के दवा की कमी हो गई है.
ऐसे तो मर जाएंगे मरीज?
1 सप्ताह से इंजेक्शन एंफोटरइसिन बी और फंगल दवा पोसाकोनाजोल का स्टॉक खत्म हो गया है. ऐसे में मरीजों को एंटीबैक्टीरियल दवा दी जा रही है. जिन मरीजों की स्थिति गंभीर है उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मरीजों को जबरन अस्पताल खाली करने को कहा जा रहा है.
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ब्लैक फंगस से जूझ रही है महिला
पीएमसीएच के ब्लैक फंगस वार्ड में एडमिट हाजीपुर के राजेश कुमार की मां ब्लैक फंगस की बीमारी से जूझ रही हैं. 12 जून को पीएमसीएच पहुंचने के बाद उन्हें 15 जून को ब्लैक फंगस वार्ड में एडमिट किया गया. इसके बाद से मात्र 2 दिन एंफोटरइसिन बी का इंजेक्शन पड़ा है. एक दिन फंगल दवा चला और बाद में यहां ब्लैक फंगस के इलाज की दवा खत्म हो गई है. जिसके बाद एंटीबैक्टीरियल दवा चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उनकी माताजी को सर्जरी की जरूरत है और अस्पताल में इंडोस्कोपिक सर्जरी की व्यवस्था नहीं है.
जबरन खाली कराया जा रहा अस्पताल
वहीं, डॉक्टर कहते हैं कि सर्जरी की सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है ऐसे में वह पटना एम्स या आईजीआईएमएस अपने पेशेंट को लेकर जाएं. उन्होंने बताया कि उन्हें जबरन अस्पताल खाली कराने को कहा जा रहा है और बताया जा रहा है कि यहां उनका उचित इलाज संभव नहीं है. राजेश कुमार ने अपनी मां को आईजीआईएमएस या एम्स में भर्ती करने की कोशिश की लेकिन वहां से कह दिया गया है कि बेड खाली नहीं है.
नहीं मिल रही है दवा
कटिहार के रहने वाले एक दूसरे मरीज के परिजन रोहित कुमार कहते हैं कि 1 सप्ताह से रात में जो ब्लैक फंगस का वायल पड़ता था. वह अब उनकी मां को नहीं मिल रहा है. बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस का दवा अस्पताल में खत्म हो चुकी है. उन्होंने बताया कि एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल दवाई अभी उनकी मां को अस्पताल में दी जा रही है.
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दवा के आभाव में 2 मरीजों की गई जान
अस्पताल में इलाज के अभाव में और दवा की कमी की वजह से ब्लैक फंगस के 2 मरीजों की जान गुरुवार को चली गई. पीएमसीएच में ब्लैक फंगस का इलाज शुरू हुए 1 महीने से अधिक समय बीत गया है. लेकिन, अस्पताल को सर्जरी के लिए इंडोस्कोपिक मशीन उपलब्ध नहीं कराई गई है. कुछ मरीजों की ओपन सर्जरी जरूर की गई मगर बीते 1 सप्ताह से अधिक समय से सर्जरी बंद है. अब तक मात्र 22 मरीजों की हीं सर्जरी हो पाई है. ब्लैक फंगस मरीज की आखिरी सर्जरी 15 जून को हुई थी.
ब्लैक फंगस का बढ़ रहा खतरा
दरअसल, प्रदेश में तेजी से ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ा रहा है. आए दिन किसी न किसी जिले से नए मरीजों की पुष्टि हो रही है. राज्य में ब्लैक फंगस के 650 से अधिक मामले सामने आए हैं और 90 से अधिक मरीजों की जान जा चुकी है. कोरोना की तुलना में ब्लैक फंगस का संक्रमण अधिक जानलेवा साबित हो रहा है. कोरोना से जहां 1 फीसदी से भी कम मरीज की जान जा रही थी. वहीं, ब्लैक फंगस से 13.9% मरीजों की मौत हो रही है.
चार स्टेज होता है ब्लैक फंगस का इलाज
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरुरत होती है.
- पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
- दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
- तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
- चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज
इम्यूनिटी लेवल कम होने पर बढ़ता है खतरा
पटना के न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार ने कहते हैं कि "फंगस सभी जगह है. यहां तक कि हमारे शरीर में और हमारे वातावरण में फंगस भरे पड़े हैं. ब्लैक फंगस एक तरह का अपॉर्चुनिस्टिक इंफेक्शन है. शरीर का इम्यूनिटी लेवल कम होने पर इसका खतरा काफी बढ़ जाता है. कोरोना महामारी के दौरान लोग आंख बंद कर बिना शुगर नियंत्रित किए स्टेरॉयड यूज करने लगे. इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों का शुगर लेवल बढ़ गया. इसकी वजह से कोमोरबिडिटी कंडीशन (किसी व्यक्ति को एक ही समय में एक से अधिक बीमारियां होना) ज्यादा बढ़ गए. ऐसे में फंगल इन्फेक्शन बढ़ने शुरू हो गए."
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Black Fungus..कैसे बनाता है शिकार
हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.