पटना (मसौढ़ी): बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. चुनाव का बिगुल बजते ही एक तरफ वर्तमान प्रतिनिधि, तो दूसरी ओर अपना भाग्य आजमाने वाले संभावित प्रत्याशी गांव की जनता को एक बार फिर से लुभाने में लग गये हैं. वहीं, गांव की जनता नेताओं से बीते पांच साल का हिसाब मांग रही है.
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ऐसे में गांवों में कितना विकास हुआ, यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी पटना से करीब 45 किलोमीटर दूर मसौढ़ी (Masaurhi) के धनरूआ प्रखंड के मानिकबिगहा गांव पहुंची. जहां ग्रामीणों को कई बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, ऐसे में मतदाताओं ने चुनाव में नेताओं को वोट की चोट के जरिए समझाने की बात कही है.
बता दें कि धनरूआ प्रखंड के मानिकबिगहा गांव में कई बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. पिछले 5 साल में किए गए मुखिया के कार्यों का लेखा-जोखा करते हुए सभी मतदाता इस बार आक्रोश में हैं. लोगों का कहना है कि वोट मांगने आए नेताओं को सबक सिखाएंगे और वोट की चोट से उन नेताओं को विकास के नाम पर धोखा करने वालों को सबक सिखाएंगे.
मानिकबिगहा गांव के लोगों ने खुले तौर पर कहा कि यहां गली-नाली का घोर अभाव है. कच्ची गलियों से गुजरना पड़ता है. बरसात के दिन में राह बेहद मुश्किल हो जाती है. आने-जाने में लोग कई बार गिर पड़ते हैं. हालांकि, सात निश्चय के तहत नल जल का काम हुआ है.
धनरूआ प्रखंड के मानिकबिगहा गांव में इस बार मतदाता आक्रोश में हैं. मुखिया द्वारा किए गए कार्यों को लेकर नाखुश हैं. लोगों ने आरोप लगाया है कि विकास के नाम पर वोट मांग कर नेताओं ने धोखा दिया है. इस बार वोट की चोट से वैसे नेताओं को सबक सिखाएंगे.
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