पटना: अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा के ठाकुरों पर पढ़े गए कविता पर विरोध जताया है और मनोज झा से माफी मांगने की मांग की है. इस बाबत अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रभारी जय सिंह राठौड़ ने शुक्रवार को पटना में प्रेस वार्ता की और कहा कि देश के किसी भी आंदोलन की बात करें और उसमें से यदि क्षत्रिय की योगदान को हटा दिया जाए तो कुछ भी नहीं बचेगा.
'क्षत्रिय समाज से एक मंच पर आने की अपील': क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रभारी जय सिंह राठौड़ ने कहा कि क्षत्रिय समाज शुरू से सबके हक की लड़ाई लड़ता रहा है और हक दिलवाया है. ऐसे में ठाकुरों पर इस प्रकार की टीका टिप्पणी क्षत्रियों को काफी आहत करती है. जय सिंह राठौड़ ने इस मौके पर मनोज झा के अंदाज में ही एक कविता सुनाई और कहा कि आज क्षत्रिय समाज को अपने वजूद के लिए एकजुट होकर एक मंच पर आने की आवश्यकता है.
"पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज को आरक्षण राजपूत समाज के ही बड़े नेता वीपी सिंह ने दिया है. लालू यादव अगर मुख्यमंत्री बने तो चंद्रशेखर सिंह और वीपी सिंह की देन है. कर्पूरी ठाकुर को राजनीति में लाने वाला भी एक राजपूत ही रहा है. मनोज झा आज समाज में विद्वेष फैलाने का काम कर रहे हैं. मनोज झा अगर माफी नहीं मांगते हैं तो उनकी संसद सदस्यता रद्द की जाए."-जय सिंह राठौड़,राष्ट्रीय प्रभारी,अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा
मनोज झा को जय सिंह राठौड़ ने कविता से ही करारा जवाब दिया है..
देश सबका, धर्म सबका, सिर कटा ठाकुर का..
सेना ठाकुर की, राज ठाकुर का, युद्ध में बलिदान ठाकुर का, तुम्हारा क्या…
जौहर ठकुराइन की, सर कटा तो धर लड़ा ठाकुर का, तुम्हारा क्या...
देश की हर रियासत दान की ठाकुर ने तो भारत देश बना,
अपने लिए कुछ नहीं रखा, वह दिल था ठाकुर का…
'मारना है तो अपने अंदर के रावण को मारिए': जय सिंह राठौड़ ने कहा कि मनोज झा अपने अंदर के ठाकुर को मारने को कह रहे हैं तो यह समाजवाद के नाम पर एक छद्म है. अपने मन में जो ठाकुर होते हैं वह राम होते हैं वह कृष्ण होते हैं. मन का ठाकुर सबके अधिकार की बात करता है. मारना है तो अपने मन के भीतर के रावण को मारिए जो दूसरों के अधिकारों को छीनने का काम करता है.
पूरा मामला: महिला आरक्षण बिल पेश होने के दौरान आरजेडी एमपी मनोज झा ने राज्यसभा में ठाकुर का कुआं कविता पढ़ी थी. उन्होंने कहा था कि ठाकुर कोई जाति विशेष नहीं बल्कि सामंती व्यवस्था का प्रतीक है और ऐसी व्यवस्था को मारने की आवश्यकता है. मनोज झा के इसी बयान को लेकर बिहार की राजनीति गरमाई हुई है. एक तरफ आरजेडी मनोज झा के समर्थन में है तो वहीं जेडीयू भी सोच समझकर कुछ भी कहने की नसीहत दे रही है. इधर बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने में लगी हुई है.
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