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Kosi Mechi Project : मंजूरी के बावजूद अधर में कोसी मेची नदी जोड़ योजना, बिहार सरकार और केंद्र में राशि को लेकर 'रार'

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Published : Aug 17, 2023, 8:54 PM IST

बिहार की बहुप्रतीक्षित कोसी मेची परियोजना स्वीकृत तो हो गई है, लेकिन राशि के बंटवारे को लेकर अधर में अटक गई है. बिहार सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करवाने पर अड़ी हुई है. ऐसे में इस नदी जोड़ परियोजना हाल के दिनों में पूरी होती नजर नहीं आ रही है. पढ़ें पूरी खबर-

कोसी मेची नदी जोड़ योजना
कोसी मेची नदी जोड़ योजना

पटना : देश की दूसरी सबसे बड़ी नदी जोड़ योजना कोसी मेची पर ग्रहण समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. 2019 में ही केंद्र सरकार ने इस योजना की स्वीकृति दे दी थी, जिसमें 60% राशि केंद्र सरकार देती और 40% राज्य सरकार को खर्च करना पड़ता. इस परियोजना का डीपीआर भी बनकर तैयार है, लेकिन राज्य सरकार 90:10 के अनुपात में राशि की मांग कर रही है. इसके कारण यह योजना फाइलों से जमीन पर नहीं उतर पा रही है.

ये भी पढ़ें- कोसी मेची परियोजना राशि के कारण नहीं शुरू हो रहा निर्माण : जल संसाधन मंत्री

केंद्र और राज्य के बीच अधर में कोसी मेची परियोजना : जल संसाधन मंत्री संजय झा का साफ कहना है कि केंद्र सरकार को ही फैसला लेना है. विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है की योजना के लेट होने से इसके बजट का आकर बढ़ रहा है. साथ ही इससे मिलने वाले लाभ से भी किसान वंचित हो रहे हैं. बिहार में बाढ़ का नुकसान अलग से हो रहा है. क्योंकि कोसी नदी से बिहार में हर साल तबाही मचती है. इस साल भी कोसी से बड़े हिस्से के लोग परेशान हैं.

क्या अटक गई है कोसी मेची लिंक योजना ? : कोसी ने जलस्राव में भी पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है. बिहार सरकार का तर्क रहा है कि जब तक नेपाल में डैम नहीं बनेगा, कोसी के बाढ़ से बचाव संभव नहीं है. लेकिन केंद्र सरकार ने देश के दूसरे सबसे बड़े नदी जोड़ योजना के तहत कोसी मेची नदी जोड़ योजना की स्वीकृति 2019 में दी थी. बाद में कैबिनेट ने 4900 करोड़ इसके लिए स्वीकृत भी कर दी. 60% केंद्र सरकार को इस योजना पर खर्च करना था और 40% राज्य सरकार को लगाना होता. इसका डीपीआर भी बनकर तैयार है लेकिन बिहार सरकार अब केंद्र सरकार से 90:10 के रेशियो में खर्च की अपनी मांग पर अड़ी है.

ईटीवी भारत GFX
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''फैसला केंद्र सरकार को करना है. बिहार में हम लोगों ने कई नदी जोड़ योजना पर काम शुरू कर दिया है. बेलवा घाट पर काम एडवांस स्टेज में चल रहा है. हम लोगों की मांग है कि जिस प्रकार से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार ने 90:10 के रेशियो में राशि दी है, उसी तरह बिहार को भी राशि दे.''- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग


2 लाख हेक्टेयर से ज्यादा सिंचाई संभव : कोसी मेची नदी जोड़ी योजना अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार में बड़ी आबादी को बाढ़ से राहत दिलाएगा. साथ ही 2 लाख 14813 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी. कोसी मेची योजना के माध्यम से कोसी बेसिन के अतिरिक्त पानी को महानंदा बेसिन में लाया जाएगा. इसके लिए 120 किलोमीटर में कैनाल का निर्माण होगा. यह कैनाल नेपाल के तराई क्षेत्र से गुजरेगा. इस योजना के तहत कंकई, रावता, बकरा जैसी छोटी नदियों को भी जोड़ने की तैयारी है.


बिहार सरकार का क्या है तर्क? : बिहार सरकार का एक तरफ यह तर्क रहा है कि जब तक नेपाल में डैम नहीं बन जाता है, कोसी की तबाही से बचना संभव नहीं है. लेकिन कोसी मेची नदी जोड़ योजना के माध्यम से भी बड़े हिस्से को बाढ़ से बचाना संभव है. साथ ही इससे सिंचाई की सुविधा लाखों किसानों को मिलेगी. लेकिन उसके बावजूद इस योजना को लेकर न तो बिहार सरकार गंभीर दिख रही है और ना ही केंद्र सरकार केंद्र सरकार केन बेतवा की तरह इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल नहीं की है.

''बड़ी परियोजनाओं के लेट होने से उसका कास्ट काफी बढ़ता है. नदी जोड़ी योजना के लेट होने से भी इसका कॉस्ट बढ़ रहा है. इसके अलावा यदि योजना पूरी हो जाती तो लाखों किसानों को इसका फायदा सिंचाई के रूप में होता. बाढ़ से से लोगों की सुरक्षा भी होती.''- विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

बिहार सरकार की मांग : कोसी मेची को भी राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किये जाने की मांग बिहार सरकार ने की है. ताकि केन बेतवा की तरह ही 90:10 की रेशियों में केंद्र सरकार राशि उपलब्ध करा सके. केंद्र सरकार इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं है और बिहार सरकार अपनी जिद छोड़ नहीं रही है. एक तरफ बिहार सरकार उन योजनाओं पर हजारों करोड़ खर्च कर रही है, जिसका महत्व नदी जोड़ योजना से कहीं से भी अधिक नहीं है. उदाहरण के लिए पटना और बिहार म्यूजियम को अंडरग्राउंड कैनाल के माध्यम से 550 करोड़ में जोड़ने की तैयारी. इसी तरह की कई परियोजनाएं हैं, जिस पर सरकार हजारों करोड़ खर्च कर रही है. लेकिन कोसी मेची को लेकर फैसला नहीं कर पा रही है.


राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने की शर्त? : किसी भी नदी जोड़ योजना से यदि 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचित होता है, तो उसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने का प्रावधान है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना से भी 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचित होगा. इसलिए बिहार सरकार की मांग रही है कि इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया जाए. लोकसभा में भी सवाल उठ चुका है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कई तरह के प्रावधानों को पूरा नहीं करने के कारण इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल नहीं किए जाने की बात कही गई.

केंद्र पर बिहार की अनदेखी का आरोप : कुल मिलाकर देखें तो बिहार सरकार ने केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप इस भी लगा रही है. लेकिन इस परियोजना के जमीन पर उतरने से यह जरूर है कि सीमांचल और कोसी के बड़े इलाके की तकदीर बदल सकती है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना को लेकर पटना हाई कोर्ट के तरफ से भी केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था, जल्द से जल्द फंडिंग को लेकर फैसला कर लिया जाए, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.

बड़ी परियोजनाओं में कोसी मेची का भी नाम : यह योजना कब शुरू होगी बिहार सरकार के मंत्री एक तरह से बताने में अपना हाथ खड़े कर दे रहे हैं. बिहार में पहले से ही केंद्र की कई परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं. बड़ी परियोजनाओं में एयरपोर्ट से लेकर एम्स तक शामिल है और उसमें अब नदी जोड़ परियोजना भी शामिल हो गई है.

पटना : देश की दूसरी सबसे बड़ी नदी जोड़ योजना कोसी मेची पर ग्रहण समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. 2019 में ही केंद्र सरकार ने इस योजना की स्वीकृति दे दी थी, जिसमें 60% राशि केंद्र सरकार देती और 40% राज्य सरकार को खर्च करना पड़ता. इस परियोजना का डीपीआर भी बनकर तैयार है, लेकिन राज्य सरकार 90:10 के अनुपात में राशि की मांग कर रही है. इसके कारण यह योजना फाइलों से जमीन पर नहीं उतर पा रही है.

ये भी पढ़ें- कोसी मेची परियोजना राशि के कारण नहीं शुरू हो रहा निर्माण : जल संसाधन मंत्री

केंद्र और राज्य के बीच अधर में कोसी मेची परियोजना : जल संसाधन मंत्री संजय झा का साफ कहना है कि केंद्र सरकार को ही फैसला लेना है. विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है की योजना के लेट होने से इसके बजट का आकर बढ़ रहा है. साथ ही इससे मिलने वाले लाभ से भी किसान वंचित हो रहे हैं. बिहार में बाढ़ का नुकसान अलग से हो रहा है. क्योंकि कोसी नदी से बिहार में हर साल तबाही मचती है. इस साल भी कोसी से बड़े हिस्से के लोग परेशान हैं.

क्या अटक गई है कोसी मेची लिंक योजना ? : कोसी ने जलस्राव में भी पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है. बिहार सरकार का तर्क रहा है कि जब तक नेपाल में डैम नहीं बनेगा, कोसी के बाढ़ से बचाव संभव नहीं है. लेकिन केंद्र सरकार ने देश के दूसरे सबसे बड़े नदी जोड़ योजना के तहत कोसी मेची नदी जोड़ योजना की स्वीकृति 2019 में दी थी. बाद में कैबिनेट ने 4900 करोड़ इसके लिए स्वीकृत भी कर दी. 60% केंद्र सरकार को इस योजना पर खर्च करना था और 40% राज्य सरकार को लगाना होता. इसका डीपीआर भी बनकर तैयार है लेकिन बिहार सरकार अब केंद्र सरकार से 90:10 के रेशियो में खर्च की अपनी मांग पर अड़ी है.

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''फैसला केंद्र सरकार को करना है. बिहार में हम लोगों ने कई नदी जोड़ योजना पर काम शुरू कर दिया है. बेलवा घाट पर काम एडवांस स्टेज में चल रहा है. हम लोगों की मांग है कि जिस प्रकार से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार ने 90:10 के रेशियो में राशि दी है, उसी तरह बिहार को भी राशि दे.''- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग


2 लाख हेक्टेयर से ज्यादा सिंचाई संभव : कोसी मेची नदी जोड़ी योजना अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार में बड़ी आबादी को बाढ़ से राहत दिलाएगा. साथ ही 2 लाख 14813 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी. कोसी मेची योजना के माध्यम से कोसी बेसिन के अतिरिक्त पानी को महानंदा बेसिन में लाया जाएगा. इसके लिए 120 किलोमीटर में कैनाल का निर्माण होगा. यह कैनाल नेपाल के तराई क्षेत्र से गुजरेगा. इस योजना के तहत कंकई, रावता, बकरा जैसी छोटी नदियों को भी जोड़ने की तैयारी है.


बिहार सरकार का क्या है तर्क? : बिहार सरकार का एक तरफ यह तर्क रहा है कि जब तक नेपाल में डैम नहीं बन जाता है, कोसी की तबाही से बचना संभव नहीं है. लेकिन कोसी मेची नदी जोड़ योजना के माध्यम से भी बड़े हिस्से को बाढ़ से बचाना संभव है. साथ ही इससे सिंचाई की सुविधा लाखों किसानों को मिलेगी. लेकिन उसके बावजूद इस योजना को लेकर न तो बिहार सरकार गंभीर दिख रही है और ना ही केंद्र सरकार केंद्र सरकार केन बेतवा की तरह इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल नहीं की है.

''बड़ी परियोजनाओं के लेट होने से उसका कास्ट काफी बढ़ता है. नदी जोड़ी योजना के लेट होने से भी इसका कॉस्ट बढ़ रहा है. इसके अलावा यदि योजना पूरी हो जाती तो लाखों किसानों को इसका फायदा सिंचाई के रूप में होता. बाढ़ से से लोगों की सुरक्षा भी होती.''- विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

बिहार सरकार की मांग : कोसी मेची को भी राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किये जाने की मांग बिहार सरकार ने की है. ताकि केन बेतवा की तरह ही 90:10 की रेशियों में केंद्र सरकार राशि उपलब्ध करा सके. केंद्र सरकार इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं है और बिहार सरकार अपनी जिद छोड़ नहीं रही है. एक तरफ बिहार सरकार उन योजनाओं पर हजारों करोड़ खर्च कर रही है, जिसका महत्व नदी जोड़ योजना से कहीं से भी अधिक नहीं है. उदाहरण के लिए पटना और बिहार म्यूजियम को अंडरग्राउंड कैनाल के माध्यम से 550 करोड़ में जोड़ने की तैयारी. इसी तरह की कई परियोजनाएं हैं, जिस पर सरकार हजारों करोड़ खर्च कर रही है. लेकिन कोसी मेची को लेकर फैसला नहीं कर पा रही है.


राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने की शर्त? : किसी भी नदी जोड़ योजना से यदि 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचित होता है, तो उसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने का प्रावधान है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना से भी 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचित होगा. इसलिए बिहार सरकार की मांग रही है कि इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया जाए. लोकसभा में भी सवाल उठ चुका है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कई तरह के प्रावधानों को पूरा नहीं करने के कारण इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल नहीं किए जाने की बात कही गई.

केंद्र पर बिहार की अनदेखी का आरोप : कुल मिलाकर देखें तो बिहार सरकार ने केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप इस भी लगा रही है. लेकिन इस परियोजना के जमीन पर उतरने से यह जरूर है कि सीमांचल और कोसी के बड़े इलाके की तकदीर बदल सकती है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना को लेकर पटना हाई कोर्ट के तरफ से भी केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था, जल्द से जल्द फंडिंग को लेकर फैसला कर लिया जाए, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.

बड़ी परियोजनाओं में कोसी मेची का भी नाम : यह योजना कब शुरू होगी बिहार सरकार के मंत्री एक तरह से बताने में अपना हाथ खड़े कर दे रहे हैं. बिहार में पहले से ही केंद्र की कई परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं. बड़ी परियोजनाओं में एयरपोर्ट से लेकर एम्स तक शामिल है और उसमें अब नदी जोड़ परियोजना भी शामिल हो गई है.

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