पटना: विश्व रक्तदान दिवस (world blood donation day) 14 जून को मनाया जाता है. नोबेल पुरस्कार विजेता (Nobel Prize Winner) कार्ल लैंडस्टेनर जो एक साइंटिस्ट हैं, उन्हें ए, बी, ओ ब्लड ग्रुप सिस्टम खोजने का श्रेया हासिल है. उन्हीं के जन्म दिवस के मौके पर 14 जून को साल 2004 से हर वर्ष विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है.
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महादान है रक्तदान
ब्लड डोनेट (Blood Donate) करते समय डोनर के शरीर से केवल एक यूनिट ही ब्लड लिया जाता है और एक नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट ब्लड उपलब्ध होता है. ओ नेगेटिव ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर (Universal Doner) कहा जाता है.
क्योंकि किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को यह ब्लड दिया जा सकता है. भारत में लगभग 7% लोगों का ही ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव पाया जाता है. रक्तदान को महादान माना जाता है.
ब्लड बैंकों में खून की काफी किल्लत
कोरोना काल (Corona Pandemic) में रक्तदान में आई कमी की वजह से ब्लड बैंकों में खून की काफी किल्लत हो गई है. ऐसे में ब्लड बैंक चलाने वाले लोग लगातार ब्लड डोनेट करने की अपील भी कर रहे हैं. क्योंकि थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को ब्लड उपलब्ध ना हो पाने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
रेड क्रॉस ब्लड बैंक का बुरा हाल
पटना के गांधी मैदान के पास स्थित रेड क्रॉस ब्लड बैंक में भी अभी के समय खून की भारी कमी हो गई है. ऐसे में इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी बिहार के चेयरमैन डॉ. विनय बहादुर सिन्हा ने लोगों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में स्वस्थ लोग ब्लड बैंक पहुंचे और रक्त दान करें.
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क्यों जरूरी है रक्तदान करना
पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर हॉस्पिटल में हीमोफीलिया का केंद्र है. यहां हीमोफीलिया के काफी मरीज आते हैं. न्यू गार्डिनर हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को खून की काफी जरूरत पड़ती है. हीमोफीलिया के केस में ब्लड का क्लॉटिंग होने लगता है.
"ब्लड की क्लॉटिंग निकालने के लिए ब्लड चढ़ाया जाता है. जबकि थैलेसीमिया के केस में अलग मामला है. मरीज के बोन मैरो से ब्लड बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है. ऐसे में नियमित अंतराल पर मरीज को ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है. 18 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र के स्वस्थ लोग 3 महीने की नियमित अंतराल पर आराम से ब्लड डोनेट कर सकते हैं. इससे कोई परेशानी नहीं होती. लोगों में रक्तदान को लेकर गलत एक भ्रांति है कि रक्तदान करने से बहुत कमजोरी आ जाती है. जो सरासर गलत है"- डॉ. मनोज कुमार, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर हॉस्पिटल
खून का बनना है एक नियमित प्रोसेस
डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि शरीर में खून का बनना है एक नियमित प्रोसेस है. शरीर में खून जैसे-जैसे पुराना होता जाता है, उसका रिप्लेसमेंट नए सेल से होता है. जितना अधिक हम ब्लड डोनेट करते हैं, उतना अधिक हमारा बोन मैरो एक्टिवेट होता है और एक्टिवेट हो कर और ज्यादा फ्रेश ब्लड शरीर में बनाता है.
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ब्लड प्रेशर का एकमात्र इलाज
ब्लड डोनेट करने से बीपी भी कंट्रोल में रहता है. पुराने जमाने में लगभग 70 से 80 साल पहले ब्लड प्रेशर का एकमात्र इलाज था, ब्लड निकालना. जिन लोगों का ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता था, उनका खून निकाला जाता था. ताकि ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो सके.
वैक्सीन लगवाने से पहले करें रक्तदान
नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल का कहना है कि वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद ही आप ब्लड डोनेट कर सकते हैं. उसके पहले ब्लड नहीं लिया जा सकता. व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगाई जाती है.
ऐसे में करीब 56 दिन तक वैक्सीन लगवाने वाला व्यक्ति ब्लड डोनेट नहीं कर सकता. यदि आप रक्तदान करना चाहते हैं, तो वैक्सीन लगवाने के पहले ही कर दें, ताकि जरूरत के वक्त आपका रक्त किसी को जीवनदान दे सकें.