पटनाः पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के अवर मुख्य सचिव (एसीएस) के के पाठक ने अपने मनमाने आदेशों से बिहार में शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया. सुशील मोदी ने उनके काम करने के तरीके को असंवैधानिक और तानाशाही पूर्ण बताया. कहा कि केके पाठक के तानाशाही रवैया से शिक्षकों में रोष है.
के के पाठक को हटाया जाना चाहिएः सुशील मोदी ने कहा कि जो अधिकारी ना किसी नियम-कानून का ध्यान रखता हो, ना राजभवन से टकराव लेने से बचता हो उसे अविलम्ब हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दर्जनों शिक्षकों के वेतन-पेंशन रोकने, शिक्षकों के संघ बनाने पर कठोर कार्रवाई, अतिथि शिक्षकों की आउटसोर्सिंग, प्रतिदिन पांच क्लास लेने की बाध्यता और कम्यूटर उपकरणों की खरीद के लिए मनमाने ढंग से आदेश जारी किए गए हैं. मुख्यमंत्री से एसीएस पाठक के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है.
"यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नीतीश कुमार एक ऐसे अधिकारी का बचाव कर रहे हैं, जो शिक्षा मंत्री को अपमानित कर चुका है. जिसके विरुद्ध जदयू-राजद सहित सभी दलों के 25 विधान परिषद् सदस्यों को राजभवन जाकर ज्ञापन सौंपना पड़ा."- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, भाजपा
क्या है मामलाः केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने बिहार के विधान पार्षद के वेतन रोकने सहित अन्य कार्रवाई की है. 19 दिसंबर को सूबे के 25 विधान पार्षदों ने राज्यपाल से मिलकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की शिकायत की थी. शिकायत करने वालों में सबसे ज्यादा विधान पार्षद सत्तापक्ष के ही थे. विधान पार्षदों ने कहा था कि केके पाठक अब विधान पार्षदों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं. उसको लेकर राजभवन की ओर से मुख्य सचिव को पत्र लिखकर असंवैधानिकऔर अलोकतांत्रिक बताया है. राज्यभवन ने यहां तक कहा कि उक्त आदेशों से ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग राज्य के शैक्षणिक माहौल को बर्बाद करना चाहता है.
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