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भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या का बिहार से है खास नाता- आचार्य किशोर कुणाल

अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार रहे आचार्य किशोर कुणाल ने बीते दिनों एक बड़ा ऐलान किया है. वो अयोध्या में 23 नवंबर से सीता रसोई की शुरुआत करेंगे. इस रसोई में रोज 1 हजार श्रद्धालुओं के लिए खाना बनेगा.

आचार्य किशोर कुणाल
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Published : Nov 20, 2019, 12:34 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 1:41 PM IST

पटनाः भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या नगरी और बिहार का आपस में बहुत पुराना नाता रहा है. पिछले 70 साल के इतिहास में देखें तो उसमें भी बिहार का अयोध्या से काफी जुड़ाव रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने कई अहम जानकारियां दीं.

'बिहार का है अयोध्या से बहुत पुराना नाता'
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या का बिहार से अटूट संबंध रहा है. माता सीता बिहार की थीं और वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि ये सीता के महान चरित्र की गाथा है. उन्होंने बताया कि जिन्होंने रामलला की मूर्ति को स्थापित किया वो बाबा अभिरामदास थे, जो मधुबनी जिले के रहने वाले थे और बाद में साधु हो गए.

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किशोर कुणाल( फाइल फोटो)

'वादी के तौर पर रामलला की जीत हुई है'
बातचीत के दौरान आचार्य किशोर कुणाल ने ये भी बताया कि राम जन्मभूमि आंदोलन के सबसे पुरोधा परमहंस जी थे, जिन्होंने मंदिर का ताला खुलवाने में अहम संघर्ष किया था. वो भी सोनपुर के पास के रहने वाले थे. वहीं, राम मंदिर केस में सूट 5 में जो जीत हुई है, उसका जो वाद बना था वो बनाया हुआ लाल नारायण सिन्हा का था, जो भारत के पहले अटॉर्नी जनरल थे. उन्हीं के सुझाव पर रामलला वादी बने थे. उन्होंने बताया कि राम मंदिर केस में वादी के तौर पर रामलला की जीत हुई है.

जानकारी देते आचार्य किशोर कुणाल

राम मंदिर से 1990 से जुड़े हैं किशोर कुणाल
एक अहम जानकारी देते हुए किशोर कुणाल ने बताया कि सिवान जिले के सैयद साबुद्दीन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी में थे, वो इस मामले के काफी जानकार थे. वो खुद राम मंदिर केस से 1990 से जुड़े और कोर्ट से अंतिम दिन जो राम मंदिर का नक्शा बना वो उन्हीं का बनाया हुआ था और राम मंदिर पर उन्होंने दो वॉल्यूम की किताबें भी लिखीं हैं.

ये भी पढ़ेंः पटना: महावीर मंदिर में राज्यपाल फागू चौहान ने की पूजा-अर्चना

'बक्सर और वैशाली आए थे राम और लक्ष्मण'
रामायण सर्किट पर बात करते हुए किशोर कुणाल ने कहा कि श्री राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ बक्सर आए और उन्होंने सरयू तट पर पहली रात बिताई. बाद में वो बैलगाड़ी से गंगा और सोन के संगम पर पहुंचे, जिसको पार कर वो विशाला देश पहुंचे, जो अभी का वैशाली है. उस समय वहां के राजा सुमति ने सभी का स्वागत किया था.

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राम मंदिर

अयोध्या में 23 नवंबर से होगी सीता रसोई की शुरुआत
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार रहे आचार्य किशोर कुणाल ने बीते दिनों एक बड़ा ऐलान किया है. वो अयोध्या में 23 नवंबर से सीता रसोई की शुरुआत करेंगे. इस रसोई में रोज 1 हजार श्रद्धालुओं के लिए खाना बनेगा. 1972 बैच के पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल ने 'अयोध्या रीविजिटेड' किताब भी लिखी है. इस किताब में राम मंदिर से लेकर बाबरी मस्जिद तक के इतिहास पर कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं.

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किशोर कुणाल की लिखी किताब

9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
बता दें कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या विवादित जमीन को राम मंदिर का बताया था. साथ ही मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने का आदेश सरकार को दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाने को कहा. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो तीन महीने के भीतर ट्रस्ट की रूपरेखा तैयार कर ले. यही ट्रस्ट राम मंदिर बनाएगा और उसकी निगरानी भी करेगा.

पटनाः भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या नगरी और बिहार का आपस में बहुत पुराना नाता रहा है. पिछले 70 साल के इतिहास में देखें तो उसमें भी बिहार का अयोध्या से काफी जुड़ाव रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने कई अहम जानकारियां दीं.

'बिहार का है अयोध्या से बहुत पुराना नाता'
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या का बिहार से अटूट संबंध रहा है. माता सीता बिहार की थीं और वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि ये सीता के महान चरित्र की गाथा है. उन्होंने बताया कि जिन्होंने रामलला की मूर्ति को स्थापित किया वो बाबा अभिरामदास थे, जो मधुबनी जिले के रहने वाले थे और बाद में साधु हो गए.

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किशोर कुणाल( फाइल फोटो)

'वादी के तौर पर रामलला की जीत हुई है'
बातचीत के दौरान आचार्य किशोर कुणाल ने ये भी बताया कि राम जन्मभूमि आंदोलन के सबसे पुरोधा परमहंस जी थे, जिन्होंने मंदिर का ताला खुलवाने में अहम संघर्ष किया था. वो भी सोनपुर के पास के रहने वाले थे. वहीं, राम मंदिर केस में सूट 5 में जो जीत हुई है, उसका जो वाद बना था वो बनाया हुआ लाल नारायण सिन्हा का था, जो भारत के पहले अटॉर्नी जनरल थे. उन्हीं के सुझाव पर रामलला वादी बने थे. उन्होंने बताया कि राम मंदिर केस में वादी के तौर पर रामलला की जीत हुई है.

जानकारी देते आचार्य किशोर कुणाल

राम मंदिर से 1990 से जुड़े हैं किशोर कुणाल
एक अहम जानकारी देते हुए किशोर कुणाल ने बताया कि सिवान जिले के सैयद साबुद्दीन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी में थे, वो इस मामले के काफी जानकार थे. वो खुद राम मंदिर केस से 1990 से जुड़े और कोर्ट से अंतिम दिन जो राम मंदिर का नक्शा बना वो उन्हीं का बनाया हुआ था और राम मंदिर पर उन्होंने दो वॉल्यूम की किताबें भी लिखीं हैं.

ये भी पढ़ेंः पटना: महावीर मंदिर में राज्यपाल फागू चौहान ने की पूजा-अर्चना

'बक्सर और वैशाली आए थे राम और लक्ष्मण'
रामायण सर्किट पर बात करते हुए किशोर कुणाल ने कहा कि श्री राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ बक्सर आए और उन्होंने सरयू तट पर पहली रात बिताई. बाद में वो बैलगाड़ी से गंगा और सोन के संगम पर पहुंचे, जिसको पार कर वो विशाला देश पहुंचे, जो अभी का वैशाली है. उस समय वहां के राजा सुमति ने सभी का स्वागत किया था.

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राम मंदिर

अयोध्या में 23 नवंबर से होगी सीता रसोई की शुरुआत
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार रहे आचार्य किशोर कुणाल ने बीते दिनों एक बड़ा ऐलान किया है. वो अयोध्या में 23 नवंबर से सीता रसोई की शुरुआत करेंगे. इस रसोई में रोज 1 हजार श्रद्धालुओं के लिए खाना बनेगा. 1972 बैच के पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल ने 'अयोध्या रीविजिटेड' किताब भी लिखी है. इस किताब में राम मंदिर से लेकर बाबरी मस्जिद तक के इतिहास पर कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं.

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किशोर कुणाल की लिखी किताब

9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
बता दें कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या विवादित जमीन को राम मंदिर का बताया था. साथ ही मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने का आदेश सरकार को दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाने को कहा. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो तीन महीने के भीतर ट्रस्ट की रूपरेखा तैयार कर ले. यही ट्रस्ट राम मंदिर बनाएगा और उसकी निगरानी भी करेगा.

Intro:जब श्री राम की बात की जाती है तब सबसे पहले जहन में अयोध्या आता है. वही अयोध्या नगरी और बिहार का आपस में बहुत पुराना नाता रहा है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या का बिहार से अटूट संबंध रहा है. माता सीता बिहार की थी और वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि यह सीता की महान चरित्र की गाथा है. उन्होंने कहा कि हाल के दौर में पिछले 70 वर्ष के इतिहास में देखें तो उसमें भी बिहार और अयोध्या में काफी जुड़ा है.


Body:आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि जिन्होंने रामलला की मूर्ति को स्थापित की वहां वह बाबा अभिरामदास थे जो मधुबनी जिले के रहने वाले थे और बाद में साधु हो गए. उन्होंने बताया कि उसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन के सबसे पुरोधा परमहंस जी थे. मंदिर का ताला खुलवाने में अहम संघर्ष किया था. वह सोनपुर के पास के रहने वाले थे.
किशोर कुणाल ने बताया कि राम मंदिर केस में सूट 5 में जो जीत हुई है उसका जो वाद बना था वह बनाया हुआ लाल नारायण सिन्हा का था जो भारत के पहले अटॉर्नी जनरल थे. उन्होंने बताया कि रामलला को वादी बनाइए और उन्हीं के सुझाव पर रामलला वादी बने थे. उन्होंने बताया कि राम मंदिर केस में वादी के तौर पर राम लाला की जीत हुई है.
किशोर कुणाल ने बताया कि सिवान जिला के शहीद साबुद्दीन थे जो बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी में थे वह इस मामले के काफी जानकार थे.
किशोर कुणाल ने बताया कि वह खुद राम मंदिर केस से 1990 से जुड़े और कोर्ट से अंतिम दिन जो राम मंदिर का नक्शा बना वह उन्हीं का बनाया हुआ था और राम मंदिर पर उन्होंने दो वॉल्यूम की किताबें भी लिखी हैं.


Conclusion:रामायण सर्किट पर बताते हुए किशोर कुणाल ने कहा कि श्री राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ बक्सर आए और उन्होंने सरयू तट पर पहली रात बिताई. बाद में वह बैलगाड़ी से गंगा और सोन के संगम पर पहुंचे. उसके बाद वह गंगा और सोन के संगम को पढ़कर विशाला देश पहुंचे जो अभी का वैशाली है. उस समय वहां के राजा सुमति ने सभी का स्वागत किया था.
Last Updated : Nov 20, 2019, 1:41 PM IST
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