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पटना: दानापुर में विसर्जन से पहले हुआ खोइंछा मिलन, हजारों श्रद्धालु हुए शामिल

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Published : Oct 8, 2019, 11:57 PM IST

छोटी देवी जी की विदाई होने से पहले हजारों श्रद्धालु उन्हें लेकर पेठिया बाजार के दक्षिणेश्वर काली मंदिर लेकर पहुंचते है. वहां स्थापित बड़ी देवी से छोटी देवी जी का मिलन कराया जाता है.

: दानापुर में विसर्जन से पहले हुआ खोइंछा मिलन

पटना: दानापुर पेठिया बाजार के बड़ी देवीजी यानि दक्षिणेश्वर काली मां से हर साल गोला रोड और बड़ी मछुआटोली की छोटी देवीजी यानि छोटी काली मां का मिलन कराया जाता है. दोनों के बीच विदाई के पहले खोइंछा की अदला बदली होती है. ये परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. जिसके गवाह हजारों श्रद्धालु होते हैं.

हजारों श्रद्धालु होते हैं शामिल
सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही मान्यता के अनुसार हर साल दुर्गा पूजा में दक्षिणेश्वर काली मां जिन्हें बड़ी देवी जी की संज्ञा दी गई है. उनका विसर्जन के दिन मछुआटोली और गोला रोड में बैठने वाली छोटी काली मां से मिलन कराया जाता है. छोटी देवी जी की विदाई होने से पहले हजारों श्रद्धालु उन्हें लेकर पेठिया बाजार के दक्षिणेश्वर काली मंदिर पहुंचते है. वहां स्थापित बड़ी देवी से छोटी देवी जी का मिलन कराया जाता है. इसके बाद दोनों बहनों के बीच खोइंछा का आदान-प्रदान होता है.

khoincha milan in danapur
हजारों श्रद्धालु हुए शामिल

खोइंछा मिल के बाद ही होता है विसर्जन
खोइंछा बदलने के बाद छोटी देवी जी की विधिवत विदाई होती है और पूरे सम्मान के साथ गंगा में उनका विसर्जन किया जाता है. मंगलवार को विसर्जन के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने पूरी भक्ति भाव से विदाई से पहले मां की आरती की और खोइंछा मिलन में शामिल हुए.

दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी ने बताया कि ये प्रथा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. विसर्जन के दिन दोनों बहनों का मिलन कराया जाता है. उनके बिना मिलन के विसर्जन हो ही नहीं सकता. बड़ी देवी जी और छोटी देवी जी के आपस में खोइंछा बदलने के बाद नगर में जितनी भी मूर्ति स्थापित होती है, उन सभी का विसर्जन से पहले दक्षिणेश्वर काली मां से मिलन कराया जाता है. उसके बाद ही विसर्जन होता है.

दानापुर में खोइंछा मिलन हजारों श्रद्धालु हुए शामिल

'सबकी मनोकामना पूरी करती हैं देवी मां'
इस बीच भव्य आरती भी होती है जो काफी आकर्षक होती है. खोइंछा मिलन में शामिल होने पहुंचे श्रद्धालु कहती हैं कि पेठिया बाजार के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की बड़ी देवीजी काफी प्रतापी हैं और इनकी दर से आजतक कोई खाली नहीं लौटा है. उनका कहना है कि मां सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं.

पटना: दानापुर पेठिया बाजार के बड़ी देवीजी यानि दक्षिणेश्वर काली मां से हर साल गोला रोड और बड़ी मछुआटोली की छोटी देवीजी यानि छोटी काली मां का मिलन कराया जाता है. दोनों के बीच विदाई के पहले खोइंछा की अदला बदली होती है. ये परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. जिसके गवाह हजारों श्रद्धालु होते हैं.

हजारों श्रद्धालु होते हैं शामिल
सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही मान्यता के अनुसार हर साल दुर्गा पूजा में दक्षिणेश्वर काली मां जिन्हें बड़ी देवी जी की संज्ञा दी गई है. उनका विसर्जन के दिन मछुआटोली और गोला रोड में बैठने वाली छोटी काली मां से मिलन कराया जाता है. छोटी देवी जी की विदाई होने से पहले हजारों श्रद्धालु उन्हें लेकर पेठिया बाजार के दक्षिणेश्वर काली मंदिर पहुंचते है. वहां स्थापित बड़ी देवी से छोटी देवी जी का मिलन कराया जाता है. इसके बाद दोनों बहनों के बीच खोइंछा का आदान-प्रदान होता है.

khoincha milan in danapur
हजारों श्रद्धालु हुए शामिल

खोइंछा मिल के बाद ही होता है विसर्जन
खोइंछा बदलने के बाद छोटी देवी जी की विधिवत विदाई होती है और पूरे सम्मान के साथ गंगा में उनका विसर्जन किया जाता है. मंगलवार को विसर्जन के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने पूरी भक्ति भाव से विदाई से पहले मां की आरती की और खोइंछा मिलन में शामिल हुए.

दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी ने बताया कि ये प्रथा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. विसर्जन के दिन दोनों बहनों का मिलन कराया जाता है. उनके बिना मिलन के विसर्जन हो ही नहीं सकता. बड़ी देवी जी और छोटी देवी जी के आपस में खोइंछा बदलने के बाद नगर में जितनी भी मूर्ति स्थापित होती है, उन सभी का विसर्जन से पहले दक्षिणेश्वर काली मां से मिलन कराया जाता है. उसके बाद ही विसर्जन होता है.

दानापुर में खोइंछा मिलन हजारों श्रद्धालु हुए शामिल

'सबकी मनोकामना पूरी करती हैं देवी मां'
इस बीच भव्य आरती भी होती है जो काफी आकर्षक होती है. खोइंछा मिलन में शामिल होने पहुंचे श्रद्धालु कहती हैं कि पेठिया बाजार के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की बड़ी देवीजी काफी प्रतापी हैं और इनकी दर से आजतक कोई खाली नहीं लौटा है. उनका कहना है कि मां सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं.

Intro:दानापुर पेठिया बाजार स्थित बड़ी देवी जी यानि दक्षिणेश्वर काली मां से हर साल गोला रोड और बड़ी मछुआटोली स्थित छोटी देवी जी यानि छोटी काली मां से मिलन कराया जाता है और दोनों के बीच बिदाई के पहले ख्वेछा की अदला बदली होती है ,ये परंपरा सैकड़ों वर्षो से चला आ रहा है जिसके गवाह हजारों श्रद्धालु होते है।Body:दरअसल पेठिया बाजार स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर की बड़ी ही मान्यता है । सैकड़ों वर्षों से चली आ रही मान्यता के अनुसार हर साल दुर्गा पूजा में दक्षिणेश्वर काली मां जिन्हें बड़ी देवी जी की संज्ञा दी गई है उनका विसर्जन के दिन बड़ी मछुआटोली और गोला रोड में बैठने वाली छोटी काली मां यानि छोटी देवी जी से मिलन कराया जाता है। मतलब छोटी देवी जी की विदाई होने से पहले हजारों श्रद्धालु उन्हें लेकर पेठिया बाजार स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर लेकर पहुंचते है और वहां स्थापित बड़ी देवी से छोटी देवी जी का मिलन कराया जाता है और फिर दोनों बहनों के बीच ख्वेछा का आदान प्रदान होता है। ख्वेछा बदलने के बाद छोटी देवी जी की विधिवत विदाई होती है और पूरे सम्मान के साथ गंगा में उनका विसर्जन किया जाता है। आज विसर्जन के दौरान हजारों महिला पुरूष श्रद्धालु पूरी भक्ति भाव से विदाई से पहले मां की आरती और ख्वेछा मिलन में शामिल हुए और दोनों बहनों का आशीर्वाद लिया। Conclusion:दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी ने बताया कि ये प्रथा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है जब विसर्जन के दिन दोनों बहनों का मिलन कराया जाता है। उनके बिना मिलन के विसर्जन हो ही नही सकता। बड़ी देवी जी और छोटी देवी जी के आपस मे ख्वेछा बदलने के बाद नगर में जितनी भी मूर्ति स्थापित होती है उन सभी का विसर्जन से पहले दक्षिणेश्वर काली मां से मिलन कराया जाता है उसके बाद ही विसर्जन होता है। इस बीच भव्य आरती भी होती है जो काफी आकर्षक होता है। इस दौरान ख्वेछा मिलन में शामिल होने पहुंचे श्रद्धालु कहती है कि पेठिया बाजार स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर स्थित बड़ी देवी जी काफी प्रतापी है और इनके दर से आजतक कोई खाली नही लौटा है। माँ सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। श्रद्धालुओ का कहना ही कि विसर्जन के दिन जब ख्वेछा मिलन होता है तो ये एक अलग ही पावन समय होता है जो लोग उस वक्त सच्चे दिल से मां की आराधना करते है उनकी मनोकामना जरुर पूरी होती है।
बाईट - रवि कांत -पुजारी - दक्षिणेश्वर काली मंदिर दानापुर
बाईट - महिला श्रद्धालु
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