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पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने किया करवाचौथ, सोलह श्रृगांर कर की पूजा-अर्चना

पटना के बैंक रोड के लेडीस विंग बिरादरी की ओर से लाला लाजपत राय मेमोरियल भवन में करवाचौथ के मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान दर्जनों महिलाएं समारोह में हिस्सा लेने पहुंची.

महिलाओं ने किया करवाचौथ
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Published : Oct 18, 2019, 10:13 AM IST

पटना: गुरुवार को राजधानी समेत पूरे प्रदेश में करवाचौथ धूम-धाम से मनाया गया. इस दिन शादीशुदा महिलाओं ने व्रत रखा और अपने पति के लंबे उम्र की कामना की. रंग-बिरंगे परिधानों में सोलह श्रृगांर कर महिलाएं चांद का इंतजार करती नजर आईं. जिसके बाद चांद निकलने पर सभी ने अपना व्रत खोला.

पटना के बैंक रोड के लेडीस विंग बिरादरी की ओर से लाला लाजपत राय मेमोरियल भवन में करवाचौथ के मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान दर्जनों महिलाएं समारोह में हिस्सा लेने पहुंची. उन्होंने एक साथ गीत गाए और चांद को देखकर पूजा-अर्चना कर अपने पति के हाथों व्रत तोड़ा.

patna
महिलाओं में दिखा खासा उत्साह

क्या है मान्यता ?
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए. यह व्रत पति की दीर्घायु और अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है. करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्ध्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है.

राजधानी में मनाया गया करवाचौथ

शादीशुदा महिलाओं को है अधिकार
इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का ही अधिकार है. स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है. मौजूदा समय में कुछ कुवांरी महिलाएं भी इस व्रत को रखती हैं.

पटना: गुरुवार को राजधानी समेत पूरे प्रदेश में करवाचौथ धूम-धाम से मनाया गया. इस दिन शादीशुदा महिलाओं ने व्रत रखा और अपने पति के लंबे उम्र की कामना की. रंग-बिरंगे परिधानों में सोलह श्रृगांर कर महिलाएं चांद का इंतजार करती नजर आईं. जिसके बाद चांद निकलने पर सभी ने अपना व्रत खोला.

पटना के बैंक रोड के लेडीस विंग बिरादरी की ओर से लाला लाजपत राय मेमोरियल भवन में करवाचौथ के मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान दर्जनों महिलाएं समारोह में हिस्सा लेने पहुंची. उन्होंने एक साथ गीत गाए और चांद को देखकर पूजा-अर्चना कर अपने पति के हाथों व्रत तोड़ा.

patna
महिलाओं में दिखा खासा उत्साह

क्या है मान्यता ?
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए. यह व्रत पति की दीर्घायु और अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है. करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्ध्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है.

राजधानी में मनाया गया करवाचौथ

शादीशुदा महिलाओं को है अधिकार
इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का ही अधिकार है. स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है. मौजूदा समय में कुछ कुवांरी महिलाएं भी इस व्रत को रखती हैं.

Intro:रंग-बिरंगे परिधान और सोलह सिंगार में चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार करती महिलाओ ने देर शाम चांद और अपने पति के दीदार के बाद व्रत खत्म किया ... और इसी कड़ी में राजधानी पटना के बैंक रोड स्थित लेडीस विंग बिरादरी की ओर से लाला लाजपत राय मेमोरियल भवन में आयोजित करवा चौथ समारोह का पति की लंबी आयु की कामना करती महिलाओ ने सोलह सिंगार और चौथ की पूजा करें चांद का दीदार व्रत को संपन्न किया



दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें।Body:इस दिन महिलाओं का सोलह सिंगार महत्वपूर्ण माना जाता है सुबह से प्रारंभ हुआ व्रत शाम को चांद की पूजा के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करने के बाद ही पूरा होता है सुहागिनों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है क्योंकि यह व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है और इसी कड़ी में राजधानी पटना के हजारों महिलाओं ने इस व्रत को बड़े ही धूमधाम से मनाया और देर शाम चौथ की पूजा का चांद का दीदार कर अपना पति के हाथों जल ग्रहण कर इस व्रत को खत्म किया
Conclusion:शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए और पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है ,करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है... वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं...कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है और इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का ही अधिकार है , स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है, जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु और अपने सुहाग को अखंड रखने के लिए रखती हैं...
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