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PMCH का कंगारू मदर केयर बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, नवजात को होंगे ये फायदे

मालूम हो कि बिहार में इनफर्टिलिटी रेट आईएमआर 2015-16 के एक हजार लाइव बर्थ पर 34 है. यानि जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 34 की मौत हो जाती है. जबकि राष्ट्रीय इनफर्टिलिटी रेट एक हजार लाइव बर्थ पर 29 है.

इलाज करते डॉक्टर
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Published : Jul 7, 2019, 9:42 PM IST

पटना: पीएमसीएच के शिशु विभाग में कंगारू मदर केयर को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है. इसे मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि इस व्यवस्था को राज्य के सभी अस्पताल अपनाएं. मदर केयर की आवश्यक सुविधाओं का जाएजा लेने के लिए डॉक्टरों और नर्सों की विशेष टीम हैदराबाद के कंगारू मदर सेंटर गई हुई है. वहां की सुविधाओं को पीएमसीएच में बहाल किया जाएगा.

patna
इलाज के लिए आई मां

क्या है कंगारू मदर केयर?
राज्य के उन सभी अस्पतालों में कंगारू मदर केयर की सुविधा है, जहां एसएनसीयू और एनआईसीयू की व्यवस्था है. अमूमन इसमें एक विशेष तरह की तकनीक होती है. इस तकनीक में शिशु के पैरेंट्स अपने नवजात बच्चे को कुछ समय के लिए अपने अंग से चिपकाकर रखते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कंगारु अपने शिशु को अपने करीब रखता है और अपने बच्चे को गर्माहट देता है. यह खास कर समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के साथ किया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या होंगे फायदे?

  • बच्चे को सीने से चिपका कर रखने से मां के साथ उसका प्यार बढ़ता है.
  • बच्चे के ब्रेन का विकास बढ़िया होता है.
  • बच्चा ठीक से ब्रेस्ट फीडिंग करने लगता है.
  • नवजात की मृत्यु दर में कमी आती है.
  • बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं.
  • बच्चे को नंगे बदन सीने से चिपका कर रखने से वह हाइपोथर्मिया का शिकार नहीं होता है.

ताजा आंकड़ें
मालूम हो कि बिहार में इनफर्टिलिटी रेट आईएमआर 2015-16 के एक हजार लाइव बर्थ पर 34 है. यानि जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 34 की मौत हो जाती है. जबकि राष्ट्रीय इनफर्टिलिटी रेट एक हजार लाइव बर्थ पर 29 है.

पटना: पीएमसीएच के शिशु विभाग में कंगारू मदर केयर को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है. इसे मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि इस व्यवस्था को राज्य के सभी अस्पताल अपनाएं. मदर केयर की आवश्यक सुविधाओं का जाएजा लेने के लिए डॉक्टरों और नर्सों की विशेष टीम हैदराबाद के कंगारू मदर सेंटर गई हुई है. वहां की सुविधाओं को पीएमसीएच में बहाल किया जाएगा.

patna
इलाज के लिए आई मां

क्या है कंगारू मदर केयर?
राज्य के उन सभी अस्पतालों में कंगारू मदर केयर की सुविधा है, जहां एसएनसीयू और एनआईसीयू की व्यवस्था है. अमूमन इसमें एक विशेष तरह की तकनीक होती है. इस तकनीक में शिशु के पैरेंट्स अपने नवजात बच्चे को कुछ समय के लिए अपने अंग से चिपकाकर रखते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कंगारु अपने शिशु को अपने करीब रखता है और अपने बच्चे को गर्माहट देता है. यह खास कर समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के साथ किया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या होंगे फायदे?

  • बच्चे को सीने से चिपका कर रखने से मां के साथ उसका प्यार बढ़ता है.
  • बच्चे के ब्रेन का विकास बढ़िया होता है.
  • बच्चा ठीक से ब्रेस्ट फीडिंग करने लगता है.
  • नवजात की मृत्यु दर में कमी आती है.
  • बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं.
  • बच्चे को नंगे बदन सीने से चिपका कर रखने से वह हाइपोथर्मिया का शिकार नहीं होता है.

ताजा आंकड़ें
मालूम हो कि बिहार में इनफर्टिलिटी रेट आईएमआर 2015-16 के एक हजार लाइव बर्थ पर 34 है. यानि जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 34 की मौत हो जाती है. जबकि राष्ट्रीय इनफर्टिलिटी रेट एक हजार लाइव बर्थ पर 29 है.

Intro:spl
टीम सिस्का कंगारू मदर केयर बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस


Body:पीएमसीएच के शिशु विभाग के कंगारू मदर केयर को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है इसे मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि से राज्य के सभी अस्पताल अपनाएं इसके लिए हैदराबाद के कंगारू मदर केयर की सुविधाओं को देखने के लिए शिशु विभाग की पूरी टीम नर्स यूनिसेफ और सरकार के प्रतिनिधि गए हुए हैं वहां की सुविधाओं को पीएमसीएच में भी बहाल किया जाएगा

क्या है कंगारू मदर केयर

राज्य के उन सभी अस्पतालों में कंगारू मदर केयर की सुविधा है जहां एसएनसीयू और एनआईसीयू की व्यवस्था है अमूमन इसमें एक विशेष तरह की शेर होती है जिस पर महिला लेट कर अपने बच्चे को सीने से चिपका कर कम से कम एक घंटा रखती हैं मां के सीने से बच्चे को पूरी तरह से चिपका कर रखना पड़ता है


Conclusion: क्या होंगे फायदे:-


बच्चे को सीने से चिपका कर रखने से मां के साथ उसका प्यार बढ़ता है, बच्चे के ब्रेन का विकास बढ़िया होता है ठीक से ब्रेस्ट फीडिंग करने लगता है, ब्रेस्ट फीडिंग के लिए मां का दूध भी ठीक उतरता है, नवजात की मृत्यु दर में कमी आती हैं, बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं, बच्चे को नंगे बदन सीने से चिपका कर रखने से वह हाइपोथर्मिया का शिकार नहीं होता है, यानी बच्चा ठंड की चपेट में नहीं आता है, बिहार में इनफर्टिलिटी रेट आईएमआर 2015- 16 के एक हजार लाइव बर्थ पर अनुसार 34 है
यानी जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 34 की मौत हो जाती है, जबकि राष्ट्रीय इनफर्टिलिटी रेट जक हजार लाइव बर्थ पर 29 हैं
बहरहाल कंगारू मदर केयर का इसमें अहम भूमिका है
नवजात मृत्यु दर कम करने के लिए यह प्रक्रिया पूरी तरह से सकारात्मक हैं



बाईट:--प्रोफेसर डॉ राजीव रंजन प्रसाद
अधीक्षक,पीएमसीएच
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