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कहलगांव विधानसभा सीट : कांग्रेस के गढ़ पर सबकी नजरें, क्या किला भेद पाएगा NDA?

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Published : Oct 9, 2020, 10:59 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का बिगुल फूंका जा चुका है. पहले चरण के मतदान के तहत कहलगांव में वोटिंग होगी. यह हॉट सीट मानी जाती है. पढ़ें पूरी खबर...

देखें ये रिपोर्ट
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बिहार चुनाव 2020 : बिहार चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा. इस दिन सूबे की कुल 71 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी. ऐसे में हॉट सीट की बात करें, तो कहलगांव विधानसभा सीट बिहार की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है.

कहलगांव विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. माने, ये सीट पार्टी की परंपरागत क्षेत्र है. यहां 6.95 फीसदी जनसंख्या शहरी और 93.05 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. इस विधानसभा सीट की कुल जनसंख्या में से 11.71 फीसदी अनुसूचित जाति और 1.12 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. 2019 की मतदाता सूची के मुताबिक, कहलगांव में 3 लाख 23 हजार 868 मतदाता हैं.

देखें ये रिपोर्ट

कांग्रेस का विजयी पताका
कहलगांव विधानसभा सीट पर पहले मतदान में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. पार्टी के 1951 में रामजन्म महतो विधायक बने. इसके बाद1967 में सीपीआई जीती, 1969 में फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1985,1990 और 1995 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

साल 2000 में कांग्रेस ने कम बैक किया. वहीं, 2005 में सदानंद सिंह ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2015 में हुए उपचुनाव में जेडीयू के अजय कुमार मंडल ने जीत दर्ज की. इससे पहले 2010 और 2015 में सदानंद सिंह जीते.

कायम रहा है सदानंद सिंह का जलवा
सदानंद सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं. बिहार कांग्रेस के विधायक दल के नेता सदानंद सिंह का इस क्षेत्र में बोलबाला है. उनकी वजह से कांग्रेस को अधिकतर चुनावों में जीत मिली है.

किला भेद पायेगा एनडीए?
बिहार चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में इस सीट पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. देखने वाली बात होगी कि एनडीए कांग्रेस का किला भेद कर पाता है या कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट पर एक बार फिर जीत दर्ज करेगी.

बिहार चुनाव 2020 : बिहार चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा. इस दिन सूबे की कुल 71 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी. ऐसे में हॉट सीट की बात करें, तो कहलगांव विधानसभा सीट बिहार की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है.

कहलगांव विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. माने, ये सीट पार्टी की परंपरागत क्षेत्र है. यहां 6.95 फीसदी जनसंख्या शहरी और 93.05 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. इस विधानसभा सीट की कुल जनसंख्या में से 11.71 फीसदी अनुसूचित जाति और 1.12 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. 2019 की मतदाता सूची के मुताबिक, कहलगांव में 3 लाख 23 हजार 868 मतदाता हैं.

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कांग्रेस का विजयी पताका
कहलगांव विधानसभा सीट पर पहले मतदान में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. पार्टी के 1951 में रामजन्म महतो विधायक बने. इसके बाद1967 में सीपीआई जीती, 1969 में फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1985,1990 और 1995 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

साल 2000 में कांग्रेस ने कम बैक किया. वहीं, 2005 में सदानंद सिंह ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2015 में हुए उपचुनाव में जेडीयू के अजय कुमार मंडल ने जीत दर्ज की. इससे पहले 2010 और 2015 में सदानंद सिंह जीते.

कायम रहा है सदानंद सिंह का जलवा
सदानंद सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं. बिहार कांग्रेस के विधायक दल के नेता सदानंद सिंह का इस क्षेत्र में बोलबाला है. उनकी वजह से कांग्रेस को अधिकतर चुनावों में जीत मिली है.

किला भेद पायेगा एनडीए?
बिहार चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में इस सीट पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. देखने वाली बात होगी कि एनडीए कांग्रेस का किला भेद कर पाता है या कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट पर एक बार फिर जीत दर्ज करेगी.

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