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स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लकर बिहार के जूनियर डॉक्‍टर्स की हड़ताल, OPD सेवा बाधित

बिहार के जूनियर डॉक्‍टर्स हड़ताल पर चले गए हैं. राज्‍य भर के जूनियर डॉक्‍टरों के हड़ताल पर जाने से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा गई हैं. हालांकि, आपातकालीन सेवाएं बहाल हैं. छात्र सरकार से स्टाइपेंड बढ़ाने की लगातार मांग कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 22, 2022, 4:16 PM IST

पटनाः बिहार की राजधानी पटना से इस वक्‍त बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां स्‍टाइपेंड बढ़ाने की मांग (Demand To Increase Stipend Of Junior Doctors In Bihar) को लेकर बिहार के जूनियर डॉक्‍टर्स हड़ताल पर (Junior Doctors Strike In Bihar) चले गए हैं. जिससे कई अस्‍पतालों की OPD सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है. डॉक्‍टरों की हड़ताल का खामियाजा हजारों मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. राज्‍य भर के जूनियर डॉक्‍टरों के हड़ताल पर जाने से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा गई हैं. हालांकि, इस दौरान आपातकालीन सेवाएं बहाल रहेंगी, ताकि इमर्जेंसी में आए मरीजों का इलाज हो सके.

ये भी पढ़ेंः पहली काउंसलिंग में MBBS के छात्रों को रास नहीं आया PMCH, 100 से अधिक सीटें खाली

पटना में जूनियर डॉक्‍टर्स की हड़तालः दरअसल बिहार भर के जूनियर डॉक्‍टर्स कई महीनों से अपनी स्‍टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे है. इसके बावजूद उनकी मांगों पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जिससे नाराज जूनियर डॉक्‍टर्स ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी और आज सोमवार से कामकाज न करने का फैसला करते हुए पीएमसीएच समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्‍टर्स हड़ताल पर चले गए हैं. जिससे अस्‍पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित हो गई हैं. बता दें कि सूबे के बड़े और छोटे सरकारी अस्‍पतालों में बड़ी तादाद में मरीज रोजाना इलाज कराने के लिए आते हैं. जूनियर डॉक्‍टर्स का इसमें बड़ा योगदान रहता है, ऐसे में राज्‍य भर के जूनियर डॉक्‍टरों के हड़ताल पर जाने से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा गई हैं.

स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन: पटना के पीएमसीएच में भी एमबीबीएस इंटर्न अपने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर अधीक्षक कार्यालय का घेराव किए और वहां जमकर घंटों हंगामा किए. एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्राओं ने कहा कि वह सभी एमबीबीएस इंटर्न है और विगत 5 से 7 वर्षों से उन लोगों के स्टाइपेंड में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है और उन लोगों ने जब भी इसकी मांग की है सिर्फ आश्वासन मिला है और आगे कोई काम नहीं हुआ है. एमबीबीएस छात्राओं ने कहा कि उन लोगों को अभी 15 हजार रुपये स्टाइपेंड के तौर पर प्रतिमाह दिया जा रहा है. जबकि, यह राशि कम से कम 25 हजार रुपये प्रति माह होनी चाहिए. छात्रों ने कहा कि जब तक सरकार उन लोगों की मांगे नहीं मान लेती है. तबतक इसी प्रकार आने सभी प्रदर्शन करते रहेंगे.

मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन की चेतावनी: एमबीबीएस के इंटर्न छात्रों ने कहा कि सरकार एमबीबीएस डॉक्टरों को मेडिकल मजदूर बनाना चाहती है और उसी कारण वह विगत कई वर्षों से उन लोगों के स्टाइपेंड में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. काफी कम स्टाइपेंड पर उन लोगों से काम लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई बार इस मांग को लेकर वह मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन कर चुके हैं. विभाग के प्रधान सचिव के पास भी जा चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. हर बार सिर्फ दिलासा दिया गया है. अन्य प्रदेशों में एमबीबीएस इंटर्न को स्टाइपेंड राशि इससे काफी अधिक मिलती है. छात्रों ने कहा कि कम से कम सरकार को चाहिए कि अन्य प्रदेशों का अनुसरण करें और कम से कम 25 हजार रुपये एमबीबीएस इंटर्न छात्रों को स्टाइपेंड के तौर पर दिया जाए.

दरभंगा में जूनियर डॉक्‍टर्स की हड़तालः उधर दरभंगा में भी इस मांग को लेकर दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी में ताला लगाकर कार्य बहिष्कार कर दिया है. इससे ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों का कहना है की हम लोगों को 15 हजार के करीब प्रति माह के हिसाब से दिया जा रहा है. जो रोजाना का 500 रुपया होता है. यह एक राजमिस्त्री की मजदूरी से भी कम है. जूनियर डॉक्टर्स की मांग है कि स्‍टाइपेंड बढ़ा कर 35 हजार रुपया किया जाए.

"सरकार द्वारा पिछले 4 वर्षों से स्टाइपेंड का पुनरीक्षण नहीं किया गया है. वर्ष 2017 में सरकार द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि हर 3 वर्ष में इसका पुनरीक्षण होगा. लेकिन सरकार अपने संकल्पों से लगातार पीछे भाग रही है. हमलोग अपनी मांगों को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन आश्वासन के अलावा हम लोगों को आज तक कुछ नहीं मिला. फिलहाल हमलोगों को 14 हजार 700 सौ रुपया मिल रहा है. हमलोगों की मांग है कि उसे बढ़ा कर 35 हजार रुपया किया जाए. जब तक हम लोगों की मांगों पर सुनवाई नहीं होती है, तब तक हम लोगों का आंदोलन जारी रहेगा"-सात्विक कुमार, जूनियर डॉक्‍टर, दरभंगा

पटनाः बिहार की राजधानी पटना से इस वक्‍त बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां स्‍टाइपेंड बढ़ाने की मांग (Demand To Increase Stipend Of Junior Doctors In Bihar) को लेकर बिहार के जूनियर डॉक्‍टर्स हड़ताल पर (Junior Doctors Strike In Bihar) चले गए हैं. जिससे कई अस्‍पतालों की OPD सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है. डॉक्‍टरों की हड़ताल का खामियाजा हजारों मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. राज्‍य भर के जूनियर डॉक्‍टरों के हड़ताल पर जाने से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा गई हैं. हालांकि, इस दौरान आपातकालीन सेवाएं बहाल रहेंगी, ताकि इमर्जेंसी में आए मरीजों का इलाज हो सके.

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पटना में जूनियर डॉक्‍टर्स की हड़तालः दरअसल बिहार भर के जूनियर डॉक्‍टर्स कई महीनों से अपनी स्‍टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे है. इसके बावजूद उनकी मांगों पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जिससे नाराज जूनियर डॉक्‍टर्स ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी और आज सोमवार से कामकाज न करने का फैसला करते हुए पीएमसीएच समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्‍टर्स हड़ताल पर चले गए हैं. जिससे अस्‍पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित हो गई हैं. बता दें कि सूबे के बड़े और छोटे सरकारी अस्‍पतालों में बड़ी तादाद में मरीज रोजाना इलाज कराने के लिए आते हैं. जूनियर डॉक्‍टर्स का इसमें बड़ा योगदान रहता है, ऐसे में राज्‍य भर के जूनियर डॉक्‍टरों के हड़ताल पर जाने से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा गई हैं.

स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन: पटना के पीएमसीएच में भी एमबीबीएस इंटर्न अपने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर अधीक्षक कार्यालय का घेराव किए और वहां जमकर घंटों हंगामा किए. एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्राओं ने कहा कि वह सभी एमबीबीएस इंटर्न है और विगत 5 से 7 वर्षों से उन लोगों के स्टाइपेंड में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है और उन लोगों ने जब भी इसकी मांग की है सिर्फ आश्वासन मिला है और आगे कोई काम नहीं हुआ है. एमबीबीएस छात्राओं ने कहा कि उन लोगों को अभी 15 हजार रुपये स्टाइपेंड के तौर पर प्रतिमाह दिया जा रहा है. जबकि, यह राशि कम से कम 25 हजार रुपये प्रति माह होनी चाहिए. छात्रों ने कहा कि जब तक सरकार उन लोगों की मांगे नहीं मान लेती है. तबतक इसी प्रकार आने सभी प्रदर्शन करते रहेंगे.

मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन की चेतावनी: एमबीबीएस के इंटर्न छात्रों ने कहा कि सरकार एमबीबीएस डॉक्टरों को मेडिकल मजदूर बनाना चाहती है और उसी कारण वह विगत कई वर्षों से उन लोगों के स्टाइपेंड में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. काफी कम स्टाइपेंड पर उन लोगों से काम लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई बार इस मांग को लेकर वह मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन कर चुके हैं. विभाग के प्रधान सचिव के पास भी जा चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. हर बार सिर्फ दिलासा दिया गया है. अन्य प्रदेशों में एमबीबीएस इंटर्न को स्टाइपेंड राशि इससे काफी अधिक मिलती है. छात्रों ने कहा कि कम से कम सरकार को चाहिए कि अन्य प्रदेशों का अनुसरण करें और कम से कम 25 हजार रुपये एमबीबीएस इंटर्न छात्रों को स्टाइपेंड के तौर पर दिया जाए.

दरभंगा में जूनियर डॉक्‍टर्स की हड़तालः उधर दरभंगा में भी इस मांग को लेकर दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी में ताला लगाकर कार्य बहिष्कार कर दिया है. इससे ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों का कहना है की हम लोगों को 15 हजार के करीब प्रति माह के हिसाब से दिया जा रहा है. जो रोजाना का 500 रुपया होता है. यह एक राजमिस्त्री की मजदूरी से भी कम है. जूनियर डॉक्टर्स की मांग है कि स्‍टाइपेंड बढ़ा कर 35 हजार रुपया किया जाए.

"सरकार द्वारा पिछले 4 वर्षों से स्टाइपेंड का पुनरीक्षण नहीं किया गया है. वर्ष 2017 में सरकार द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि हर 3 वर्ष में इसका पुनरीक्षण होगा. लेकिन सरकार अपने संकल्पों से लगातार पीछे भाग रही है. हमलोग अपनी मांगों को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन आश्वासन के अलावा हम लोगों को आज तक कुछ नहीं मिला. फिलहाल हमलोगों को 14 हजार 700 सौ रुपया मिल रहा है. हमलोगों की मांग है कि उसे बढ़ा कर 35 हजार रुपया किया जाए. जब तक हम लोगों की मांगों पर सुनवाई नहीं होती है, तब तक हम लोगों का आंदोलन जारी रहेगा"-सात्विक कुमार, जूनियर डॉक्‍टर, दरभंगा

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