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साहब आपके खेल निराले,
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पहले किसी को जेल भेजिए,फिर कानून संशोधन करा बाहर निकलवाईए,और “आनंद”मय महौल में प्रतिमा का अनावरण कर खीर”मोहन” खाईए।
यही काम जब हम CM रहते कर रहें थें तो कह दिएं कि कानून में संशोधन मत किजिए बडा बदमाश आदमी है,अब ई अच्छे कैसे लगने लगें जी?
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— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) November 1, 2023
पहले किसी को जेल भेजिए,फिर कानून संशोधन करा बाहर निकलवाईए,और “आनंद”मय महौल में प्रतिमा का अनावरण कर खीर”मोहन” खाईए।
यही काम जब हम CM रहते कर रहें थें तो कह दिएं कि कानून में संशोधन मत किजिए बडा बदमाश आदमी है,अब ई अच्छे कैसे लगने लगें जी?साहब आपके खेल निराले,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) November 1, 2023
पहले किसी को जेल भेजिए,फिर कानून संशोधन करा बाहर निकलवाईए,और “आनंद”मय महौल में प्रतिमा का अनावरण कर खीर”मोहन” खाईए।
यही काम जब हम CM रहते कर रहें थें तो कह दिएं कि कानून में संशोधन मत किजिए बडा बदमाश आदमी है,अब ई अच्छे कैसे लगने लगें जी?
पटना: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की 27 अप्रैल 2023 को जेल से रिहाई हुई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए जेल मैनुअल में संशोधन किया. इसको लेकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है.
आनंद मोहन की रिहाई पर मांझी का नीतीश से सवाल: जीतन राम मांझी ने X में एक पोस्ट करते हुए नीतीश कुमार पर हमला किया है. मांझी ने कहा कि साहब आपके खेल निराले, पहले किसी को जेल भेजिए,फिर कानून संशोधन करा बाहर निकलवाईए और “आनंद”मय महौल में प्रतिमा का अनावरण कर खीर”मोहन” खाईए. यही काम जब हम CM रहते कर रहे थे तो कह दिए कि कानून में संशोधन मत कीजिए बड़ा बदमाश आदमी है,अब ई अच्छे कैसे लगने लगे जी?
मांझी ने नीतीश से की थी ये मांग: हम के संस्थापक जीतन राम मांझी ने साल 2022 में आनंद मोहन की रिहाई की मांग का मुद्दा उठाया था. मांझी ने नीतीश कुमार से बाहुबली आनंद मोहन को जेल से रिहा करने की मांग की थी. जीतन राम मांझी ने ट्वीट करते हुए कहा था कि आनंद मोहन के साथ अन्याय हो रहा है. सीएम नीतीश कुमार से अपील है कि उनकी रिहाई की दिशा में काम करें.यही न्याय संगत होगा.
आनंद मोहन की रिहाई के लिए बदले गए नियम: साल 1994 को गोपालगंज के डीएम जी.कृष्णैया की हत्या में आनंद मोहन का नाम आया था. इस मामले में साल 2007 में कोर्ट ने आनंद मोहन को सजा-ए मौत की सजा सुनाई. हालांकि, बाद में यह सजा आजीवन कारावास में बदल गई. आनंद मोहन को न तो हाईकोर्ट से राहत मिली और न ही सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली. लगभग 15 सालों तक जेल में सजा काटने के बाद आनंद मोहन को नीतीश सरकार ने रिहा करने का फैसला लिया और इसके लिए जेल मैनुअल बदल दिए गए. आनंद मोहन की रिहाई के बाद इसपर सियासत भी खूब हुई.
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