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'गुजरात की तरह बिहार में भी परमिट पर मिले शराब', जीतनराम मांझी की नीतीश से बड़ी मांग

बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी को लेकर सरकार से बड़ी मांग (Jitan Ram Manjhi Demanded Sale of Liquor) कर दी है. उन्होंने गुजरात मॉडल का हवाला देते हुए कहा है कि जिस तरह से गुजरात में परमिट के साथ लोगों को शराब मिलती है, उसी तरह से बिहार में भी शराब को शुरू किया जाना चाहिए.

हम संरक्षक जीतनराम मांझी
हम संरक्षक जीतनराम मांझी
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Published : Dec 31, 2022, 8:43 AM IST

Updated : Dec 31, 2022, 2:29 PM IST

हम प्रवक्ता दानिश रिजवान

पटना: हम संरक्षक जीतनराम मांझी (HAM Patron Jitanram Manjhi) ने कहा कि बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक ही बात को बार-बार कहने में ठीक नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि वे उस घर में पैदा हुए हैं, जहां शराब बनती और बिकती थी. उस वक्त ऐसा कोई कानून नहीं था कि शराब नहीं पीना है लेकिन कभी शराब हाथ तक नहीं लगाया. कानून बना है तो अच्छी बात है, लेकिन बिहार में शराबबंदी कानून को लागू करने में गड़बड़ियां हो रही हैं. शराबबंदी कानून के नाम पर पुलिस गरीबों को प्रताड़ित करती है. गांवों में पुलिस घर में घुसकर गरीब और पिछड़े तबके के लोगों को पकड़कर जेल भेज रही है.

ये भी पढ़ें: 'ताड़ी नेचुरल जूस है, प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं' जीतन राम मांझी ने फिर से दोहराया

बिहार में परमिट पर शराब की बिक्री की मांग: पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि पुलिस गरीबों को तो जेल भेज दे रही है लेकिन जो बड़े लोग हैं, वे पुलिस को पैसा खिलाकर छूट जाते हैं. इसी पर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं. कई बार इस बात को उठा चुके हैं कि शराबबंदी कानून का पालन ठीक ढंग से कराया जाए और सरकार शराबबंदी की समीक्षा कराए. गुजरात में भी शराबबंदी कानून लागू है लेकिन वहां इस तरह की बातें तो नहीं सामने आती हैं. गुजरात में परमिट के साथ लोगों को शराब मिल जाती है, बिहार में भी उसी तरह की व्यवस्था (Liquor sale on permit in Bihar like Gujarat) लागू होनी चाहिए.

गुजरात की तरह बिहार में परमिट पर शराब बिक्री: मांझी ने कहा कि शराब नहीं मिलने के कारण ही लोग शराब बनाते हैं और जहरीली शराब पिकर मर जाते हैं. जो शराब 10 दिन में बनना चाहिए वह दो घंटे में ही बन जाती है. शराब बनाने के दौरान गलत चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो उसे जहरीली बना देती है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिस तरह से गुजरात में परमिट के साथ लोगों को शराब मिलती है उसी तरह से बिहार में भी शराब शुरू की जाए.

मांझी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि शराबबंदी के मामले में जिन गरीब लोगों को फंसाकर जेल भेजा गया है उनकी पैरवी कर सरकार जेलों से छोड़े. सौ ग्राम और दो सौ ग्राम शराब पिकर पकड़ाए लोगों जेलो में बंद कर दिया गया है लेकिन जो लोग हजारों और लाखों लीटर शराब का अवैध कारोबार कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है. मांझी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मुख्यमंत्री जेलों में बंद बेगुनाह गरीबों को छुड़ाने की कोशिश जरूर करेंगे.

"शराबबंदी कानून लागू होना चाहिए लेकिन शराबबंदी कानून का जो मॉडल गुजरात में लागू है, वही मॉडल को बिहार में भी लागू किया जाना चाहिए. ऐसा करने से बिहार को दोहरा फायदा होगा. पहला तो यह कि जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थम जाएगा और दूसरा यह के बिहार को आर्थिक संकट से जूझने में सहायता मिलेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गुजरात मॉडल की चर्चा करते रहे हैं"- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा

ये भी पढ़ें: Chapra Hooch Tragedy: 'जहां बेदर्द मालिक हो वहां फरियाद क्या होगा'.. मांझी ने इस अंदाज में मांगा मुआवजा

हम प्रवक्ता दानिश रिजवान

पटना: हम संरक्षक जीतनराम मांझी (HAM Patron Jitanram Manjhi) ने कहा कि बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक ही बात को बार-बार कहने में ठीक नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि वे उस घर में पैदा हुए हैं, जहां शराब बनती और बिकती थी. उस वक्त ऐसा कोई कानून नहीं था कि शराब नहीं पीना है लेकिन कभी शराब हाथ तक नहीं लगाया. कानून बना है तो अच्छी बात है, लेकिन बिहार में शराबबंदी कानून को लागू करने में गड़बड़ियां हो रही हैं. शराबबंदी कानून के नाम पर पुलिस गरीबों को प्रताड़ित करती है. गांवों में पुलिस घर में घुसकर गरीब और पिछड़े तबके के लोगों को पकड़कर जेल भेज रही है.

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बिहार में परमिट पर शराब की बिक्री की मांग: पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि पुलिस गरीबों को तो जेल भेज दे रही है लेकिन जो बड़े लोग हैं, वे पुलिस को पैसा खिलाकर छूट जाते हैं. इसी पर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं. कई बार इस बात को उठा चुके हैं कि शराबबंदी कानून का पालन ठीक ढंग से कराया जाए और सरकार शराबबंदी की समीक्षा कराए. गुजरात में भी शराबबंदी कानून लागू है लेकिन वहां इस तरह की बातें तो नहीं सामने आती हैं. गुजरात में परमिट के साथ लोगों को शराब मिल जाती है, बिहार में भी उसी तरह की व्यवस्था (Liquor sale on permit in Bihar like Gujarat) लागू होनी चाहिए.

गुजरात की तरह बिहार में परमिट पर शराब बिक्री: मांझी ने कहा कि शराब नहीं मिलने के कारण ही लोग शराब बनाते हैं और जहरीली शराब पिकर मर जाते हैं. जो शराब 10 दिन में बनना चाहिए वह दो घंटे में ही बन जाती है. शराब बनाने के दौरान गलत चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो उसे जहरीली बना देती है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिस तरह से गुजरात में परमिट के साथ लोगों को शराब मिलती है उसी तरह से बिहार में भी शराब शुरू की जाए.

मांझी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि शराबबंदी के मामले में जिन गरीब लोगों को फंसाकर जेल भेजा गया है उनकी पैरवी कर सरकार जेलों से छोड़े. सौ ग्राम और दो सौ ग्राम शराब पिकर पकड़ाए लोगों जेलो में बंद कर दिया गया है लेकिन जो लोग हजारों और लाखों लीटर शराब का अवैध कारोबार कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है. मांझी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मुख्यमंत्री जेलों में बंद बेगुनाह गरीबों को छुड़ाने की कोशिश जरूर करेंगे.

"शराबबंदी कानून लागू होना चाहिए लेकिन शराबबंदी कानून का जो मॉडल गुजरात में लागू है, वही मॉडल को बिहार में भी लागू किया जाना चाहिए. ऐसा करने से बिहार को दोहरा फायदा होगा. पहला तो यह कि जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थम जाएगा और दूसरा यह के बिहार को आर्थिक संकट से जूझने में सहायता मिलेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गुजरात मॉडल की चर्चा करते रहे हैं"- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा

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Last Updated : Dec 31, 2022, 2:29 PM IST
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