पटनाः बिहार में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने 2007 में एक स्वयंसेवी संस्था का गठन किया, जिसका नाम जीविका रखा गया. यह संस्था समूह के रूप में कार्य करती इनके सदस्यों को जीविका दीदी कहा जाता है. कोरोना कि इस महामारी में जीविका दीदीयों की चर्चा हर तरफ हो रही है.
जीविका दीदीयों की चर्चा
जीविका के माध्यम से राज्य में साढे़ तीन लाख स्वयं सहायता समूह बनाया गया है और अब तक 1 करोड़ 10 लाख महिला जीविका समूह से जुड़ चुकी हैं. कोरोना महामारी के समय जीविका दीदीयों ने करीब 60 लाख मास्क का निर्माण किया. संक्रमण के इस दौर में बिहार में सरकार से लेकर आम लोगों के बीच जीविका दीदीयों की चर्चा जोरों पर है.
ग्रामीण विकास विभाग ने किया था गठन
ग्रामीण विकास विभाग की इस संस्था का गठन किया गया था. शुरुआती दौर में यह संस्था 6 जिलों के 18 प्रखंडों में काम कर रही थी. वहीं, आज बिहार के सभी जिला प्रखंड मुख्यालय में तक संस्था काम करने लगी है.
सरकार की एक परियोजना
जीविका समूह को लेकर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि जीविका बिहार सरकार की एक परियोजना है जिसके माध्यम से गरीबों के काम करने के लिए एक सोसाइटी रजिस्टर एक्ट 1807 के अंतर्गत निबंधित है. इसका प्रारंभ 2 अक्टूबर 2007 को किया गया था. इस परियोजना के प्रथम चरण में राज्य के 6 जिला मधुबनी, मुजफ्फरपुर, खगड़िया ,नालंदा, गया और पूर्णिया के कुल 18 प्रखंडों में कार्य शुरू किया गया था.
आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग
2 अक्टूबर 2009 से इसका विस्तार उपयुक्त जिलों के 24 अन्य प्रखंडों के अतिरिक्त मधेपुरा और सुपौल जिला के एक-एक प्रखंड में किया गया. इसके बाद से इस संस्था का विस्तार राज्य के हर जिले में लगातार बढ़ते गया और इस संस्था से लाखों महिला जुड़कर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनी है. जीविका दीदी अब दूसरे राज्य में भी जाकर वहां की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए ट्रेनिंग दे रही हैं.
स्वावलंबी बनने के लिए प्रशिक्षण
देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से लोगों को काम नहीं मिल रहा है. जिससे वे अब पलायन कर रहे हैं. जो भी प्रवासी महिला अब अपने राज्य आ रही हैं, उन्हें जीविका से जोड़कर स्वावलंबी बनने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा. राज्य सरकार महिलाओं को जीविका समूह के माध्यम से आगे बढ़ा रही है. ताकि महिला सशक्तिकरण में बिहार आगे रहे. इससे महिलाएं अपनी आय की स्रोत भी बना रही हैं.
हुनर की पहचान
अर्थशास्त्री प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने बताया कि जो भी प्रवासी लोग बिहार आ रहे हैं, राज्य सरकार सही तरीके से उनकी हुनर की पहचान करके उनकी वित्तीय मदद करे तो बिहार देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना सकता है.