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हर गुरुवार को लगती है बोतलों की कतार, सुबह होता है पानी वाला 'चमत्कार'! पटना के इस मंदिर गए हैं क्या? - FAITH OR SUPERSTITION

मसौढ़ी में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग अपने कष्टों को दूर करने के लिए रातभर बोतल में पानी भरकर रखते हैं और फिर सुबह...

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर
त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 17, 2025, 7:51 PM IST

पटना : बिहार के पटना में एक ऐसा मंदिर है जहां हर गुरुवार को बोतलों की लंबी-लंबी लाइन लगती है. उस पानी को पाने के लिए यहां लोग दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि पानी चमत्कारी है और वह भूतप्रेत-बाधा, रूहानी ताकतों से छुटकारा और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है.

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर : ये मंदिर पटना जिला के मसौढ़ी स्थित शाहाबाद का है, जहां तीन पिंडियों वाली देवी माई का मंदिर है. यहां दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर के बारे में बताया जा रहा है कि यह सैकड़ों साल पुराना है. मान्यता है कि यहां पर श्रद्धालु अपने शारीरिक कष्टों का निवारण करने के लिए आते हैं. खास बात ये है कि इस मंदिर में रखे पानी को लोग दवा से कम नहीं मानते.

तीन पिंडियों वाला मंदिर (ETV Bharat)

तीन पिंडियों वाला मंदिर का महात्म्य: यह मंदिर भगवान भोलेनाथ के चरणपादुका और देवी माई की तीन पिंडियों के लिए प्रसिद्ध है. श्रद्धालु यहां आकर अपने बोतल में पानी भरकर मंदिर में रखते हैं, जहां यह पानी रातभर रखे जाने के बाद अगले दिन दवा के रूप में बदल जाता है. श्रद्धालु उस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए, नजर, भूत उतारने के लिए करते हैं.

'पानी बन जाता है दवा' : इस पानी को लोग अपने घर ले जाकर पीते हैं और इसका सेवन शारीरिक कष्टों, बुरी नजर या किसी अन्य बीमारी को ठीक करने के लिए करते हैं. इसे एक प्रकार की आस्था माना जाता है, जो लंबे समय से चली आ रही है.

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर
त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर (ETV Bharat)

''मान्यता है कि ब्रह्म स्थान पर रखा पानी उनकी सेहत ठीक रखता है. उनकी समस्याओं को दूर करता है. जो पीड़ित है उनको लगता है कि वो पानी पीने से ही स्वस्थ्य हो जा रहे हैं.''- स्थानीय निवासी

हर गुरुवार को लगती है बोतलों की लाइन : श्रद्धालुओं का मानना है कि ''देवी माई की कृपा से यह पानी दवा बन जाता है और उनकी बीमारियां दूर हो जाती हैं. यहां हर गुरुवार को लोग पानी से भरी बोतल लेकर आते हैं और मंदिर में रखकर अगले दिन उसे ले जाते हैं. यह प्रथा सैकड़ों सालों से चली आ रही है. श्रद्धालु इसका पालन करते हुए अपने कष्टों का समाधान पाते हैं.''

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर
त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर (ETV Bharat)

दूर-दूर तक फैली है ख्याति : इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी है. सावन के महीने, शिवरात्रि पूजा, पूर्णिमा जैसे विशेष अवसरों पर यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. पंचायत के मुखिया रवि प्रकाश ने बताया कि यह मंदिर ब्रह्मस्थान, गोरैया स्थान देवी माई के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

''यह विश्वास है कि यहां का पानी दवा बन जाता है. मेरा मानना है कि जब आस्था मजबूत होती है, तो व्यक्ति पूरी तरह से उस पर विश्वास करता है और नतीजे दिखते हैं.''- सुनीता कुमारी, मखदुमपुर, गया

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मंदिर के बाहर बैठे श्रद्धालु (ETV Bharat)

आस्था या अंधविश्वास ? : सवाल उठता है कि क्या कोई पानी पीने से कष्टों को दूर कर सकता है? इसका जवाब मेडिकल साइंस के पास है. पानी शरीर की जरूरत है. लेकिन इस तरह के पानी को मेडिकल साइंस मान्यता नहीं देता. नालंदा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुधीर कुमार का मानना है कि मेडिकल साइंस के नजरिए से आस्था का कोई महत्व नहीं. क्योंकि मेडिकल साइंस हर चीज को काफी गहराई से देखता है.

"मेडिकल साइंस और आस्था दो अलग-अलग चीजें हैं. मेडिकल साइंस हर चीज को गहराई से देखता है. जबकि आस्था वह होती है जिसपर व्यक्ति विश्वास करता है. हर व्यक्ति का विश्वास और आस्था अलग-अलग हो सकती है. हमें इसे सम्मान देना चाहिए"- डॉ सुधीर कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, नालंदा मेडिकल कॉलेज, पटना

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तीन पिंडियों वाली देवी माई का मंदिर (ETV Bharat)

नोट- ईटीवी भारत अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता

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पटना : बिहार के पटना में एक ऐसा मंदिर है जहां हर गुरुवार को बोतलों की लंबी-लंबी लाइन लगती है. उस पानी को पाने के लिए यहां लोग दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि पानी चमत्कारी है और वह भूतप्रेत-बाधा, रूहानी ताकतों से छुटकारा और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है.

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर : ये मंदिर पटना जिला के मसौढ़ी स्थित शाहाबाद का है, जहां तीन पिंडियों वाली देवी माई का मंदिर है. यहां दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर के बारे में बताया जा रहा है कि यह सैकड़ों साल पुराना है. मान्यता है कि यहां पर श्रद्धालु अपने शारीरिक कष्टों का निवारण करने के लिए आते हैं. खास बात ये है कि इस मंदिर में रखे पानी को लोग दवा से कम नहीं मानते.

तीन पिंडियों वाला मंदिर (ETV Bharat)

तीन पिंडियों वाला मंदिर का महात्म्य: यह मंदिर भगवान भोलेनाथ के चरणपादुका और देवी माई की तीन पिंडियों के लिए प्रसिद्ध है. श्रद्धालु यहां आकर अपने बोतल में पानी भरकर मंदिर में रखते हैं, जहां यह पानी रातभर रखे जाने के बाद अगले दिन दवा के रूप में बदल जाता है. श्रद्धालु उस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए, नजर, भूत उतारने के लिए करते हैं.

'पानी बन जाता है दवा' : इस पानी को लोग अपने घर ले जाकर पीते हैं और इसका सेवन शारीरिक कष्टों, बुरी नजर या किसी अन्य बीमारी को ठीक करने के लिए करते हैं. इसे एक प्रकार की आस्था माना जाता है, जो लंबे समय से चली आ रही है.

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर
त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर (ETV Bharat)

''मान्यता है कि ब्रह्म स्थान पर रखा पानी उनकी सेहत ठीक रखता है. उनकी समस्याओं को दूर करता है. जो पीड़ित है उनको लगता है कि वो पानी पीने से ही स्वस्थ्य हो जा रहे हैं.''- स्थानीय निवासी

हर गुरुवार को लगती है बोतलों की लाइन : श्रद्धालुओं का मानना है कि ''देवी माई की कृपा से यह पानी दवा बन जाता है और उनकी बीमारियां दूर हो जाती हैं. यहां हर गुरुवार को लोग पानी से भरी बोतल लेकर आते हैं और मंदिर में रखकर अगले दिन उसे ले जाते हैं. यह प्रथा सैकड़ों सालों से चली आ रही है. श्रद्धालु इसका पालन करते हुए अपने कष्टों का समाधान पाते हैं.''

त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर
त्रिपिंडी माई का चमत्कारी मंदिर (ETV Bharat)

दूर-दूर तक फैली है ख्याति : इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी है. सावन के महीने, शिवरात्रि पूजा, पूर्णिमा जैसे विशेष अवसरों पर यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. पंचायत के मुखिया रवि प्रकाश ने बताया कि यह मंदिर ब्रह्मस्थान, गोरैया स्थान देवी माई के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

''यह विश्वास है कि यहां का पानी दवा बन जाता है. मेरा मानना है कि जब आस्था मजबूत होती है, तो व्यक्ति पूरी तरह से उस पर विश्वास करता है और नतीजे दिखते हैं.''- सुनीता कुमारी, मखदुमपुर, गया

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मंदिर के बाहर बैठे श्रद्धालु (ETV Bharat)

आस्था या अंधविश्वास ? : सवाल उठता है कि क्या कोई पानी पीने से कष्टों को दूर कर सकता है? इसका जवाब मेडिकल साइंस के पास है. पानी शरीर की जरूरत है. लेकिन इस तरह के पानी को मेडिकल साइंस मान्यता नहीं देता. नालंदा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुधीर कुमार का मानना है कि मेडिकल साइंस के नजरिए से आस्था का कोई महत्व नहीं. क्योंकि मेडिकल साइंस हर चीज को काफी गहराई से देखता है.

"मेडिकल साइंस और आस्था दो अलग-अलग चीजें हैं. मेडिकल साइंस हर चीज को गहराई से देखता है. जबकि आस्था वह होती है जिसपर व्यक्ति विश्वास करता है. हर व्यक्ति का विश्वास और आस्था अलग-अलग हो सकती है. हमें इसे सम्मान देना चाहिए"- डॉ सुधीर कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, नालंदा मेडिकल कॉलेज, पटना

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तीन पिंडियों वाली देवी माई का मंदिर (ETV Bharat)

नोट- ईटीवी भारत अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता

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