पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के 7 सीटों पर 20 जून को चुनाव होना है. आरजेडी के 3 उम्मीदवारों ने नॉमिनेशन कर दिया है, लेकिन जदयू में अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा भी नहीं हुई है. विधान परिषद के खाली हो रहे 7 सीटों में जदयू के 5 सीट हैं और विधान परिषद चुनाव में केवल दो ही सीट अब जदयू को मिलेगा. ऐसे में 3 सीट का नुकसान जदयू को होगा. 2 सीट पर जदयू के अंदर काफी मारामारी है. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा सहित कई दावेदार हैं.
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जदयू को तीन सीट का नुकसान: वर्तमान में जिन पांच उम्मीदवारों का विधान पार्षदों का सीट खाली हो रहा है. दावेदारों में उनका नाम भी है. ऐसे में पार्टी के लिए उम्मीदवार का चयन आसान नहीं है. बिहार विधान परिषद के खाली हो रहे 7 सीटों में से 4 सीटें एनडीए को मिलेगा. जिसमें जेडीयू और बीजेपी के बीच दो-दो सीटों पर सहमति बन चुकी है. एक सीट को लेकर पिछले दिनों विवाद भी हुआ था. दोनों तरफ से एक सीट को लेकर जिस प्रकार से दावेदारी हो रही थी, उससे पेंच फंस रहा था. लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं ने बातचीत कर 2-2 सीट पर उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है.
दो सीटों पर हैं कई दावेदार: जदयू और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे के बाद भी जदयू को 3 सीट का नुकसान होगा. जदयू के जिन विधान पार्षदों का सीट खाली हो रहा है, उसमें सीपी सिन्हा, रणविजय सिंह, गुलाम रसूल बलियावी, कमर आलम और रोजीना का सीट शामिल है. पांच विधान पार्षदों में तीन मुस्लिम है और इसलिए इनमे से किसी एक का रिपीट होना तय माना जा रहा है. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का नाम भी चर्चा में है.
जदयू के लिए प्रत्याशी चयन कठिन: पार्टी कार्यालय में लंबे समय से कार्य कर रहे राष्ट्रीय सचिव रविंद्र सिंह का नाम भी इस बार चर्चा में है. पिछली बार एमएलसी के लिए चयन नहीं होने पर रविंद्र सिंह नाराज हो गए थे. बाद में मुख्यमंत्री ने उन्हें मनाया था. इसके साथ पार्टी के कुछ प्रवक्ता भी दावेदारों में है. इसलिए जदयू के लिए उम्मीदवारों का चयन आसान नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी कहना है कि जदयू के लिए उम्मीदवार का चयन काफी कठिन है. यहां तो उन्हें 3 सीट का नुकसान हो रहा है और पार्टी में कई दावेदार हैं.
"बिहार विधानसभा में जदयू के 45 विधायक हैं और एक निर्दलीय जो मंत्री हैं सुमित सिंह उनका भी समर्थन है. एक उम्मीदवार के चयन के बाद 15 वोट से रह जाएगा. दूसरी तरफ बीजेपी के 77 विधायक हैं तो 2 उम्मीदवार के चयन के बाद 15 वोट शेष रह जाएगा. चार विधायक जीतन राम मांझी के हैं, तो इस हिसाब से देखें तो 34 वोट हैं और जदयू का दूसरा उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत जाएगा. लेकिन सबसे दिलचस्प है कि जदयू में इस बार नीतीश कुमार किसके नाम पर मुहर लगाते हैं. राज्यसभा की तरह कहीं विधान परिषद के चुनाव में भी चौकानेवाले उम्मीदवार भी दे सकते है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ
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