पटना : 2024 लोकसभा चुनाव में भले ही 8 से 9 महीने का समय बचा है, लेकिन अभी से ही जेडीयू चुनावी मोड में दिखने लगी है. जेडीयू की तीन बड़ी मुहिम अगस्त में शुरू होने वाली है. इन अभियानों के जरिए दलितों, मुस्लिमों और अति पिछड़ों को लुभाने की कोशिश की जाएगी. पार्टी अपनी पूरी ताकत तीनों अभियान में लगाने जा रही है. इसमें कई मंत्रियों, विधायकों और विधान पार्षदों को अलग-अलग जिम्मेवारी दी गई है.
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अगस्त में शुरू होगी तीनों मुहीम : 1 अगस्त से भाईचारा यात्रा शुरू होगा. इससे मुस्लिमों को साधने की कोशिश होगी. 6 अगस्त से कर्पूरी चर्चा की शुरुआत होगी. इससे अति पिछड़ों को साधने का प्रयास होगा और 15 अगस्त से भीम संवाद के दूसरे फेज में ग्राम संसद सद्भाव की बात के माध्यम से दलितों को रिझाने की कोशिश की जाएगी. तीनों अभियान में पार्टी के सांसद, विधायक और मंत्री शामिल होंगे. 2024 को लेकर जदयू का बिहार में यह बड़ा अभियान है.
2019 में जेडीयू को मिला था बीजेपी का साथ : 2019 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव लड़े थे और एनडीए को 40 में से 39 लोकसभा की सीट मिली थी. इसमें जदयू के 17 में से 16 उम्मीदवार चुनाव जीते थे और बीजेपी के 17 में से 17 उम्मीदवार चुनाव जीते थे. वहीं लोजपा को 6 सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज से 1 सीट पर जीत मिली थी और आरजेडी का खाता तक नहीं खुला था, लेकिन नीतीश कुमार पिछले साल ही महागठबंधन में चले गए और 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों को जोड़ने का अभियान चला रहे हैं.
2024 के लिए शुरू हो गई है विपक्षी एकता की मुहिम : सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की पटना से शुरुआत की. बेंगलुरु में दूसरी बैठक हो चुकी है और तीसरी बैठक अब मुंबई में होने वाली है, लेकिन इन बैठकों से इतर नीतीश कुमार बिहार में अति पिछड़ों मुस्लिम और दलितों को रिझाने के लिए अगस्त में बड़ा अभियान शुरू करने जा रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इसमें लगाया गया है. मंत्री से लेकर सांसद और विधायक तक इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी ताकत लगाएंगे.
जेडीयू के कोर वोट बैंक भी प्रभावित : जदयू से उपेंद्र कुशवाहा के बाहर निकलने के कारण नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक लव-कुश पर असर पड़ा है. उसके बाद रही सही कसर जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से निकलकर कर दी है. पहले से ही चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ हैं. दलित और कुशवाहा वोट बैंक के बाद बीजेपी की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर भी है और इसीलिए नीतीश कुमार ने अपने पार्टी नेताओं को अति पिछड़ा वोट बैंक के साथ मुस्लिम और दलित वोट बैंक को साधने के लिए बड़ी जिम्मेवारी दी है.
मुस्लिम वोटबैंक पर नीतीश की पकड़ हुई है ढीली : एआईएमआईएम के आने के बाद मुस्लिम वोट बैंक पर नीतीश कुमार की पकड़ ढीली हुई है. विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका था. हालांकि इस बार आरजेडी नीतीश कुमार के साथ है, लेकिन उसके बावजूद पार्टी अपनी तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसी सब को लेकर अगस्त में जदयू का 3 बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है.
"पार्टी 2024 के लिए इन कार्यक्रमों को चलाने का फैसला लिया है. इसमें पार्टी के नेता सरकार के कामकाज को जनता के बीच तक ले जाएंगे." -उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष जदयू
करवाने इतेहाद भाईचारा अभियान : मुस्लिमों को रिझाने के लिए नीतीश कुमार ने अपने एमएलसी खालिद अनवर को भाईचारा यात्रा निकालने की जिम्मेदारी दी है. चंपारण से 1 अगस्त से यह यात्रा शुरू होगी. यह यात्रा 3 चरणों में संपन्न होगी. सितंबर में यह यात्रा समाप्त होगी. पार्टी के एकमात्र मुस्लिम मंत्री जमा खान यात्रा में शामिल होंगे. उनके अलावा मंत्री अशोक चौधरी और मंत्री श्रवण कुमार को भी लगाया गया है. सीमांचल के चार जिला मुस्लिम बहुल है उसके अलावा 1 दर्जन से अधिक सीटों पर मुस्लिमों का प्रभाव है. इसलिए पार्टी ने 26 जिला में यह यात्रा करने की तैयारी की है.
कर्पूरी चर्चा : कर्पूरी ठाकुर बिहार में अति पिछड़ों के बड़े नेता माने जाते हैं. नीतीश कुमार कर्पूरी चर्चा के बहाने अति पिछड़ों को अपने साथ जोड़ने की तैयारी कर रहे हैं.6 अगस्त से जदयू की ओर से प्रखंड स्तर पर कर्पूरी चर्चा का आयोजन किया जाएगा जो अगले साल 24 जनवरी तक चलेगा. अति पिछड़ा वोट बैंक नीतीश कुमार के साथ लंबे समय से है, लेकिन बीजेपी की भी इस वोट बैंक पर नजर है और इसलिए नीतीश कुमार यह वोट बैंक छूट न जाए अपने पार्टी नेताओं को इस अभियान में लगाया है.
भीम संवाद : इसके अलावा 15 अगस्त से ग्राम संसद सद्भाव की बात कार्यक्रम के माध्यम से दलितों की बस्ती में जदयू नेता जाएंगे . पार्टी ने पहले भी भीम संवाद का कार्यक्रम किया था. अब भीम संवाद का दूसरा फेज शुरू होने जा रहा है. पंचायत स्तर पर यह कार्यक्रम होगा. यह कार्यक्रम 31 अगस्त तक चलेगा इसमें भी पार्टी के दलित नेताओं को विशेष रूप से लगाया गया है.
नीतीश कुमार करेंगे अभियानों की माॅनिटरिंग : तीनों कार्यक्रम की मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं. पार्टी नेताओं को जिम्मेवारी दी गई है. सरकार के कामकाज को जन-जन तक बताना है और बीजेपी के खिलाफ जागरूक करना है. कुल मिलाकर 2024 को लेकर जदयू का बड़ा अभियान शुरू हो चुका है.
पार्टी पूरी तरह से चुनावी मोड में है और बीजेपी के खंड यंत्र का पर्दाफाश करेगी. जिससे बिहार में एक भी वोट का नुकसान महागठबंधन को नहीं हो." - जमा खान, मंत्री, अल्पसंख्यक कल्याण
जेडीयू नहीं छोड़ रही कोई कोर-कसर : वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी कहना है कि "नीतीश कुमार की कोशिश है कि उनकी पार्टी बिहार में कमजोर ना हो जाए, क्योंकि फिलहाल जदयू के 16 सीटिंग सांसद हैं और 2024 में पार्टी के प्रदर्शन पर ही आगे की रणनीति निर्भर करेगी और इस मामले में पार्टी किसी तरह से कमजोर नहीं रहना चाहती है और इसलिए नीतीश कुमार की नजर अति पिछड़ों दलितों और मुसलमानों पर है जो लंबे समय तक इनके साथ रहा है".
अभियान में महागठबंधन शामिल नहीं: बिहार में महागठबंधन है, लेकिन इन कार्यक्रमों में जदयू ने महागठबंधन के घटक दलों को पूरी तरह से अलग रखा है. यह कार्यक्रम जदयू का एकला चलो अभियान है. एक तरफ नीतीश कुमार पूरे देश में विपक्षी एकजुटता का अभियान चला रहे हैं तो बिहार में अपनी पार्टी को मजबूत और धारदार बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं. इसका कितना लाभ जदयू को मिलेगा यह तो 2024 लोकसभा चुनाव में ही पता चल पाएगा.