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JDU ने तीन तलाक विधेयक का किया विरोध, कहा- कानून बनाकर रिश्ते का फैसला नहीं कर सकते

लोकसभा में पास हुए तीन तलाक बिल का जेडीयू लगातार विरोध कर रही है. पार्टी का कहना है कि तीन तलाक एक सामुदायिक समस्या है जिसका समाधान उस समुदाय के लोगों को जागरूक करने से निकलेगा, न कि कानून बनाने से. यह बिल लोगों की भावना को आहत कर सकता है.

triple talaq bill
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Published : Jul 26, 2019, 12:47 PM IST

नई दिल्ली/पटना : भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू के सदस्य गुरुवार को लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए. इस दौरान पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के नेताओं की सहायता से जन जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.

मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान जेडीयू के सदस्य राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस विधेयक से समाज को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि बिल समाज में एक अलग भावना पैदा करेगा, क्योंकि कोई भी नहीं चाहता है कि पत्नी और पति के बीच संबंधों में मतभेद हो.

चोट पहुंचाएगा ट्रिपल तलाक बिल- JDU
राजीव रंजन ने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक मुद्दा है और इसे सामाजिक स्तर पर हल किया जाना चाहिए. एक पति और पत्नी के बीच का रिश्ता आपसी स्वीकृति पर आधारित होता है. आप एक कानून बनाकर रिश्ते का फैसला नहीं कर सकते. कोई भी पति और पत्नी के बीच के लगाव और प्यार को खत्म नहीं करना चाहता. अगर आप कानून का इस्तेमाल कर इसे रोकते हैं तो यह एक एक विशेष समुदाय को चोट पहुंचाएगा.

'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेनी चाहिए मदद'

सांसद ने यह भी कहा कि कोई भी तलाक को पसंद नहीं करेगा. आपको इसे उस समुदाय पर छोड़ देना चाहिए. सरकार को केवल सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने का प्रयास करना चाहिए. 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम समुदाय में जागरूकता लाने में मदद करेगा.

'सामाजिक स्तर पर करें जागरूक'
इसके बाद सांसद बोले कि सरकार को उस समुदाय के प्रमुख सदस्यों की मदद से समाज में जागरूकता पैदा करनी चाहिए. सरकार के स्वच्छता अभियान का हवाला देते हुए सांसद ने पूछा कि स्वच्छता पर कोई कानून क्यों नहीं था और अपराधियों को जेल क्यों नहीं हो रही थी.

'कानून का होगा दुरुपयोग'
अन्य कानूनों के दुरुपयोग का उदाहरण देते हुए बोले कि आपने दहेज विरोधी कानून और धारा 498 बनाया, लेकिन इन कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसलिए आप ऐसा कोई अन्य कानून बनाएंगे, तो इसका भी दुरुपयोग किया जाएगा. राजीव रंजन ने सवालिया अंदाज में कहा कि कौन साबित करेगा कि पति ने तीन तालक कहा है या नहीं?

नीतीश कुमार ने किया बिल का विरोध
गौरतलब है कि विधेयक में तीन तलाक पर अंकुश लगाने के साथ पति को तीन साल की जेल का प्रावधान है. इसका उद्देश्य विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और पतियों द्वारा तीन तलाक मांगने पर रोक लगाना है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है.

BJP-JDU के बीच मतभेद
तीन तलाक के अलावा भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जदयू का उससे अन्य मुद्दों जैसे अनुच्छेद-370, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर पर भी मतभेद है.

नई दिल्ली/पटना : भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू के सदस्य गुरुवार को लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए. इस दौरान पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के नेताओं की सहायता से जन जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.

मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान जेडीयू के सदस्य राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस विधेयक से समाज को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि बिल समाज में एक अलग भावना पैदा करेगा, क्योंकि कोई भी नहीं चाहता है कि पत्नी और पति के बीच संबंधों में मतभेद हो.

चोट पहुंचाएगा ट्रिपल तलाक बिल- JDU
राजीव रंजन ने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक मुद्दा है और इसे सामाजिक स्तर पर हल किया जाना चाहिए. एक पति और पत्नी के बीच का रिश्ता आपसी स्वीकृति पर आधारित होता है. आप एक कानून बनाकर रिश्ते का फैसला नहीं कर सकते. कोई भी पति और पत्नी के बीच के लगाव और प्यार को खत्म नहीं करना चाहता. अगर आप कानून का इस्तेमाल कर इसे रोकते हैं तो यह एक एक विशेष समुदाय को चोट पहुंचाएगा.

'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेनी चाहिए मदद'

सांसद ने यह भी कहा कि कोई भी तलाक को पसंद नहीं करेगा. आपको इसे उस समुदाय पर छोड़ देना चाहिए. सरकार को केवल सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने का प्रयास करना चाहिए. 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम समुदाय में जागरूकता लाने में मदद करेगा.

'सामाजिक स्तर पर करें जागरूक'
इसके बाद सांसद बोले कि सरकार को उस समुदाय के प्रमुख सदस्यों की मदद से समाज में जागरूकता पैदा करनी चाहिए. सरकार के स्वच्छता अभियान का हवाला देते हुए सांसद ने पूछा कि स्वच्छता पर कोई कानून क्यों नहीं था और अपराधियों को जेल क्यों नहीं हो रही थी.

'कानून का होगा दुरुपयोग'
अन्य कानूनों के दुरुपयोग का उदाहरण देते हुए बोले कि आपने दहेज विरोधी कानून और धारा 498 बनाया, लेकिन इन कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसलिए आप ऐसा कोई अन्य कानून बनाएंगे, तो इसका भी दुरुपयोग किया जाएगा. राजीव रंजन ने सवालिया अंदाज में कहा कि कौन साबित करेगा कि पति ने तीन तालक कहा है या नहीं?

नीतीश कुमार ने किया बिल का विरोध
गौरतलब है कि विधेयक में तीन तलाक पर अंकुश लगाने के साथ पति को तीन साल की जेल का प्रावधान है. इसका उद्देश्य विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और पतियों द्वारा तीन तलाक मांगने पर रोक लगाना है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है.

BJP-JDU के बीच मतभेद
तीन तलाक के अलावा भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जदयू का उससे अन्य मुद्दों जैसे अनुच्छेद-370, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर पर भी मतभेद है.

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नई दिल्ली/पटना : भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू के सदस्य गुरुवार को लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए. इस दौरान पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के नेताओं की सहायता से जन जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.



मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान जेडीयू के सदस्य राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस विधेयक से समाज को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि बिल समाज में एक अलग भावना पैदा करेगा, क्योंकि कोई भी नहीं चाहता है कि पत्नी और पति के बीच संबंधों में मतभेद हो.

चोट पहुंचाएगा ट्रिपल तलाक बिल- JDU

राजीव रंजन ने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक मुद्दा है और इसे सामाजिक स्तर पर हल किया जाना चाहिए. एक पति और पत्नी के बीच का रिश्ता आपसी स्वीकृति पर आधारित होता है. आप एक कानून बनाकर रिश्ते का फैसला नहीं कर सकते. कोई भी पति और पत्नी के बीच के लगाव और प्यार को खत्म नहीं करना चाहता. अगर आप कानून का इस्तेमाल कर इसे रोकते हैं तो यह एक एक विशेष समुदाय को चोट पहुंचाएगा.

'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेनी चाहिए मदद'

सांसद ने यह भी कहा कि कोई भी तलाक को पसंद नहीं करेगा. आपको इसे उस समुदाय पर छोड़ देना चाहिए. सरकार को केवल सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने का प्रयास करना चाहिए. 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम समुदाय में जागरूकता लाने में मदद करेगा.

'सामाजिक स्तर पर करें जागरूक'

इसके बाद सांसद बोले कि सरकार को उस समुदाय के प्रमुख सदस्यों की मदद से समाज में जागरूकता पैदा करनी चाहिए. सरकार के स्वच्छता अभियान का हवाला देते हुए सांसद ने पूछा कि स्वच्छता पर कोई कानून क्यों नहीं था और अपराधियों को जेल क्यों नहीं हो रही थी.

'कानून का होगा दुरुपयोग'

अन्य कानूनों के दुरुपयोग का उदाहरण देते हुए बोले कि आपने दहेज विरोधी कानून और धारा 498 बनाया, लेकिन इन कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसलिए आप ऐसा कोई अन्य कानून बनाएंगे, तो इसका भी दुरुपयोग किया जाएगा. राजीव रंजन ने सवालिया अंदाज में कहा कि कौन साबित करेगा कि पति ने तीन तालक कहा है या नहीं?

नीतीश कुमार ने किया बिल का विरोध

गौरतलब है कि विधेयक में तीन तलाक पर अंकुश लगाने के साथ पति को तीन साल की जेल का प्रावधान है. इसका उद्देश्य विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और पतियों द्वारा तीन तलाक मांगने पर रोक लगाना है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है.

BJP-JDU के बीच मतभेद

तीन तलाक के अलावा भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जदयू का उससे अन्य मुद्दों जैसे अनुच्छेद-370, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर पर भी मतभेद है.


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