पटना: 2000 रुपये के नोट को बंद करने के आरबीआई के फैसले (RBI Demonitise 2000 Rupee Ban) पर बिहार में राजनीतिक बयानबाजी जारी है. इस मुद्दे पर कई सता पक्ष के नेता इसे सही ठहराने में लगे हैं. जबकि विपक्षी नेता इसे बार बार गलत ठहराने की कोशिश में लगे हुए हैं. बताया जाता है कि 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी. उस समय नीतीश कुमार ने इस फैसले का खुलकर स्वागत किया था. हालांकि उस समय भी सीएम नीतीश आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन की सरकार चला रहे थे, और इस बार भी बिहार में महागठबंधन की सरकार चल रही है.
"2016 में जब हम लोगों ने नोटबंदी का समर्थन किया था. उस समय यह कहा गया कि नोटबंदी पूरी तरह से भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ है. जबकि इस नोटबंदी से कोई फायदा नहीं हुआ".- सुनील कुमार सिंह, प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड
जेडीयू ने नोटबंदी का किया विरोध: सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड की सूर इस बार पूरी तरह से बदल गई है. पार्टी के कई नेता खुलकर नोटबंदी के विरोध में उतर आए हैं. जदयू प्रवक्ता सुनील कुमार सिंह का कहना है कि 2016 में जब हम लोगों ने नोटबंदी का समर्थन किया था. उस समय यह कहा गया कि नोटबंदी पूरी तरह से भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ है. जबकि इस नोटबंदी से कोई फायदा नहीं हुआ.
राजनीतिक मजबूरी के कारण विरोध: इधर, राजनीतिक विशेषज्ञ इसे नीतीश कुमार की राजनीतिक मजबूरी बता रहे हैं. क्योंकि इन दिनों विपक्षी एकजुटता के लिए नीतीश कुमार लगे हुए हैं. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल 2000 के नोट वापस लिए जाने का भी विरोध कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है नीतीश कुमार की यह राजनीतिक मजबूरी हो सकती है, क्योंकि सिचुएशन एक जैसी है. उनका फैसला इस बार अलग है. इससे लगता है कि सीएम नीतीश कुमार इस बार विपक्ष के साथ दिखना चाहते हैं.
"2000 का नोट बंद किए जाने से भ्रष्टाचारियों पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई है. इसीलिए इन विरोधियों में बेचैनी हो रही है".- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता बीजेपी
बीजेपी ने किया पलटवार: जेडीयू नेताओं के विरोध के बाद बीजेपी नेताओं ने इसे नीतीश कुमार और उनकी पार्टी की अवसरवादी राजनीति बताया. प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि 2000 का नोट बंद किए जाने से भ्रष्टाचारियों पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई है. इसीलिए इन विरोधियों में बेचैनी हो रही है. प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि आम लोग नोटबंदी से खुश हैं, लेकिन भ्रष्टाचारी परेशान है. अब जदयू क्यों विरोध में है यह तो वहीं पार्टी बता सकती है. कहा जाता है न विनाश काले विपरीत बुद्धि. इसी तरह से जदयू समाप्ति की ओर जा रही है.