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तारापुर में सम्राट चौधरी फैक्टर बेहद अहम, राजनीतिक अदावत भूलकर साथ चाह रहा है JDU

तारापुर (Tarapur) और कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) में जीत विधानसभा में समीकरण के लिहाज से एनडीए के लिए काफी महत्वपूर्ण है. हालांकि दोनों सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवार हैं, लेकिन जातिगत वोट बैंक साधने के लिए बीजेपी के नेताओं को भी आगे किया जा रहा है. खासकर सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) से अदावत भूलाकर सामने लाया जा रहा है.

तारापुर विधानसभा
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Published : Oct 2, 2021, 4:07 PM IST

पटना: बिहार में 2 सीटों पर उपचुनाव (By-election) होना है. एनडीए (NDA) और खासकर जेडीयू (JDU) की साख दांव पर है. पार्टी की ओर से दोनों सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए गए हैं. तारापुर (Tarapur) से जहां कुशवाहा जाति के उम्मीदवार पर दांव लगाया गया है, वहीं कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) से दलित उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है.

ये भी पढ़े: तारापुर उपचुनाव: JDU उम्मीदवार राजीव सिंह बोले- इस बार भी जीतेंगे जनता का भरोसा

दरअसल तारापुर विधानसभा सीट और कुशेश्वरस्थान सीट जेडीयू के खाते में थी. लिहाजा पार्टी हर हाल में दोनों सीटों को बचाना चाहेगी. तारापुर से मंत्री सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी कई बार विधायक रहे हैं. ऐसे में उनकी भूमिका वहां अहम हो सकती है. लिहाजा सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) को तमाम गिले-शिकवे भूलकर जेडीयू नेताओं ने मंच पर बिठाया और चुनाव प्रचार में भी उनका उपयोग किया जाएगा.

जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार में जब आर-पार की लड़ाई छिड़ी थी तब सम्राट चौधरी मजबूती के साथ जीतन राम मांझी के साथ खड़े थे. जीतन राम मांझी सरकार में सम्राट चौधरी नगर विकास मंत्री थे. मांझी के साथ नजदीकियों के चलते ही नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी में दूरी बढ़ गई. बाद में सम्राट चौधरी बीजेपी में आ गए लेकिन सम्राट चौधरी को नीतीश कुमार के साथ अदावत का खामियाजा कई बार भुगतना पड़ा.

ये भी पढ़े: महागठबंधन: तारापुर में RJD का नए चेहरे पर दांव, कुशेश्वरस्थान को लेकर संशय बरकरार

लोकसभा चुनाव में भी आश्वासन के बावजूद सम्राट चौधरी को टिकट नहीं मिल सका. वह खगड़िया या भागलपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे. खगड़िया सीट जहां एलजेपी के खाते में चली गई. वहीं भागलपुर पर जेडीयू ने दावा ठोक दिया. बिहार कैबिनेट के विस्तार में भी सम्राट चौधरी के नाम पर जेडीयू की ओर से आपत्ति जताई गई थी, लेकिन बीजेपी के स्टैंड के आगे जेडीयू को पीछे हटना पड़ा और सम्राट चौधरी मंत्री तो बन गए, लेकिन उन्हें विभाग उनके कद के हिसाब से नहीं मिला.

अब उपचुनाव में कुशवाहा वोट बैंक को साधने के लिए जेडीयू तारापुर में बीजेपी नेताओं को भी आगे कर रही है. सम्राट चौधरी के साथ जहां मंच साझा किया गया, वहीं चुनाव प्रचार में उनकी भूमिका को भी सुनिश्चित किए जाने की योजना है.

पटना: बिहार में 2 सीटों पर उपचुनाव (By-election) होना है. एनडीए (NDA) और खासकर जेडीयू (JDU) की साख दांव पर है. पार्टी की ओर से दोनों सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए गए हैं. तारापुर (Tarapur) से जहां कुशवाहा जाति के उम्मीदवार पर दांव लगाया गया है, वहीं कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) से दलित उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है.

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दरअसल तारापुर विधानसभा सीट और कुशेश्वरस्थान सीट जेडीयू के खाते में थी. लिहाजा पार्टी हर हाल में दोनों सीटों को बचाना चाहेगी. तारापुर से मंत्री सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी कई बार विधायक रहे हैं. ऐसे में उनकी भूमिका वहां अहम हो सकती है. लिहाजा सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) को तमाम गिले-शिकवे भूलकर जेडीयू नेताओं ने मंच पर बिठाया और चुनाव प्रचार में भी उनका उपयोग किया जाएगा.

जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार में जब आर-पार की लड़ाई छिड़ी थी तब सम्राट चौधरी मजबूती के साथ जीतन राम मांझी के साथ खड़े थे. जीतन राम मांझी सरकार में सम्राट चौधरी नगर विकास मंत्री थे. मांझी के साथ नजदीकियों के चलते ही नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी में दूरी बढ़ गई. बाद में सम्राट चौधरी बीजेपी में आ गए लेकिन सम्राट चौधरी को नीतीश कुमार के साथ अदावत का खामियाजा कई बार भुगतना पड़ा.

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लोकसभा चुनाव में भी आश्वासन के बावजूद सम्राट चौधरी को टिकट नहीं मिल सका. वह खगड़िया या भागलपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे. खगड़िया सीट जहां एलजेपी के खाते में चली गई. वहीं भागलपुर पर जेडीयू ने दावा ठोक दिया. बिहार कैबिनेट के विस्तार में भी सम्राट चौधरी के नाम पर जेडीयू की ओर से आपत्ति जताई गई थी, लेकिन बीजेपी के स्टैंड के आगे जेडीयू को पीछे हटना पड़ा और सम्राट चौधरी मंत्री तो बन गए, लेकिन उन्हें विभाग उनके कद के हिसाब से नहीं मिला.

अब उपचुनाव में कुशवाहा वोट बैंक को साधने के लिए जेडीयू तारापुर में बीजेपी नेताओं को भी आगे कर रही है. सम्राट चौधरी के साथ जहां मंच साझा किया गया, वहीं चुनाव प्रचार में उनकी भूमिका को भी सुनिश्चित किए जाने की योजना है.

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