पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि हमने खबर सुनी , इसका अंदेशा पहले से ही था. उन्होंने कहा कि वो इस संबंध में पिछले दो दिनों से सुन रहे थे कि उपेन्द्र कुशवाहा नई पार्टी बना रहे हैं. उपेन्द्र कुशवाहा की बुलाई बैठक में कोई जेडीयू का कार्यकर्ता नहीं था. नई पार्टी बनाए हैं तो हमारी ओर से उनको शुभकामनाएं.
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''उपेन्द्र कुशवाहा अपने दिमाग में एक स्थान बना चुके हैं. दिसंबर से ही उनका काम चल रहा था. हम लोग जान रहे थे कि वो किस दिशा में जा रहे हैं. कहीं पर निगाह कहीं पर निशाना था. कह रहे थे कि जेडीयू कमजरो हो रहा है. 72 लाख मेंबर बने लेकिन आपने कितना बनाया.'' - ललन सिंह, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष
'हमें पता था कि वो पार्टी बनाने वाले हैं': ललन सिंह ने कहा कि जब वो दिल्ली-पटना कर रहे थे तो उनके कुनबे के साथी ही हमें सूचना दे रहे थे कि वो पार्टी बनाने जा रहे हैं. लेकिन वो जहां जा रहे हैं वहां कम से कम टिके रहें. तंज कसते हुए ललन सिंह ने कहा कि जब उन्होंने जेडीयू ज्वाइन किया था तो कहा था कि जीना और मरना यहीं है.
कुशवाहा के जाने से हमे कोई नुकसान नहीं: ऐसा ही पहले जब एनडीए गठबंधन से निकले तो राजद के साथ गठबंधन करना चहाते थे. अपने पूरे राजनीतिक जीवन में उपेंद्र कुशवाहा ने कर्पूरी ठाकुर की किस विचारधारा को आगे बढ़ाया है. इससे पहले भी वो बाहर गए, लोकसभा चुनाव में कोई नुकसान नहीं होगा. डील के बारे में वो क्या समझते हैं, वो ही बताएंगे. जेडीयू का अस्तित्व है और रहेगा. 2025 में सीएम कौन होगा, वो तब देखेंगे.
'बार-बार उपेन्द्र को सीएम नीतीश ने दिया सम्मान' : उपेन्द्र कुशवाहा को आड़े हाथ लेते हुए ललन सिंह ने कहा कि उन्हें पहली बार नेता बनाने का काम सीएम नीतीश ने ही किया था. उस वक्त उन्हें लेने को कोई तैयार नहीं था. तब उनको नीतीश ने ही सम्मान दिया. लेकिन उसके बावजूद वो फिर नीतीश को छोड़कर चले गए. इसके बाद फिर सीएम नीतीश से वापसी की इच्छा जताई. उन्हें फिर जेडीयू में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लेकर आए फिर उन्हें सम्मान दिया. राज्यसभा भेजा. लेकिन पार्टी विरोधी कार्य करते रहे. तब भी ये कोई कार्यकर्ता नहीं चाहता था कि उपेन्द्र कुशवाहा जेडीयू में आए. सीएम नीतीश ने सबको दरकिनार कर उनको पार्टी में लिया.