नई दिल्ली/पटना: बिहार की राजनीति में तेजी से बदलाव हो रहे हैं. एक तरफ जहां एलजेपी बिखर गई है और चिराग पासवान (Chirag Paswan) की जगह पशुपति पारस (Pashupati Paras) के नेतृत्व में नया खेमा तैयार हो चुका है, वहीं दूसरी तरफ जेडीयू भी खुलकर उनके समर्थन में सामने आ गई है. पार्टी के कद्दावर नेता ललन सिंह (Lalan Singh) ने वीणा देवी (Veena Devi) से उनके आवास पर मुलाकात की.
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सभी बागी सांसदों से ललन सिंह की बातचीत
नीतीश कुमार के बेहद करीबी और मुंगेर से जेडीयू सांसद ललन सिंह ने थोड़ी देर पहले एलजेपी की वैशाली से सांसद वीणा देवी से मुलाकात की. उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर जाकर उनसे भेंट की. ललन सिंह काफी देर तक वहां रुके. वीणा देवी के अलावे वहां एलजेपी के अन्य बागी सांसद भी मौजूद थे. ललन ने सभी सांसदों के साथ बातचीत की, फिर वहां से निकल गए.
ललन सिंह के आगमन के मायने
ललन सिंह के वीणा देवी के आवास पर आने और सभी सांसदों से मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्योंकि राजनीतिक हलकों में ये चर्चा जोरों पर है कि जेडीयू और नीतीश कुमार की पहल पर ही एलजेपी में टूट हुई है. इस पूरे सियासी घटनाक्रम का सूत्रधार ललन सिंह को ही बताया जा रहा है. वैसे भी जोड़तोड़ की राजनीति में ही माहिर माने जाते हैं.
बधाई देने आए थे- कैसर
हालांकि खगड़िया से एलजेपी के सांसद महबूब अली कैसर ने ललन सिंह से मुलाकात को औपचारिक बताया. उन्होंने कहा कि जिस परिस्थिति में एलजेपी में चीजें बदली हैं, वैसे में ललन सिंह हम लोगों को बधाई देने आए थे. हमने उन्हें बताया कि अब चिराग पासवान नहीं, पशुपति कुमार पारस हमारे नेता हैं. हम लोग आगे भी एनडीए का हिस्सा रहेंगे.
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जेडीयू में विलय की अटकलें
एलजेपी के तमाम नेता भले ही दावा कर रहे हैं कि पार्टी में टूट नहीं हुई है, केवल नेतृत्व बदला है. हम लोग आगे भी एलजेपी के नाम से पार्टी में रहेंगे, लेकिन चर्चा जोरों पर है कि आने वाले दिनों में ये लोग अपने नए गुट का जेडीयू में विलय कर सकते हैं. क्योंकि पशुपति पारस नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे हैं. चिराग पासवान के विरोध के बीच वो लगातार नीतीश कुमार की तारीफ करते रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि एलजेपी में बिखराव की स्क्रिप्ट वास्तव में नीतीश कुमार और जेडीयू ने ही लिखी है. अब इस बीच ललन सिंह का बागी सांसदों से मिलना, जाहिर तौर पर इन अटकलों को हवा देता है.
6 में से 5 सांसदों की बगावत
दरअसल एलजेपी के 6 में से 5 सांसदों ने पशुपति पारस के नेतृत्व में अलग गुट बना लिया है. सभी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर अपना पक्ष साफ कर दिया है. जिन लोगों ने बगावत की है, उनमें हाजीपुर से पशुपति पारस, वैशाली से वीणा देवी, नवादा से चंदन कुमार सिंह, समस्तीपुर से प्रिंस राज और खगड़िया से महबूब अली कैसर शामिल हैं. हालांकि इन्हें मनाने के लिए चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस से मिलने उनके आवास भी गए थे, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई.
कौन हैं पांचों सांसद:-
पशुपति कुमार पारस: पशुपति कुमार पारस अलौली से पांच बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने जेएनपी उम्मीदवार के रूप में 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. तब से वे एलकेडी, जेपी और एलजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया. हाजीपुर से 2019 का संसदीय चुनाव जीता और संसद के सदस्य बने. इसके अलावा, वे लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
प्रिंस राज: समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. वे बिहार एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. 25 साल की उम्र में प्रिंस ने वर्ष 2015 में समस्तीपुर के रोसड़ा विधानसभा चुनाव लड़ा. हालांकि तब उन्हें चुनाव में शिकस्त मिली. प्रिंस राज अपने पिता रामचंद्र पासवान के साथ लगातार राजनीति में सक्रिय रहे. पिता रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उप चुनाव में प्रिंस राज समस्तीपुर में एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और शानदार जीत हासिल की.
महबूब अली कैसर: चौधरी महबूब अली कैसर कांग्रेस से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह बिहार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय चौधरी सलाहुद्दीन के पुत्र हैं. उन्होंने बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया है. 2014 के आम चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए. फिलहाल खगड़िया से सांसद हैं.
वीणा देवी: वीणा देवी वैशाली से सांसद हैं. वह बिहार विधानसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं. 2019 आम चुनाव में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर वैशाली से चुनाव लड़ा और आरजेडी के दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर लोक सभा पहुंची.
चंदन सिंह: चंदन सिंह नवादा से सांसद है. इनकी सबसे बड़ी पहचान ये है कि ये सूरजभान सिंह के भाई हैं. सूरजभान सिंह एलजेपी नेता सह पूर्व सांसद हैं.