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CAB को समर्थन देने पर जदयू नेता ने लिखा नीतीश कुमार को पत्र, पुनर्विचार की मांग

इससे पहले पार्टी के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने इस विधेयक के पार्टी के समर्थन किए जाने का विरोध करते हुए पार्टी के इस फैसले को निराशाजनक बताया है

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Published : Dec 10, 2019, 10:12 PM IST

JDU leader appeals to Nitish Kumar for reconsideration on support to CAB
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पटना: बिहार में सत्ताधारी जेडीयू ने मंगलवार को लोकसभा में भले ही नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया हो लेकिन अब इसे लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं.

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा के बाद विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने भी नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पार्टी के समर्थन पर नाराजगी जताते हुए नीतीश कुमार से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

बलियावी ने पत्र में लिखा, 'माननीय मुख्यमंत्री, सह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष. इस समय पूरे देश और विशेष कर बिहार, झारखंड, बंगाल एवं असम में आम लोगों का बराबर दबाव आ रहा है कि आपके नेता की कर्मठता की जो पहचान रही है वो गलत को गलत कहने की रही है चाहे वो बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का मामला हो अथवा तीन तलाक, अनुच्छेद-370 एवं एनआरसी का मामला हो. संविधान विरोधी प्रस्ताव को नकारना और हर संप्रदाय एवं भारतीय नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों के समर्थन में आना ही आपकी पहचान है. वर्तमान में नागरिकता संशोधन बिल का हमारी पार्टी द्वारा लोकसभा में समर्थन किये जाने से अल्पसंख्यकों, विशेष कर मुस्लिमों के बीच जो बेचैनी एवं परेशानी उत्पन्न हुई है. इसके संबंध में आपसे पार्टी द्वारा लिये गये निर्णय पर गंभीरता से पुनर्विचार की आग्रह करता हूं.'

प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जता चुके हैं विरोध
इससे पहले पार्टी के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने इस विधेयक के पार्टी के समर्थन किए जाने का विरोध करते हुए पार्टी के इस फैसले को निराशाजनक बताया है. वर्मा ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

विधेयक को बताया असंवैधानिक
पार्टी के नेता पवन वर्मा ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा, 'मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर समर्थन पर दोबारा विचार करें. यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है. यह विधेयक जेडीयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगर आज गांधी जी होते तो इसका विरोध करते.'

पीके ने भी ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की
इससे पहले प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक पर जेडीयू के समर्थन से निराशा हुई है. यह विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है, जो भेदभाव पूर्ण है.'

पीके ने धर्मनिरपेक्षता याद दिलाई
प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके. उन्होंने पार्टी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, 'जेडीयू के द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन पार्टी के संविधान के से भी अलग है, जिसमें पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द तीन बार लिखा हुआ है.'

लोकसभा में जदयू ने बिल का किया समर्थन
किशोर ने सीधे पार्टी के नेतृत्वकर्ता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट कर आगे लिखा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक पर पार्टी का समर्थन पार्टी के नेतृत्व के विचारधारा से मेल नहीं खाता है, जो कि महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है.'बता दें कि बिहार में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रही जेडीयू ने मंगलवार को लोकसभा में पेश नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया.

पटना: बिहार में सत्ताधारी जेडीयू ने मंगलवार को लोकसभा में भले ही नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया हो लेकिन अब इसे लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं.

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा के बाद विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने भी नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पार्टी के समर्थन पर नाराजगी जताते हुए नीतीश कुमार से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

बलियावी ने पत्र में लिखा, 'माननीय मुख्यमंत्री, सह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष. इस समय पूरे देश और विशेष कर बिहार, झारखंड, बंगाल एवं असम में आम लोगों का बराबर दबाव आ रहा है कि आपके नेता की कर्मठता की जो पहचान रही है वो गलत को गलत कहने की रही है चाहे वो बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का मामला हो अथवा तीन तलाक, अनुच्छेद-370 एवं एनआरसी का मामला हो. संविधान विरोधी प्रस्ताव को नकारना और हर संप्रदाय एवं भारतीय नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों के समर्थन में आना ही आपकी पहचान है. वर्तमान में नागरिकता संशोधन बिल का हमारी पार्टी द्वारा लोकसभा में समर्थन किये जाने से अल्पसंख्यकों, विशेष कर मुस्लिमों के बीच जो बेचैनी एवं परेशानी उत्पन्न हुई है. इसके संबंध में आपसे पार्टी द्वारा लिये गये निर्णय पर गंभीरता से पुनर्विचार की आग्रह करता हूं.'

प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जता चुके हैं विरोध
इससे पहले पार्टी के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने इस विधेयक के पार्टी के समर्थन किए जाने का विरोध करते हुए पार्टी के इस फैसले को निराशाजनक बताया है. वर्मा ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

विधेयक को बताया असंवैधानिक
पार्टी के नेता पवन वर्मा ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा, 'मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर समर्थन पर दोबारा विचार करें. यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है. यह विधेयक जेडीयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगर आज गांधी जी होते तो इसका विरोध करते.'

पीके ने भी ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की
इससे पहले प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक पर जेडीयू के समर्थन से निराशा हुई है. यह विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है, जो भेदभाव पूर्ण है.'

पीके ने धर्मनिरपेक्षता याद दिलाई
प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके. उन्होंने पार्टी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, 'जेडीयू के द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन पार्टी के संविधान के से भी अलग है, जिसमें पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द तीन बार लिखा हुआ है.'

लोकसभा में जदयू ने बिल का किया समर्थन
किशोर ने सीधे पार्टी के नेतृत्वकर्ता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट कर आगे लिखा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक पर पार्टी का समर्थन पार्टी के नेतृत्व के विचारधारा से मेल नहीं खाता है, जो कि महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है.'बता दें कि बिहार में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रही जेडीयू ने मंगलवार को लोकसभा में पेश नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया.

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