पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जदयू की तरफ से नीतीश कुमार को लेकर नारों पर सियासत तेज हो गई है. जदयू आगामी चुनाव को लेकर पोस्टर के जरिए अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रही है. हालांकि जदयू के स्लोगन पर जमकर बवाल हुआ. इसके बाद जेडीयू ने अपनी नई रणनीति के तहत स्लोगन में बदलाव किया है. पार्टी ने दूसरे स्लोगन का आकर्षक पोस्टर लगाया है.
जदयू पार्टी ऑफिस के बाहर स्लोगन के साथ एक बड़ा पोस्टर लगा, जिसमें लिखा था, 'क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार'. 2 सितंबर को जारी किए गए स्लोगन वाले पोस्टर पर विपक्ष ने जमकर हमला किया. विपक्ष ने इस स्लोगन पर तंज कसा था कि चुनाव से पहले जदयू में हताशा को प्रदर्शित कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि सीएम चाचा का कॉन्फिडेंस लूज हो गया है. उनसे सत्ता संभल नहीं रहा. बिहार में हर तरफ अपराध चरम सीमा पर है. आगामी विधानसभा चुनाव में इनकी हार तय है.
पोस्टर में बदलाव
विपक्ष के हमले के बाद जदयू ने पोस्टर में सुधार करते हुए नया स्लोगन वाला पोस्टर जारी किया है. नारा है, 'क्यों करें विचार, जब है ही नीतीश कुमार'. हालांकि ताज्जुब वाली बात यह है कि यह पोस्टर पार्टी के मुख्य गेट के बजाए पीछे वाले गेट पर लगाया गया है.
फेमस हुआ था, 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है'
ऐसे तो बिहार विधानसभा का चुनाव 2020 में होना है. 2015 में भी नीतीश कुमार को लेकर जदयू के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम ने एक स्लोगन दिया था. बिहार के साथ लोगों के बीच में, 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है' स्लोगन खूब फेमस हुआ था.
1 सप्ताह में बदल गया स्लोगन
अब नीतीश कुमार को लेकर पार्टी की ओर से, 'क्यों करें विचार, जब है ही नीतीश कुमार' का नया स्लोगन जारी किया गया है. इसका साफ मतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रहते बिहार की राजनीति में किसी दूसरे चेहरे पर विचार करने की क्या जरूरत. हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि 1 सप्ताह के अंदर पहले वाले नारे में सुधार कर दूसरा नारा जारी किया गया लेकिन इसे मुख्य गेट के बजाए गेट के पीछे क्यों लगाया गया.
अभी और कई नारे आयेंगे
पार्टी नेताओं की मानें तो अभी कई नारे आएंगे. नीतीश कुमार ने बिहार के लिए बहुत काम किया है. पिछले 13 सालों में उन्होंने जनता के दिलों में खास जगह बनाई है. इसे नारों के माध्यम से दिखाने की कोशिश होगी.