पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से जदयू ने आधी आबादी पर दांव लगाया है. जदयू ने 22 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. ऐसे तो किसी दल ने महिलाओं की मांग 35% को पूरा करने की कोशिश नहीं की है. अन्य दलों ने तो टिकट देने में भी काफी कंजूसी दिखाई है.
नीतीश कुमार ने 20 फ़ीसदी से अधिक अपने कुल सीटों में महिलाओं को जगह दी है. लेकिन दूसरे दल कुल सीटों में 10% सीट भी महिलाओं को नहीं दे पाए हैं. शराबबंदी के बाद पहली बार विधानसभा का चुनाव हो रहा है, इसलिए नीतीश की नजर महिला वोटरों पर है. देखिये एक खास रिपोर्ट...
जदयू को महिला वोटरों से उम्मीद
बिहार में अब तक 291 महिलाओं ने विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. 1952 से लेकर 2015 तक की बात करें तो सबसे ज्यादा 2010 में 37 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था. इसमें 23 महिला उम्मीदवार केवल जदयू से जीतकर विधानसभा पहुंची थी और यह एक रिकॉर्ड बना था. उससे पहले 1957 में कांग्रेस की ओर से 22 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था.
1952 से 2015 तक के चुनाव में जीतने वाली महिलाओं की संख्या
चुनावी साल महिलाओं की संख्या
1952 13
1957 22
1962 25
1967 10
1969 04
1972 13
1977 13
1980 14
1985 15
1990 13
1995 12
2000 16
2005 फरवरी 23
2005 अक्टूबर 25
2010 37
2015 28
35% सरकारी नौकरियों में आरक्षण
बिहार में महिलाओं को पंचायत में सबसे पहले आरक्षण देने का काम नीतीश कुमार ने ही किया है. इसके कारण पंचायत स्तर पर महिला जनप्रतिनिधियों की भागीदारी काफी बढ़ी है. 2010 में बालिकाओं के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की थी इन सबका जबरदस्त लाभ भी मिला. उसके बाद महिलाओं को 35% सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था नीतीश सरकार की ओर से की गई. महिलाओं की मांग पर ही पूर्ण शराबबंदी भी लागू किया गया.
ये भी पढ़ेंः बिहार में आज से बढ़ गया सियासी पारा, रण में पीएम मोदी और राहुल गांधी
'महिला वोटर एनडीए को ही वोट करेंगी'
जदयू नेताओं का कहना है महिला हमेशा से पार्टी के लिये विशेष महत्व की रही हैं. पहले भी महिलाओं का समर्थन नीतीश कुमार को मिला है और इस बार भी महिलाओं का पूरा समर्थन एनडीए उम्मीदवारों को मिलेगा. पूर्व विधान पार्षद और नीतीश कुमार के खासम खास संजय गांधी का तो यहां तक कहना है की महिला वोटर सिर्फ एनडीए उम्मीदवारों को ही वोट करेंगी.
शराबबंदी का मिल सकता है जदयू को लाभ
बता दें कि जदयू की सहयोगी बीजेपी ने भी महिलाओं को टिकट देने में काफी कंजूसी की है. पहले चरण में 5 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है तो वहीं दूसरे चरण में केवल 2 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. आरजेडी और कांग्रेस की स्थिति भी कमोबेश यही है. राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि नीतीश कुमार को शराबबंदी का लाभ महिला वोटरों से मिल सकता है.
ऐसे तो किसी भी दल ने महिलाओं की मांग के अनुरूप 35% भी सीट उन्हें आवंटित नहीं किया है. बता दें कि महिला जनप्रतिनिधियों और संगठनों की ओर से लंबे समय से विधानसभा और लोकसभा में 35% आरक्षण देने की मांग की जाती रही है.