पटना: बिहार के प्रमुख दलों के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस (Suspense regarding state president of major parties)बना हुआ है. जदयू, कांग्रेस, आरजेडी और बीजेपी प्रदेश में उसी अध्यक्ष पर दांव लगाना चाहती है जो 2024 और 2025 में कामयाबी दिला सके. इसके लिए सामाजिक समीकरण और जातीय समीकरण को साधना इन पार्टियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल काफी पहले समाप्त हो गया है. कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के साथ कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है. जदयू में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नवंबर में होना है. वहीं आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अभी हाल ही में चुने गए हैं, लेकिन नाराज चल रहे हैं. उनके इस्तीफा देने की भी चर्चा होती रही है. चारों दलों के लिए प्रदेश अध्यक्ष का चयन बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि 2024 और 2025 में चुनाव होगा तो प्रदेश अध्यक्ष जो भी बनाए जाएंगे उन्हीं के नेतृत्व में होगा.
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जदयू ने चुनाव की तिथि घोषित कीः उमेश कुशवाहा 2020 से जदयू के प्रदेश हैं. पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे हैं. अभी हाल ही में पहली बार जदयू ने उमेश कुशवाहा के नेतृत्व में 80 करोड़ के करीब चंदा इकट्ठा किया था. उमेश कुशवाहा के कामकाज को लेकर ललन सिंह ने भी तारीफ की है. लेकिन जो चर्चा है जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नवंबर में होना है और पार्टी किसी अति पिछड़ा पर दांव लगा सकती है. ऐसे उमेश कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कुछ भी बोलने से बचते हैं, लेकिन बातचीत में यह जरूर कहते हैं कि जो भी करना है पार्टी नेतृत्व ही फैसला लेगा. कैमरा पर उमेश कुशवाहा या जरूर कहते हैं कि पार्टी ने चुनाव की तिथि घोषित कर दी है और नवंबर में चुनाव होना है.
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एक्सटेंशन पर हैं कांग्रेस अध्यक्षः कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा टर्म खत्म होने के बाद ही आलाकमान को इस्तीफा दे दिया था, मगर इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया. लगातार एक्सटेंशन में अध्यक्ष की कुर्सी संभाले हुए हैं. अब राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी हो गया है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है जल्द ही बिहार कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर भी फैसला होगा. इस मामले में मदन मोहन झा का कहना है कि हम लोगों ने आलाकमान को अधिकृत कर दिया है. बिहार के जितने भी निर्वाचित डेलिगेट्स हैं सबने अपनी राय भेज दी है. आलाकमान जो फैसला लेंगे वह स्वीकार होगा.
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राजद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष हैं नाराजः आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का चयन अभी हाल ही में हुआ है. लेकिन, वे पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं. पिछले 1 महीने से भी अधिक समय से पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं. दिल्ली में आरजेडी के राष्ट्रीय परिषद अधिवेशन के दौरान उनके इस्तीफा देने की भी चर्चा हुई थी. लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. बीच में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की चर्चा भी होने लगी. इसमें शिवचंद्र राम की चर्चा सबसे अधिक हो रही थी, हालांकि फिर से मामला थम गया है. अब विधानसभा उपचुनाव के बाद आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष पर फैसला हो सकता है. इस मामले में जगदानंद सिंह से जब बात करने की कोशिश किये तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. ऐसे तेज प्रताप ने पिछले दिनों पार्टी कार्यालय में यह जरूर कहा था कि जगदानंद सिंह 15 दिनों की छुट्टी हमसे मांगी थी, मैंने कहा कि मैं छुट्टी देने वाला कौन होता हूं.
संजय जायसवाल का कार्यकाल समाप्त हो गयाः भाजपा बिहार में मुख्य विपक्षी दल है. फिलहाल संजय जायसवाल इसके प्रदेश अध्यक्ष हैं. इनका भी कार्यकाल समाप्त हो गया है और पिछले काफी समय से नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चा हो रही है. बिहार विधानसभा उपचुनाव 3 नवंबर को होना है और 6 नवंबर को रिजल्ट भी आ जाएगा. संभवतः इसके बाद ही पार्टी कोई बड़ा फैसला लेगी. ऐसे अमित शाह का एक बार फिर से बिहार दौरा भी होना है. इस बार नालंदा में अमित शाह दौरा करने वाले हैं. उसकी भी तैयारी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ही कर रहे हैं. ऐसे चर्चा यह भी है कि केंद्र में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो संजय जायसवाल को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है. यह तय माना जा रहा है कि बिहार में बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष को लेकर संजय जायसवाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष के सवाल पर संजय जायसवाल हंसते हुए टाल देते हैं.
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क्या कहना है पार्टी प्रवक्ता काः वहीं बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि बीजेपी का बेस संगठन है और चरित्र संगठन है सामूहिक नेतृत्व से फैसला होता है. संगठन, समाज और जनता के हित में जो उचित होगा उसको लेकर फैसला बीजेपी करती है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ का कहना है की पार्टी के लिए 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा का चुनाव चुनौती है और इसीलिए गठबंधन के सहयोगियों के साथ पार्टी सामाजिक और जातीय समीकरणों को भी प्रदेश अध्यक्ष के चयन में जरूर ध्यान रखेंगे. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है जदयू का आंतरिक लोकतंत्र मजबूत है. इसलिए पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं दूसरे दल के नेता भी हमारी पार्टी को उम्मीद की नजर से देखते हैं. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि जगदानंद सिंह नाराज नहीं है. समाजवादी कभी नाराज नहीं हो सकते हैं.
चुनाव में पार्टी की नैया पार करने वाली की तलाश:एक तरफ जहां आरजेडी में जगदानंद सिंह को ही मनाने की पूरी कोशिश हो रही है तो जदयू में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर नीतीश कुमार को ही फैसला करना है. हाल में जिस प्रकार से अति पिछड़ा आरक्षण का मामला पार्टी के लिए परेशानी का सबब बना था उसको देखते हुए किसी अति पिछड़ा को जिम्मेवारी दी जा सकती है. ऐसे पिछड़ा वर्ग से आने वाले उमेश कुशवाहा ने भी अच्छा काम किया है और नीतीश कुमार उन पर एक बार फिर से मुहर लगा दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए. बीजेपी में अभी तक नंदकिशोर यादव को ही दो बार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी मिली है. बीजेपी ने विधानसभा में विरोधी दल के नेता के तौर पर विजय सिन्हा को जिम्मेदारी दी है, वहीं विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पिछड़ा वर्ग से आने वाले सम्राट चौधरी को दी है. इसलिए बीजेपी भी अति पिछड़ा पर दांव लगा सकती है. ऐसे चारों दल की कोशिश यही है कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष हो वह 2024 और 2025 चुनाव में पार्टी की नैया पार करे.