कोलकाता/पटना : चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से मुलाकात क्या की, सियासी उपान मच गया. सबसे ज्यादा जेडीयू में खलबली मच गयी. तभी तो पार्टी ने बड़ा फैसला लेने का निर्णय लिया है.
आगामी 9 जून को जेडीयू के कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि प्रशांत किशोर पर पार्टी कोई बड़ा फैसला ले सकती है. इसके संकेत पार्टी प्रवक्ता भी दे रहे हैं.
'पार्टी लाइन से बाहर नहीं कर सकते काम'
जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि प्रशांत किशोर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. इस तरह बिना बताए पार्टी लाइन से बाहर जाकर वे काम नहीं कर सकते. अरविंद निषाद ने कहा कि पीके पूरी तरह से व्यवसायिक रुख अख्तियार करते हैं. इससे पहले भी आंध्र प्रदेश में उन्होंने वाईएसआर के साथ काम किया था.
'जल्द होगी कार्रवाई'
अरविंद निषाद ने कहा कि पार्टी पीके के इस कदम के लिए उन पर विचार करेगी. साथ ही आने वाले दिनों में उन पर फैसला भी करेगी. प्रशांत किशोर का यह कदम पार्टी के अनुशासन को भंग करने जैसा है, इसलिए आने वाले दिनों में उन पर बहुत जल्द फैसला किया जाएगा.
खिसकती जा रही है तृणमूल की जमीन
बता दें कि, बंगाल के सचिवालय नवान्न भवन में 1 घंटा 40 मिनट ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर की बैठक हुई थी. बंद कमरे में ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी. इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल में जबरदस्त जीत हासिल करते हुए 18 सीटों पर कब्जा जमाया. यही नहीं, इसके बाद कई विधायक और पार्षद तृणमूल में शामिल हो गए.
रंग लाएगी बैठक?
ममता बनर्जी 2011 से लगातार बंगाल की सत्ता पर आसीन हैं. उन्होंने 34 सालों के वाम दुर्ग को ध्वस्त कर तृणमूल के जोड़ा फूल को वहां खिलाया था. अब प्रशांत किशोर से ममता बनर्जी की बैठक कितना रंग लाएगी यह तो वक्त ही बताएगा.
PK की रही है अच्छी भूमिका
वैसे भी 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को सत्ता तक पहुंचाने, 2015 में महागठबंधन को सत्तासीन करने में पीके ने अहम भूमिका निभाई थी. हाल-फिलहाल की बात करें तो आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को भी सत्ता पर बैठाने में पीके का बड़ा योगदान माना जाता है.