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'धरना-प्रदर्शन करने का हक सबको है लेकिन कानून के दायरे में रहकर'

बिहार से बीजेपी सांसद और वरिष्ठ नेता जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि कल 6 फरवरी को कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान संगठन व किसानों ने चक्का जाम का आयोजन किया है. धरना प्रदर्शन करने का हक सबको है लेकिन कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए.

janardan sigriwal on farmers protest
janardan sigriwal on farmers protest
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Published : Feb 5, 2021, 2:57 PM IST

Updated : Feb 5, 2021, 5:07 PM IST

नयी दिल्ली: कल 6 फरवरी शनिवार को कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान संगठन और किसानों ने चक्का जाम का आयोजन किया है. इसपर बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होने कहा कि धरना प्रदर्शन करने का हक सबको है लेकिन कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए. 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली जो किसानों के द्वारा निकाली गई थी. उसमें दिल्ली में क्या-क्या घटना घटी वह जगजाहिर है. पूरे देश को शर्मिंदा होना पड़ा था.

'किसान केंद्र सरकार के साथ'

'26 जनवरी को लाल किला पर जाकर किसानों ने अपना झंडा फहरा दिया था. किसानों का समर्थन करने वाले विपक्षी दलों से पूछना चाहता हूं कि 26 जनवरी की घटना पर वह लोग चुप क्यों हैं? 26 जनवरी को जो भी हुआ उसकी जांच होनी चाहिए कि किसानों ने दिल्ली में हिंसा की या कोई और लोग उसमें शामिल थे?'- जनार्दन सिग्रीवाल, बीजेपी सांसद

यह भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल को मुद्दा बनाकर बनी थी सरकार, अब आसमान छूती कीमतों के आगे नजर आ रहे बेबस

निशाने पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियां
जनार्दन सिग्रीवाल ने कहा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भारत में चल रहे कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का समर्थन कर रही हैं. रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग समेत कुछ हस्तियों ने समर्थन किया है. सिग्रीवाल ने कहा कि जो लोग ट्वीट कर रहे हैं उन्हें लगता है कि इससे भारत बदनाम होगा. लेकिन सच तो यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि कृषि कानून क्या है.

'किसान केंद्र सरकार के साथ'
सांसद ने कहा कि देश के अधिकतर किसान भी केंद्र सरकार के साथ हैं. उन्होने किसानों से कहा कि वे अपना आंदोलन खत्म करें. केंद्र सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. बातचीत से रास्ता निकालें. कृषि कानून किसानों के हित में है. उम्मीद है जल्द किसानों का आंदोलन समाप्त हो जाएगा.

बता दें पिछले कई दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली और उसके पास की सीमा पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. अलग अलग राज्यों में भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग किसान कर रहे हैं एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर गारंटी की भी मांग कर रहे हैं. सरकार ने 18 महीने तक तीनों कृषि कानूनों को टालने का प्रस्ताव दिया था जिसको किसानों ने नामंजूर कर दिया.

नयी दिल्ली: कल 6 फरवरी शनिवार को कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान संगठन और किसानों ने चक्का जाम का आयोजन किया है. इसपर बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होने कहा कि धरना प्रदर्शन करने का हक सबको है लेकिन कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए. 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली जो किसानों के द्वारा निकाली गई थी. उसमें दिल्ली में क्या-क्या घटना घटी वह जगजाहिर है. पूरे देश को शर्मिंदा होना पड़ा था.

'किसान केंद्र सरकार के साथ'

'26 जनवरी को लाल किला पर जाकर किसानों ने अपना झंडा फहरा दिया था. किसानों का समर्थन करने वाले विपक्षी दलों से पूछना चाहता हूं कि 26 जनवरी की घटना पर वह लोग चुप क्यों हैं? 26 जनवरी को जो भी हुआ उसकी जांच होनी चाहिए कि किसानों ने दिल्ली में हिंसा की या कोई और लोग उसमें शामिल थे?'- जनार्दन सिग्रीवाल, बीजेपी सांसद

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निशाने पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियां
जनार्दन सिग्रीवाल ने कहा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भारत में चल रहे कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का समर्थन कर रही हैं. रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग समेत कुछ हस्तियों ने समर्थन किया है. सिग्रीवाल ने कहा कि जो लोग ट्वीट कर रहे हैं उन्हें लगता है कि इससे भारत बदनाम होगा. लेकिन सच तो यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि कृषि कानून क्या है.

'किसान केंद्र सरकार के साथ'
सांसद ने कहा कि देश के अधिकतर किसान भी केंद्र सरकार के साथ हैं. उन्होने किसानों से कहा कि वे अपना आंदोलन खत्म करें. केंद्र सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. बातचीत से रास्ता निकालें. कृषि कानून किसानों के हित में है. उम्मीद है जल्द किसानों का आंदोलन समाप्त हो जाएगा.

बता दें पिछले कई दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली और उसके पास की सीमा पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. अलग अलग राज्यों में भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग किसान कर रहे हैं एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर गारंटी की भी मांग कर रहे हैं. सरकार ने 18 महीने तक तीनों कृषि कानूनों को टालने का प्रस्ताव दिया था जिसको किसानों ने नामंजूर कर दिया.

Last Updated : Feb 5, 2021, 5:07 PM IST
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