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एक लाख करोड़ से ज्यादा के एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पेंडिंग, विपक्ष बोला- मांफी मांगे सरकार

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Published : Aug 4, 2021, 9:36 PM IST

एसी डीसी बिल में अनियमितता और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के पेंडिंग होने को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. हालांकि वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tar Kishore Prasad) कहते हैं कि महालेखाकार की ओर से जो आपत्ति जताई गई है, उसको सरकार देख रही है.

Tar Kishore Prasad
Tar Kishore Prasad

पटना: बिहार सरकार जीडीपी (GDP) के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल होने का दावा करती है और यह रिकॉर्ड पिछले कई साल से जारी है, लेकिन सरकार के दावों के उलट बिहार की वित्तीय व्यवस्था (Financial System of Bihar) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. महालेखाकार कार्यालय (Accountant General Office) ने भी सरकार की वित्तीय व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं.

ये भी पढ़ें- CAG रिपोर्ट पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, BJP ने कहा- लोक लेखा समिति करेगी विचार

वित्तीय वर्ष 2019 में बिहार की अर्थव्यवस्था 10.5 फीसदी रही, जो राष्ट्रीय विकास दर से ज्यादा है. वर्ष 2019 में बिहार का सकल घरेलू उत्पाद 611001 करोड़ था और राज्य के प्रति व्यक्ति आय 50735 रुपए तक पहुंच गया.

देखें रिपोर्ट

सरकार के इन दावों की पोल तब खुल जाती है, जब महालेखाकार कार्यालय की ओर से बिहार के वित्तीय व्यवस्था पर सवाल खड़े किए जाते हैं. एसी डीसी बिल को लेकर राज्य में कई बार बवाल हुआ और मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा है.

आज की तारीख में लगभग 11000 करोड़ के एसी डीसी बिल पेंडिंग हैं. हर प्रकार के कई डिपार्टमेंट यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं. लगभग 90 हजार करोड़ यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पेंडिंग है.

ईटीवी GFX
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अगर हम विभाग वार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के बकाए की बात करें तो पंचायती राज विभाग में 17 हजार करोड़, शिक्षा विभाग में 15000 करोड़, समाज कल्याण विभाग में 12500 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग में 9000 करोड़ और नगर विकास विभाग में 8000 करोड़ हैं.

वहीं, एसी डीसी बिल के मामले में जो अनियमितता सामने आई हैं. उसके मुताबिक आपदा प्रबंधन विभाग के 3200 करोड़, पूंजीगत व्यय 1200 करोड़, शिक्षा विभाग में 500 करोड़ और नगर विकास विभाग में 335 करोड़ की राशि हैं.

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अब अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष हमलावर है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि सरकार सिर्फ ढिंढोरा पीटने का काम करती है. एसी डीसी बिल को लेकर तेजस्वी यादव ने कई बार सवाल खड़े किए हैं. वर्तमान में भी करोड़ों रुपए के एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का मामला उजागर हुआ है, जो सरकार की वित्तीय व्यवस्था की पोल खोलता है.

ये भी पढ़ें- CAG की रिपोर्ट में खुलासा: परिवहन विभाग की अनियमितता से सरकार को लगा करोड़ों का चूना

हालांकि डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tar Kishore Prasad) का कहना है कि महालेखाकार की ओर से जो आपत्ति जताई गई है, उसको सरकार देख रही है. जहां तक एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का मामला है तो यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है.

वहीं, अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा है कि एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का पेंडिंग होना वित्तीय मिसमैनेजमेंट की ओर इशारा करता है. इसका मतलब यह हुआ कि या तो योजना पूरी नहीं हुई या धनराशि निकालने के बाद उसका उपयोग नहीं किया गया या फिर उस मद में खर्च नहीं किया गया होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वित्तीय अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

पटना: बिहार सरकार जीडीपी (GDP) के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल होने का दावा करती है और यह रिकॉर्ड पिछले कई साल से जारी है, लेकिन सरकार के दावों के उलट बिहार की वित्तीय व्यवस्था (Financial System of Bihar) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. महालेखाकार कार्यालय (Accountant General Office) ने भी सरकार की वित्तीय व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं.

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वित्तीय वर्ष 2019 में बिहार की अर्थव्यवस्था 10.5 फीसदी रही, जो राष्ट्रीय विकास दर से ज्यादा है. वर्ष 2019 में बिहार का सकल घरेलू उत्पाद 611001 करोड़ था और राज्य के प्रति व्यक्ति आय 50735 रुपए तक पहुंच गया.

देखें रिपोर्ट

सरकार के इन दावों की पोल तब खुल जाती है, जब महालेखाकार कार्यालय की ओर से बिहार के वित्तीय व्यवस्था पर सवाल खड़े किए जाते हैं. एसी डीसी बिल को लेकर राज्य में कई बार बवाल हुआ और मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा है.

आज की तारीख में लगभग 11000 करोड़ के एसी डीसी बिल पेंडिंग हैं. हर प्रकार के कई डिपार्टमेंट यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं. लगभग 90 हजार करोड़ यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पेंडिंग है.

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अगर हम विभाग वार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के बकाए की बात करें तो पंचायती राज विभाग में 17 हजार करोड़, शिक्षा विभाग में 15000 करोड़, समाज कल्याण विभाग में 12500 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग में 9000 करोड़ और नगर विकास विभाग में 8000 करोड़ हैं.

वहीं, एसी डीसी बिल के मामले में जो अनियमितता सामने आई हैं. उसके मुताबिक आपदा प्रबंधन विभाग के 3200 करोड़, पूंजीगत व्यय 1200 करोड़, शिक्षा विभाग में 500 करोड़ और नगर विकास विभाग में 335 करोड़ की राशि हैं.

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अब अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष हमलावर है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि सरकार सिर्फ ढिंढोरा पीटने का काम करती है. एसी डीसी बिल को लेकर तेजस्वी यादव ने कई बार सवाल खड़े किए हैं. वर्तमान में भी करोड़ों रुपए के एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का मामला उजागर हुआ है, जो सरकार की वित्तीय व्यवस्था की पोल खोलता है.

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हालांकि डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tar Kishore Prasad) का कहना है कि महालेखाकार की ओर से जो आपत्ति जताई गई है, उसको सरकार देख रही है. जहां तक एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का मामला है तो यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है.

वहीं, अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा है कि एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का पेंडिंग होना वित्तीय मिसमैनेजमेंट की ओर इशारा करता है. इसका मतलब यह हुआ कि या तो योजना पूरी नहीं हुई या धनराशि निकालने के बाद उसका उपयोग नहीं किया गया या फिर उस मद में खर्च नहीं किया गया होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वित्तीय अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

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