पटना: 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं. गुरुवार को पता चलेगा की 17वीं लोकसभा में किसकी सरकार बनेगी. बिहार में जिन 40 सीटों पर चुनाव हुए हैं उनमें कुछ ऐसी सीटें हैं जो अलग-अलग वजहों से चर्चित रही. उन सीटों के नतीजों पर बिहार ही नहीं, पूरे देश को बेसब्री से इंतजार है.
ये है बिहार में सीटों का समीकरण
बिहार से 40 सांसद चुनकर जाते हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए को बिहार की 40 में से 31 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ नहीं थे लेकिन इस बार नीतीश कुमार और रामविलास पासवान दोनों बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में एग्जिट पोल्स ये दावा कर रहे हैं कि बिहार में इस बार एनडीए को रिकॉर्ड सीटों पर जीत मिलेगी. इन सबके बीच 40 लोकसभा सीटों में से वैसी चुनिंदा सीटें भी हैं जिस पर सब की नजर है.
बेगूसराय में लहगाएगा 'लाल' या फहराएगा 'भगवा' ?
सबसे पहले बेगूसराय लोकसभा पर नजर डालते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से भोला सिंह बीजेपी के टिकट पर विजयी हुए थे. इस बार बेगूसराय तब अचानक चर्चा में आ गया, जब नवादा के बदले गिरिराज सिंह को बेगूसराय से बीजेपी ने टिकट दे दिया. उन्होंने पहले तो इसको लेकर नाराजगी जाहिर की हालांकि पार्टी के फैसले के बाद वे बेगूसराय से ही चुनाव लड़े. गिरिराज सिंह के मुकाबले बेगूसराय से सीपीआई के टिकट पर कन्हैया कुमार के चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया. यहां राजद के टिकट पर तनवीर हसन भी मैदान में हैं. हालांकि चर्चा गिरिराज सिंह और कन्हैया की है. वहीं, त्रिकोणीय मुकाबले में तनवीर हसन कहीं से भी कम नहीं है.
मधेपुरा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
मधेपुरा के बारे में कहा जाता है रोम पोप का मधेपुरा गोप का. यादव बहुल मधेपुरा सीट पर इसबार मुकाबला काफी दिलचस्प है. मधेपुरा से पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, वर्तमान सांसद पप्पू यादव भी यहां से चुनावी मैदान में हैं. एनडीए की तरफ से जदयू के टिकट पर दिनेश चंद्र यादव भी मैदान में हैं. त्रिकोणीय मुकाबले से यहां का चुनाव लोगों के लिए दिलचस्प हो गया है.
गया में मांझी बनाम मांझी में मुकाबला
भारतीय जनता पार्टी की परंपरागत सीट रहा गया इस बार एनडीए में सीट बंटवारे के तहत जदयू के पास है. जदयू ने यहां से विजय मांझी को टिकट दिया है और उनका सीधा मुकाबला महागठबंधन से हम के प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से है. यहां मुकाबला काफी दिलचस्प है और जानकारी के मुताबिक गया में जीत-हार का फैसला काफी कम वोटों से भी हो सकता है.
पटना साहिब में खिलेगा कमल या चलेगा पंजा?
पिछली बार शत्रुघ्न सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पटना साहिब से चुने गए थे. इस बार शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने हैं बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद. पिछले कुछ सालों से यहां बीजेपी लगातार जीत हासिल करती रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा पर भारी पड़ेंगे. पटना साहिब से दो दिग्गजों के मैदान में होने और बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प है.
पाटलिपुत्र में चाचा बनाम भतीजी की लड़ाई
यह एक ऐसी सीट है जहां से लगातार लालू यादव और उनकी बेटी मीसा भारती ने दो बार प्रयास किया लेकिन एक बार भी उन्हें जीत नहीं मिल पाई है. एक बार फिर लालू प्रसाद की बेटी डॉ. मीसा भारती राजद के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रही हैं. उनके सामने उनके पूर्व सहयोगी और वर्तमान सांसद राम कृपाल यादव हैं. इस बार मुकाबला बिल्कुल नजदीकी माना जा रहा है. पिछली बार मीसा भारती करीब 41 हजार वोटों से रामकृपाल यादव से हार गई थी.
सुपौल से सीट बचा पाएंगी रंजीत रंजन?
वर्तमान सांसद रंजीत रंजन एक बार फिर यहां से भाग्य आजमा रही हैं. उनके पति पप्पू यादव लगातार लालू यादव के बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी खिलाफ बोलते रहे, जिसे लेकर सुपौल के राजद कार्यकर्ता रंजीत रंजन के खिलाफ नजर आए. इसका खामियाजा रंजीत रंजन को भुगतना पड़ सकता है. यही वजह है कि यह सीट और इस पर आने वाला नतीजा काफी दिलचस्प हो गया है. रंजीत रंजन का मुकाबला जदयू प्रत्याशी दिनेश्वर कामत से है.
सारण में राजीव प्रताप रूडी के मुकाबले चंद्रिका राय
यह सीट लालू यादव के परिवार की परंपरागत सीट रही है. पिछली बार यहां से राबड़ी देवी चुनाव लड़ी थीं. लेकिन वह बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से हार गई थीं. इस बार राजद ने यहां से तेज प्रताप के ससुर और पूर्व मंत्री चंद्रिका राय को मैदान में उतारा है. चंद्रिका राय के खिलाफ तेज प्रताप यादव ने कई बार बयान दिया कि ये बहरूपिया हैं और इन्हें वोट नहीं देना चाहिए. अगर लालू यादव और राजद के परंपरागत वोटरों ने चन्द्रिका राय के खिलाफ वोट दिया तो एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी यहां से जीत सकते हैं. यही वजह है कि यहां का मुकाबला भी दिलचस्प हो गया है.
भूमिहार और यादव बहुल सीट जहानाबाद में अहम लड़ाई
पिछली बार रालोसपा के अरुण कुमार ने यहां से मोदी लहर में जीत हासिल की थी. इस बार एक बार फिर अरुण कुमार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय जनता दल ने यहां से सुरेंद्र यादव को टिकट दिया है. सुरेंद्र यादव का मुकाबला यहां जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी से है. इन सबके बीच तेज प्रताप यादव ने भी अपना निर्दलीय प्रत्याशी चंद्र प्रकाश यादव को यहां से खड़ा कर दिया. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान तेजप्रताप लगातार सुरेंद्र यादव के खिलाफ लोगों से अपील करते रहे और उन्हें वोट नहीं देने के लिए लोगों को समझाते रहे. ऐसे में यह देखना दिलचस्प हो गया है कि इस बार किसी भी बड़ी पार्टी ने जब भूमिहार प्रत्याशी नहीं उतारा है तो ऐसे में लोग किस पर ज्यादा भरोसा जताते हैं. वजह ये है कि जहानाबाद सीट भूमिहार और यादव बहुल होने के कारण अलग पहचान रखती है.
रामविलास के गढ़ को बचा पाएंगे पशुपति पारस?
पिछले लंबे समय से एकतरफा जीत हासिल करते रहे रामविलास पासवान इस बार हाजीपुर से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. उन्होंने अपनी जगह अपने भाई पशुपति कुमार पारस को यहां से टिकट दिया है. पारस के सामने राजद के शिवचंद्र राम हैं. जो वर्तमान में राजद के विधायक हैं और पहले मंत्री भी रह चुके हैं. रामविलास पासवान की अनुपस्थिति में क्या वोटर्स उनके भाई को जीत का तोहफा देंगे ये दिलचस्पी लोगों में हाजीपुर के प्रति बढ़ गई है.
उजियारपुर में कुशवाहा और नित्यानंद राय में टक्कर
बीजेपी सांसद नित्यानंद राय यहां से दोबारा किस्मत आजमा रहे हैं. उनके सामने हैं रालोसपा के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा. यह सीट बीजेपी के लिए काफी अहम है क्योंकि नित्यानंद राय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और उपेंद्र कुशवाहा चुनौती देकर यहां से मैदान में उतरे हैं. इस लिहाज से यहां की जीत और हार पर लोगों की दिलचस्पी ज्यादा बढ़ गई है.