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Black Fungus Alert! पटना के अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इंजेक्शन खत्म, गहराया संकट - Bihar Health Department

पटना में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की समस्या कम नहीं हो रही है. पटना के तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इंजेक्शन लाइपोसोमल एंफोटेरेसिन बी पूरी तरह खत्म हो गया है. देखें रिपोर्ट

पटना
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Published : Jul 11, 2021, 9:13 PM IST

पटना: राजधानी पटना में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन की आए दिन किल्लत हो रही है. पटना के पीएमसीएच (PMCH), एनएमसीएच (NMCH) और आईजीआईएमएस (IGIMS) में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो गया है. मरीजों को पोशाकोनाजोल और अन्य फंगल दवाओं पर रखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें- PMCH में त्राहिमाम: प्रबंधन ने कहा- नहीं है ब्लैक फंगस की दवा, मरीजों को कहीं और करें शिफ्ट

वर्तमान समय में पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के 8 मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं, एनएमसीएच में तीन मरीज हैं और आईजीआईएमएस में 75 मरीजों का इलाज चल रहा है. पटना एम्स में अभी फिलहाल कुछ दिनों का ब्लैक फंगस के इंजेक्शन का स्टॉक बचा हुआ है. यहां 90 की संख्या में मरीजों का इलाज चल रहा है.

ईटीवी भारत GFX
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इंजेक्शन की कमी पर अस्पताल प्रबंधनों ने स्वास्थ्य विभाग को इंजेक्शन उपलब्ध कराने के लिए लिखित डिमांड भेजा हुआ है. औषधि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार तक अस्पतालों को दवा उपलब्ध हो जाएगी. बता दें कि प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 750 से अधिक संक्रमित मरीज मिल चुके हैं और 110 से अधिक मरीजों की इस बीमारी से जान भी गई है.

ब्लैक फंगस के मरीज को 1 दिन में लाइसोसोमल एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की 6 वायल की जरूरत पड़ती है. ऐसे में जितनी मात्रा में मरीज को इस इंजेक्शन की जरूरत होती है, उसी अनुरूप अब तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और डिमांड के अनुरूप आधी आपूर्ति ही शुरू से कराई जा रही है.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- ब्लैक फंगस की दवा की भारी किल्लत, बोले मंगल पांडेय- जल्द ही सहजता से उपलब्ध होगा एंफोटरइसिन बी

बता दें कि हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है. ब्लैक फंगस के मरीजों को लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन का पांच वायल प्रतिदिन चढ़ाना पड़ता है. ऐसे में ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि अगर इंजेक्शन का डोज ब्रेक होता है, तो यह मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है.

पटना: राजधानी पटना में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन की आए दिन किल्लत हो रही है. पटना के पीएमसीएच (PMCH), एनएमसीएच (NMCH) और आईजीआईएमएस (IGIMS) में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो गया है. मरीजों को पोशाकोनाजोल और अन्य फंगल दवाओं पर रखा जा रहा है.

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वर्तमान समय में पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के 8 मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं, एनएमसीएच में तीन मरीज हैं और आईजीआईएमएस में 75 मरीजों का इलाज चल रहा है. पटना एम्स में अभी फिलहाल कुछ दिनों का ब्लैक फंगस के इंजेक्शन का स्टॉक बचा हुआ है. यहां 90 की संख्या में मरीजों का इलाज चल रहा है.

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इंजेक्शन की कमी पर अस्पताल प्रबंधनों ने स्वास्थ्य विभाग को इंजेक्शन उपलब्ध कराने के लिए लिखित डिमांड भेजा हुआ है. औषधि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार तक अस्पतालों को दवा उपलब्ध हो जाएगी. बता दें कि प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 750 से अधिक संक्रमित मरीज मिल चुके हैं और 110 से अधिक मरीजों की इस बीमारी से जान भी गई है.

ब्लैक फंगस के मरीज को 1 दिन में लाइसोसोमल एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की 6 वायल की जरूरत पड़ती है. ऐसे में जितनी मात्रा में मरीज को इस इंजेक्शन की जरूरत होती है, उसी अनुरूप अब तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और डिमांड के अनुरूप आधी आपूर्ति ही शुरू से कराई जा रही है.

देखें रिपोर्ट

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बता दें कि हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है. ब्लैक फंगस के मरीजों को लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन का पांच वायल प्रतिदिन चढ़ाना पड़ता है. ऐसे में ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि अगर इंजेक्शन का डोज ब्रेक होता है, तो यह मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है.

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