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'बिहार में उद्योगों का खस्ताहाल, सरकार की ओर से घोषित पैकेज ऊंट के मुंह में जीरा' - Janta Dal United

अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं वह ऊंट के मुंह में जीरा है. उद्योगों के लिए 0.93 प्रतिशत सपोर्ट घोषित किया गया है. अगर हम आंकड़ों को देखते तो एक एमएसएमई इंडस्ट्री के ऊपर सिर्फ 93000 रूपये की सहायता राशि दिखाई देती है.

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Published : Jul 9, 2020, 5:12 PM IST

पटनाः कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते बिहार में उद्योग व्यवस्था चौपट हो गई है. वहीं केंद्र सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं, उससे भी उद्योगों को ताकत नहीं मिल पा रही हैं. प्रवासी मजदूर के पलायन को लेकर जदयू केंद्र से जहां अतिरिक्त मदद चाहती है. वहीं विपक्ष के निशाने पर केंद्र सरकार है.

एमएसएमई को एक लाख से भी कम की सहायता
कोरोना संकट काल में केंद्र सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. उद्योग जगत के लिए भी पैकेज घोषित किए गए थे. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी उद्योगों को सरकार की तरफ से सहायता नहीं मिल पाई है. अब अर्थशास्त्री भी केंद्र सरकार की ओर से गठित पैकेज को नाकाम बता रहे हैं.

बता दें कि देश में कुल मिलाकर 6 करोड़ 33 लाख 88 हजार एमएसएमई यूनिट है. बिहार में इसकी संख्या 25000 है. वहीं केंद्र सरकार ने कुल 5 लाख 94 हजार करोड़ के पैकेज घोषित किए है और सरकार ने उद्योगों के लिए इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ाकर एक करोड़ कर दिए हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

'सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं वह ऊंट के मुंह में जीरा'
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं वह ऊंट के मुंह में जीरा है. उद्योगों के लिए 0.93 प्रतिशत सपोर्ट घोषित किया गया है. अगर हम आंकड़ों को देखें तो एक एमएसएमई इंडस्ट्री के ऊपर सिर्फ 93000 रुपये की सहायता राशि दिखाई देती है.

'उद्योगों को अब तक नहीं मिली मदद'
विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है. उद्योगपति और हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं. वह सिर्फ दिखावा है, उद्योगों को अब तक किसी तरह की मदद नहीं मिली है. केंद्र सरकार ने सिर्फ आई वॉश करने का काम किया है.

'उद्योगों को ताकत देने के लिए सरकार ने पैकेज किए घोषित'
वहीं, विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने पलटवार करते हुए कहा है कि कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार के सामने बहुआयामी चुनौती थी और उद्योगों को ताकत देने के लिए सरकार ने पैकेज घोषित किए हैं. विपक्ष को ऐसे मौकों पर राजनीति करने से बाज आना चाहिए.

वहीं उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर आए हैं. उनकी संख्या 30 लाख से ज्यादा है. सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड केंद्र सरकार से कोरोना काल में उद्योगों के विकास के लिए अतिरिक्त सहायता की उम्मीद रखती है. वहीं, राजद पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मजदूरों ने पलायन किया हैं. ऐसे राज्यों को अधिक सहायता मिलनी चाहिए.

पटनाः कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते बिहार में उद्योग व्यवस्था चौपट हो गई है. वहीं केंद्र सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं, उससे भी उद्योगों को ताकत नहीं मिल पा रही हैं. प्रवासी मजदूर के पलायन को लेकर जदयू केंद्र से जहां अतिरिक्त मदद चाहती है. वहीं विपक्ष के निशाने पर केंद्र सरकार है.

एमएसएमई को एक लाख से भी कम की सहायता
कोरोना संकट काल में केंद्र सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. उद्योग जगत के लिए भी पैकेज घोषित किए गए थे. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी उद्योगों को सरकार की तरफ से सहायता नहीं मिल पाई है. अब अर्थशास्त्री भी केंद्र सरकार की ओर से गठित पैकेज को नाकाम बता रहे हैं.

बता दें कि देश में कुल मिलाकर 6 करोड़ 33 लाख 88 हजार एमएसएमई यूनिट है. बिहार में इसकी संख्या 25000 है. वहीं केंद्र सरकार ने कुल 5 लाख 94 हजार करोड़ के पैकेज घोषित किए है और सरकार ने उद्योगों के लिए इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ाकर एक करोड़ कर दिए हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

'सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं वह ऊंट के मुंह में जीरा'
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं वह ऊंट के मुंह में जीरा है. उद्योगों के लिए 0.93 प्रतिशत सपोर्ट घोषित किया गया है. अगर हम आंकड़ों को देखें तो एक एमएसएमई इंडस्ट्री के ऊपर सिर्फ 93000 रुपये की सहायता राशि दिखाई देती है.

'उद्योगों को अब तक नहीं मिली मदद'
विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है. उद्योगपति और हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं. वह सिर्फ दिखावा है, उद्योगों को अब तक किसी तरह की मदद नहीं मिली है. केंद्र सरकार ने सिर्फ आई वॉश करने का काम किया है.

'उद्योगों को ताकत देने के लिए सरकार ने पैकेज किए घोषित'
वहीं, विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने पलटवार करते हुए कहा है कि कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार के सामने बहुआयामी चुनौती थी और उद्योगों को ताकत देने के लिए सरकार ने पैकेज घोषित किए हैं. विपक्ष को ऐसे मौकों पर राजनीति करने से बाज आना चाहिए.

वहीं उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर आए हैं. उनकी संख्या 30 लाख से ज्यादा है. सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड केंद्र सरकार से कोरोना काल में उद्योगों के विकास के लिए अतिरिक्त सहायता की उम्मीद रखती है. वहीं, राजद पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मजदूरों ने पलायन किया हैं. ऐसे राज्यों को अधिक सहायता मिलनी चाहिए.

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