पटना: खेल कोटा से नियुक्ति की प्रक्रिया बंद होने से नाराज खिलाड़ियों ने आमरण अनशन पर बैठने का फैसला लिया है. आमरण अनशन की शुरुआत बिहार खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी के नेतृत्व में हुई. राज्य में 29 सितंबर को खेल दिवस मनाया जाना है. जिसको लेकर खिलाड़ियों ने आमरण अनशन शुरू किया हैं. अनशन कर रहे खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार की कोई भी योजना धरातल पर नहीं दिख रही है.
धावक अरुण कुमार सैनी की दलील
आमरण अनशन पर बैठे मैराथन धावक अरुण कुमार सैनी ने बताया कि वह 42 किलोमीटर मैराथन के धावक हैं. वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुके हैं. साथ ही राज्य और देश के लिए कई मेडल भी जीता है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि नौकरी मिलेगी. पर, लिस्ट में नाम होते हुए भी उन्हें अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. धावक अरुण कुमार ने बताया कि वह साइकिल की दुकान पर काम करते हैं और उसी हालत में प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेते रहते हैं.
मृत्युंजय तिवारी ने कहा
आमरण अनशन की अगुवाई कर रहे मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार की नीतियों से नाराज होकर और उनकी नीतियों के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य का खेल के तैयारियों के लिए स्कूल राजेंद्र नगर फिजिकल कॉलेज बंद क्यों है, सरकार इसका जवाब दे. उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि यहां स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा जिसका अभी तक कुछ नहीं किया गया.
मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा आमरण अनशन
मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि 2014 में अंतिम बार खिलाड़ियों के नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन के आधार पर भी अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है. पिछले 5 सालों से खिलाड़ियों की सरकारी नौकरी में नियुक्ति की प्रक्रिया भी बंद है. जिससे खिलाड़ियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी सरकार से मांग है की खिलाड़ियों के लिए जगह की व्यवस्था कराए जहां वह तैयारी कर सकें. साथ ही उन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें जो सरकार की योजनाओं को धरातल पर नहीं ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक आमरण अनशन जारी रहेगा.