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पटना: सरकार की नीतियों से नाराज खिलाड़ियों ने शुरू किया आमरण अनशन

आमरण अनशन की अगुवाई कर रहे मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार की नीतियों से नाराज होकर और उनकी नीतियों के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य का खेल के तैयारियों के लिए स्कूल राजेंद्र नगर फिजिकल कॉलेज बंद क्यों है, सरकार इसका जवाब दें.

पटना: राज्य सरकार की नीतियों से नाराज खिलाड़ियों का आमरण अनशन
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Published : Aug 26, 2019, 5:21 AM IST

Updated : Aug 26, 2019, 7:32 AM IST

पटना: खेल कोटा से नियुक्ति की प्रक्रिया बंद होने से नाराज खिलाड़ियों ने आमरण अनशन पर बैठने का फैसला लिया है. आमरण अनशन की शुरुआत बिहार खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी के नेतृत्व में हुई. राज्य में 29 सितंबर को खेल दिवस मनाया जाना है. जिसको लेकर खिलाड़ियों ने आमरण अनशन शुरू किया हैं. अनशन कर रहे खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार की कोई भी योजना धरातल पर नहीं दिख रही है.

धावक अरुण कुमार सैनी की दलील
आमरण अनशन पर बैठे मैराथन धावक अरुण कुमार सैनी ने बताया कि वह 42 किलोमीटर मैराथन के धावक हैं. वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुके हैं. साथ ही राज्य और देश के लिए कई मेडल भी जीता है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि नौकरी मिलेगी. पर, लिस्ट में नाम होते हुए भी उन्हें अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. धावक अरुण कुमार ने बताया कि वह साइकिल की दुकान पर काम करते हैं और उसी हालत में प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेते रहते हैं.

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ईटीवी भारत से बात करते धावक अरुण कुमार सैनी

मृत्युंजय तिवारी ने कहा

आमरण अनशन की अगुवाई कर रहे मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार की नीतियों से नाराज होकर और उनकी नीतियों के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य का खेल के तैयारियों के लिए स्कूल राजेंद्र नगर फिजिकल कॉलेज बंद क्यों है, सरकार इसका जवाब दे. उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि यहां स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा जिसका अभी तक कुछ नहीं किया गया.

पटना: राज्य सरकार की नीतियों से नाराज खिलाड़ियों का आमरण अनशन

मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा आमरण अनशन
मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि 2014 में अंतिम बार खिलाड़ियों के नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन के आधार पर भी अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है. पिछले 5 सालों से खिलाड़ियों की सरकारी नौकरी में नियुक्ति की प्रक्रिया भी बंद है. जिससे खिलाड़ियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी सरकार से मांग है की खिलाड़ियों के लिए जगह की व्यवस्था कराए जहां वह तैयारी कर सकें. साथ ही उन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें जो सरकार की योजनाओं को धरातल पर नहीं ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक आमरण अनशन जारी रहेगा.

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ईटीवी भारत से बात करते बिहार खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी

पटना: खेल कोटा से नियुक्ति की प्रक्रिया बंद होने से नाराज खिलाड़ियों ने आमरण अनशन पर बैठने का फैसला लिया है. आमरण अनशन की शुरुआत बिहार खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी के नेतृत्व में हुई. राज्य में 29 सितंबर को खेल दिवस मनाया जाना है. जिसको लेकर खिलाड़ियों ने आमरण अनशन शुरू किया हैं. अनशन कर रहे खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार की कोई भी योजना धरातल पर नहीं दिख रही है.

धावक अरुण कुमार सैनी की दलील
आमरण अनशन पर बैठे मैराथन धावक अरुण कुमार सैनी ने बताया कि वह 42 किलोमीटर मैराथन के धावक हैं. वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुके हैं. साथ ही राज्य और देश के लिए कई मेडल भी जीता है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि नौकरी मिलेगी. पर, लिस्ट में नाम होते हुए भी उन्हें अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. धावक अरुण कुमार ने बताया कि वह साइकिल की दुकान पर काम करते हैं और उसी हालत में प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेते रहते हैं.

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ईटीवी भारत से बात करते धावक अरुण कुमार सैनी

मृत्युंजय तिवारी ने कहा

आमरण अनशन की अगुवाई कर रहे मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार की नीतियों से नाराज होकर और उनकी नीतियों के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य का खेल के तैयारियों के लिए स्कूल राजेंद्र नगर फिजिकल कॉलेज बंद क्यों है, सरकार इसका जवाब दे. उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि यहां स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा जिसका अभी तक कुछ नहीं किया गया.

पटना: राज्य सरकार की नीतियों से नाराज खिलाड़ियों का आमरण अनशन

मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा आमरण अनशन
मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि 2014 में अंतिम बार खिलाड़ियों के नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन के आधार पर भी अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है. पिछले 5 सालों से खिलाड़ियों की सरकारी नौकरी में नियुक्ति की प्रक्रिया भी बंद है. जिससे खिलाड़ियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी सरकार से मांग है की खिलाड़ियों के लिए जगह की व्यवस्था कराए जहां वह तैयारी कर सकें. साथ ही उन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें जो सरकार की योजनाओं को धरातल पर नहीं ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक आमरण अनशन जारी रहेगा.

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ईटीवी भारत से बात करते बिहार खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी
Intro:राजधानी पटना के राजेंद्र नगर स्थित मोइनुल हक स्टेडियम के गेट पर खिलाड़ियों ने 5 सालों से सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों के कोटा से नियुक्ति की प्रक्रिया बंद होने से नाराज खिलाड़ियों ने आमरण अनशन का शुरुआत किया. राज्य में 29 सितंबर को खेल दिवस मनाया जाना है जिसको लेकर खिलाड़ियों ने आज से आमरण अनशन शुरू किया. खिलाड़ियों का कहना है कि खिलाड़ियों के लिए सरकार कि कोई भी योजना धरातल पर नहीं है. 2020 में टोक्यो में ओलंपिक होना है और ओलंपिक में चयन होने के लिए खिलाड़ियों को तैयारी के लिए को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है.


Body:वैशाली जिला के एक छोटे गांव के मैराथन धावक अरुण कुमार सैनी ने बताया कि वह 42 किलोमीटर मैराथन के धावक है. वह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुके हैं और कई मेडल भी जीत चुके हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने उन्हें वादा किया था कि उन्हें नौकरी मिलेगा और लिस्ट में नाम होते हुए भी उन्हें अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि वह साइकिल की दुकान पर काम करते हैं और उसी हालत में प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेते रहते हैं. उन्होंने बताया कि 2020 में टोक्यो में ओलंपिक होना है और उसमें मैराथन के लिए 2 घंटे 18 मिनट में पूरा करना है. खिलाड़ी इसके लिए तैयारी करें इसके लिए उन्हें उचित भोजन मेडिकल समेत अन्य सुविधा नहीं मिल रही है. सरकार की कोई भी योजना कर्मचारी धरातल पर नहीं दिखा रहे हैं.


Conclusion:इस आमरण अनशन की अगुवाई कर रहे बिहार खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि वह खिलाड़ियों के लिए कुछ मांगों के लेकर सरकार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि कई बार पैदल मार्च निकाला लेकिन सरकार का ध्यान नहीं गया. उन्होंने कहा कि राज्य का खेल के तैयारियों के लिए स्कूल राजेंद्र नगर फिजिकल कॉलेज बंद क्यों है सरकार इसका जवाब दें. साल 2004 से यह बंद पड़ा हुआ है और सरकार ने वादा किया था कि यहां स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा जिसका अभी तक कुछ नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को तैयारी के लिए जगह नहीं मिल रही है और मोइनुल हक अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ियों के लिए तालाबंदी कर दी गई है. उन्होंने कहा कि 2014 में अंतिम बार खिलाड़ियों के लिए नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन के आधार पर भी अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है. पिछले 5 सालों से खिलाड़ियों की सरकारी नौकरी में नियुक्ति की प्रक्रिया भी बंद है जिससे खिलाड़ियों को मुफलिसी में जीना पड़ रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की की खिलाड़ियों के लिए जगह की व्यवस्था कराए जहां वह तैयारी कर सकें और उन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें जो सरकार की योजनाओं को धरातल पर नहीं ला रहे हैं.
Last Updated : Aug 26, 2019, 7:32 AM IST
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