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विशेष: मकर संक्रांति पर जरूर खाएं खिचड़ी, इसका है विशेष महत्व

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Published : Jan 15, 2020, 11:47 AM IST

मान्यताओं के अनुसार सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. वहीं, इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का प्रतीक बताया गया है. बताया जाता है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिती को सामान्य करने के इन चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए.

makar-sankranti
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पटना: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को कई नामों से जाना जाता है और लोग इसे अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं. इस दिन गंगा स्नान और खिचड़ी का खास महत्व होता है. कई जगहों पर इस त्योहार को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है.

मकर संक्रांति के अवसर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर खिचड़ी बनाई जाती है. कहा जाता है कि खिचड़ी खाने से शनि की दशा टलती है और खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है. दरअसल चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और काली दाल को शनि का. वहीं, हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं.

makar-sankranti
खिचड़ी खाने से ग्रहों की स्थिति बनती है मजबूत

क्या है मान्यता?
पौराणिक कथाओं के अनुसार खिलजी के आक्रमण के समय लगातार संघर्ष चलते रहने के कारण नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे. भूमि को बचाने के चक्कर में उनके पास इतना समय नहीं होता था कि भोजन बनाया जा सके. इस कारण वो भूखे रह जाते थे.

इससे परेशान बोकर बाबा गोरखनाथ ने इस समस्‍या का हल निकालने की ठानी. इससे उन्होंने ऐसा हल निकाला कि पेट भी भर जाए और ज्‍यादा समय भी न लगे. तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्‍जी को एक साथ‍ पकाने की सलाह दी.

बाबा गोरखनाथ का बताया गया हुआ ये व्‍यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया. इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था. साथ ही काफी स्‍वादिष्‍ट और त्‍वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था. कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्‍यंजन को खिचड़ी का नाम दिया.

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खिचड़ी है विशेष महत्व

फटाफट तैयार होने वाले इस व्‍यंजन से नाथ योगियों की भूख की परेशानी मिट गई. इसके अलावा वो खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सक्षम हुए. तभी से ही गोरखपुर में मकर संक्रांति के दिन को बतौर विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाते हैं, जो कि अब लगभग पूरे देश में बनाई जाती है.

क्या है खिचड़ी का महत्व?
मान्यताओं के अनुसार सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. वहीं इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का प्रतीक बताया गया है. बताया जाता है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिती को सामान्य करने के इन चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए. इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन अनिवार्य माना गया है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन जो कोई भी व्यक्ति खिचड़ी का सेवन करता है, उसके ग्रहों की स्थिति मजबूत बनती है.

पटना: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को कई नामों से जाना जाता है और लोग इसे अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं. इस दिन गंगा स्नान और खिचड़ी का खास महत्व होता है. कई जगहों पर इस त्योहार को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है.

मकर संक्रांति के अवसर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर खिचड़ी बनाई जाती है. कहा जाता है कि खिचड़ी खाने से शनि की दशा टलती है और खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है. दरअसल चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और काली दाल को शनि का. वहीं, हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं.

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खिचड़ी खाने से ग्रहों की स्थिति बनती है मजबूत

क्या है मान्यता?
पौराणिक कथाओं के अनुसार खिलजी के आक्रमण के समय लगातार संघर्ष चलते रहने के कारण नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे. भूमि को बचाने के चक्कर में उनके पास इतना समय नहीं होता था कि भोजन बनाया जा सके. इस कारण वो भूखे रह जाते थे.

इससे परेशान बोकर बाबा गोरखनाथ ने इस समस्‍या का हल निकालने की ठानी. इससे उन्होंने ऐसा हल निकाला कि पेट भी भर जाए और ज्‍यादा समय भी न लगे. तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्‍जी को एक साथ‍ पकाने की सलाह दी.

बाबा गोरखनाथ का बताया गया हुआ ये व्‍यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया. इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था. साथ ही काफी स्‍वादिष्‍ट और त्‍वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था. कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्‍यंजन को खिचड़ी का नाम दिया.

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खिचड़ी है विशेष महत्व

फटाफट तैयार होने वाले इस व्‍यंजन से नाथ योगियों की भूख की परेशानी मिट गई. इसके अलावा वो खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सक्षम हुए. तभी से ही गोरखपुर में मकर संक्रांति के दिन को बतौर विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाते हैं, जो कि अब लगभग पूरे देश में बनाई जाती है.

क्या है खिचड़ी का महत्व?
मान्यताओं के अनुसार सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. वहीं इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का प्रतीक बताया गया है. बताया जाता है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिती को सामान्य करने के इन चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए. इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन अनिवार्य माना गया है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन जो कोई भी व्यक्ति खिचड़ी का सेवन करता है, उसके ग्रहों की स्थिति मजबूत बनती है.

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विशेष : मकर संक्रांति पर जरूर खाएं खिचड़ी, इसका है विशेष महत्व





पटना: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है.अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को कई नामों से जाना जाता है और लोग इसे अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं. इस दिन गंगा स्नान और खिचड़ी का खास महत्व होता है. कई जगहों पर इस त्योहार को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. 

मकर संक्रांति के अवसर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर खिचड़ी बनाई जाती है. कहा जाता है कि खिचड़ी खाने से शनि की दशा टलती है और खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है . दरअसल चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और काली दाल को शनि का. वहीं, हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं. 

क्या है मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार खिलजी के आक्रमण के समय लगातार संघर्ष चलते रहने के कारण नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे. भूमि को बचाने के चक्कर में उनके पास इतना समय नहीं होता ता कि भोजन बनाया जा सके. इस कारण वह भूखे रह जाते थे. 

इससे परेशान बोकर बाबा गोरखनाथ ने इस समस्‍या का हल निकालने की ठानी. इस उन्होंने ऐसा हल निकाला कि पेट भी भर जाए और ज्‍यादा समय भी न लगे. तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्‍जी को एक साथ‍ पकाने की सलाह दी.

बाबा गोरखनाथ का बताया गया हुआ यह व्‍यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया. इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था. साथ ही काफी स्‍वादिष्‍ट और त्‍वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था. कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्‍यंजन को खिचड़ी का नाम दिया.

फटाफट तैयार होने वाले इस व्‍यंजन से नाथ योगियों की भूख की परेशानी मिट गई. इसके अलावा वह खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सक्षम हुए. तभी से ही गोरखपुर में मकर संक्रांति के दिन को बतौर विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाते हैं. जो कि अब लगभग पूरे देश में बनाई जाती है. 

क्या है खिचड़ी का महत्व

मान्यताओं के अनुसार सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. वहीं इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का प्रतीक बताया गया है. बताया जाता है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिती को सामान्य करने के इ चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए. इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन अनिवार्य माना गया है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन जो कोई भी व्यक्ति खिचड़ी का सेवन करता है, उसके ग्रहों की स्थिति मजबूत बनती है.


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