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इन फलों के बिना छठ का अर्घ्य अधूरा, जानें छठी मैया की पूजा में फलों का महत्व

Chhath Puja 2023 : छठ पूजा में जिस तरह ठेकुआ प्रसाद का महत्व है वैसे ही फलों का भी अपना महत्व है. फलों को दउरा में सजाया जाता है. फलों का चयन ऋतु के अनुसार किया जाता है. कुछ ऐसे भी फल है जिनके बिना अर्घ्य नहीं दिया जाता है. पढ़ें पूरी खबर-

छठ में फल का महत्व
छठ में फल का महत्व
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 18, 2023, 6:36 AM IST

पटना : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाए खाए से शुरू होता है. इस वर्ष 17 नवंबर से छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगी. आज इस जमाने में छठ पर्व को बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ आज पूरे देश और विदेशों में भी मनाया जा रहा है.

फलों का छठ पूजा में विशेष महत्व : चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में कई तरह के प्रसाद बनाये जाते हैं. छठ महापर्व में फलों का भी विशेष महत्व है. पटना के आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि छठ महापर्व में जिस तरह से छठ व्रती ठेकुआ बनाती हैं, ठीक उसी प्रकार फलों का विशेष महत्व है. अर्घ्य देने के लिए में दउरा सजाया जाता है, जिसमें फल-फूल, अक्षत, पान पत्ता, अदरा पात, सुपारी से सजाया जाता है. साथ ही कई ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें रखना बहुत जरूरी होता है.

अनानास फल
अनानास फल

इन फलों के बिना अर्घ्य अधूरा : कुछ फल ऐसे हैं जिसके बिना अरघ देना अधूरा माना जाता है. मनोज मिश्रा ने बताया की केला, सुथनी, आदि, हल्दी, गागर नींबू, ईख, नारियल, पानी सिंघाड़ा, छठ का प्रमुख प्रसाद है. उन्होंने कहा कि जिस भक्त का जैसा समर्थ है, वह ऋतु अनुसार दौरा में और भी फल रख सकते हैं.

कागजी नीबू
कागजी नीबू

गागर नींबू : गागर नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है. इसका आकार बहुत बड़ा होता है. जिस वजह से इसे पशु-पक्षी नहीं खा पाते हैं. लेकिन ये नींबू छठी मईया को विशेष रूप से पंसद है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूप में रखा जाता है.

गन्ने का महत्व
गन्ने का महत्व

ईख : छठी मईया को ईख बहुत प्रिय है. कई लोग ईख को चारों तरफ से छाकर, उसमें पूजा करते हैं. और दौर में गन्ने को काट कर रखा जाता है. मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती हैं. मान्यता पूरा होने पर ईख से आंगन सजाया जाता है. बीच में कोसिया भराई कर विशेष पूजा की जाती है.

सुथनी: सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होता है. यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है जमीन के अंदर होता है. इसलिए सुद्धता का ध्यान रखते हुए सुथनी को जरूर रखते हैं. सुथनी के बिना इस पर्व को अधूरा माना जाता है.

पानी सिंघाड़ा
पानी सिंघाड़ा

पानी सिंघाड़ा : साफ और शुद्ध होने के कारण छठ महापर्व में सिंघाड़ा भी चढ़ाया जाता है. सिघांड़ा लक्ष्मी जी का भी प्रिय फल माना जाता है. इसे चढ़ाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.

नारियल फल
नारियल फल

नारियल : छठ के त्योहार में नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है. छठ पर्व में पवित्रता का बहुत ध्यान रखा जाता है. नारियल शुद्ध फल है और शुद्धता के कारण नारियल का विशेष महत्व है. इसे चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती हैं.

कच्चे केले की घौद
कच्चे केले की घौद

केला : केला भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है. इसमें विष्णु जी का वास होता है. छठी मईया को भी केला बहुत पसंद है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए केला चढ़ाया जाता है. बहुत सारे लोग केला का घौद से भी अर्ध देते हैं.

हल्दी : जमीन के अंदर होती है इसलिए छठ महापर्व में छठी मैया को हल्दी भी काफी प्रिया है. इसलिए दौर में हल्दी भी रखा जाता है. पेड़ वाली हल्दी का विशेष महत्व माना गया है.

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पटना : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाए खाए से शुरू होता है. इस वर्ष 17 नवंबर से छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगी. आज इस जमाने में छठ पर्व को बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ आज पूरे देश और विदेशों में भी मनाया जा रहा है.

फलों का छठ पूजा में विशेष महत्व : चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में कई तरह के प्रसाद बनाये जाते हैं. छठ महापर्व में फलों का भी विशेष महत्व है. पटना के आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि छठ महापर्व में जिस तरह से छठ व्रती ठेकुआ बनाती हैं, ठीक उसी प्रकार फलों का विशेष महत्व है. अर्घ्य देने के लिए में दउरा सजाया जाता है, जिसमें फल-फूल, अक्षत, पान पत्ता, अदरा पात, सुपारी से सजाया जाता है. साथ ही कई ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें रखना बहुत जरूरी होता है.

अनानास फल
अनानास फल

इन फलों के बिना अर्घ्य अधूरा : कुछ फल ऐसे हैं जिसके बिना अरघ देना अधूरा माना जाता है. मनोज मिश्रा ने बताया की केला, सुथनी, आदि, हल्दी, गागर नींबू, ईख, नारियल, पानी सिंघाड़ा, छठ का प्रमुख प्रसाद है. उन्होंने कहा कि जिस भक्त का जैसा समर्थ है, वह ऋतु अनुसार दौरा में और भी फल रख सकते हैं.

कागजी नीबू
कागजी नीबू

गागर नींबू : गागर नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है. इसका आकार बहुत बड़ा होता है. जिस वजह से इसे पशु-पक्षी नहीं खा पाते हैं. लेकिन ये नींबू छठी मईया को विशेष रूप से पंसद है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूप में रखा जाता है.

गन्ने का महत्व
गन्ने का महत्व

ईख : छठी मईया को ईख बहुत प्रिय है. कई लोग ईख को चारों तरफ से छाकर, उसमें पूजा करते हैं. और दौर में गन्ने को काट कर रखा जाता है. मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती हैं. मान्यता पूरा होने पर ईख से आंगन सजाया जाता है. बीच में कोसिया भराई कर विशेष पूजा की जाती है.

सुथनी: सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होता है. यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है जमीन के अंदर होता है. इसलिए सुद्धता का ध्यान रखते हुए सुथनी को जरूर रखते हैं. सुथनी के बिना इस पर्व को अधूरा माना जाता है.

पानी सिंघाड़ा
पानी सिंघाड़ा

पानी सिंघाड़ा : साफ और शुद्ध होने के कारण छठ महापर्व में सिंघाड़ा भी चढ़ाया जाता है. सिघांड़ा लक्ष्मी जी का भी प्रिय फल माना जाता है. इसे चढ़ाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.

नारियल फल
नारियल फल

नारियल : छठ के त्योहार में नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है. छठ पर्व में पवित्रता का बहुत ध्यान रखा जाता है. नारियल शुद्ध फल है और शुद्धता के कारण नारियल का विशेष महत्व है. इसे चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती हैं.

कच्चे केले की घौद
कच्चे केले की घौद

केला : केला भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है. इसमें विष्णु जी का वास होता है. छठी मईया को भी केला बहुत पसंद है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए केला चढ़ाया जाता है. बहुत सारे लोग केला का घौद से भी अर्ध देते हैं.

हल्दी : जमीन के अंदर होती है इसलिए छठ महापर्व में छठी मैया को हल्दी भी काफी प्रिया है. इसलिए दौर में हल्दी भी रखा जाता है. पेड़ वाली हल्दी का विशेष महत्व माना गया है.

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