पटना: चार दिनों तक चलने वले लोक आस्था का महापर्व छठ में छठ पूजा के लोकगीतों का विशेष महत्व है. लोकगीत हमारी संस्कृति को दर्शता है. इस छठ के मौके पर लोक गायक सतेंद्र संगीत ने ईटीवी भारत के माध्यम से कई लोक गीत सुनाया है.
छठ पूजा में लोकगीतों के माध्यम से मिट्टी से जुड़ाव महसूस होता है. हमारी संस्कृति झलकती है. देश, प्रदेश में कोई भी पर्व, त्यौहार हो लोकगीत गाये जाते हैं. ये लोकगीत हमारी सांस्कृतिक भव्यता को दिखाता है.
लोकगायक ने सुनाए कई लोकगीत
लोकगायक सतेंद्र संगीत ने छठ में लोकगीत की महानता के बारे में बताते हुए कहा कि पर्व, त्यौहारों में गाए जाने वाले लोकगीतों से ही रागों का निर्माण हुआ है. पर्व, त्यौहार के दौरान गीत नाद होने से माहौल भक्तिमय रहता है. छठ पूजा के दौरान घर से घठ घाटों तक जाने के समय गीतों के गाने से दूरी का पता नही चलता है. साथ ही उन्होंने इस मौके पर कांचे ही बांस के बहंगिया, बहंगिया लचकत जाए के साथ कई लोकप्रिय छठ गीत सुनाए.
खरना पर तैयार होता है विशेष प्रसाद
बता दें कि गुरुवार को नहाय-खाय के साथ चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत हो गई है. आज शुक्रवार को पर्व का दूसरा दिन है. इस दिन व्रती शाम को खीर और पूरी का विशेष प्रसाद तैयार करती हैं. छठ माईया को इसका भोग लगाने के बाद वो प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसके बाद से व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक निर्जला उपवास पर रहती हैं. सुबह वाले अर्घ्य के बाद पारण होता है.
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