पटना: 12 अप्रैल को बोचहां में मतदान (Voting in Bochaha on April 12) होना है और 16 अप्रैल को परिणाम आ जाएगा. इस एक सीट के रिजल्ट से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. इसके बावजूद सभी दलों ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है. बीजेपी अगर बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) जीत जाती है तो उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 78 हो जाएगी. हालांकि वह पहले से 77 सीटों के साथ बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. वहीं वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) के लिए यह उपचुनाव अस्तित्व की लड़ाई से कम नहीं है.
सभी दलों ने झोंकी ताकत: अभी हाल ही में विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए को सबसे अधिक सीटों पर जीत मिली है. बावजूद आरजेडी को पहले के मुकाबले कई सीटों का फायदा हुआ है. हालांकि उससे पहले विधानसभा की 2 सीटों (तारापुर और कुशेश्वरस्थान) पर हुए उपचुनाव में जेडीयू को जीत मिली थी. इसीलिए आरजेडी ने पूरी ताकत उपचुनाव में लगा दी है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav ने अपने विधायकों को विशेष रुप से चुनाव प्रचार में लगाया था. दोनों तरफ से सीट जीतने की कोशिश है.
बोचहां में 'प्रतिष्ठा की लड़ाई': बोचहां विधानसभा उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वीआईपी को एनडीए से बाहर होने और मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बाहर निकाले जाने के बाद यह चुनाव हो रहा है. मुकेश सहनी ने आरजेडी के बागी रमई राम की बेटी को टिकट दिया है तो एक तरफ बीजेपी और दूसरी तरफ आरजेडी दोनों के लिए मुकेश सहनी ने मुश्किल खड़ी कर दी है. वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का भी कहना है कि बोचहां उपचुनाव में जिस प्रकार से लड़ाई हो रही है, उससे वह दिलचस्प बन गया है. बीजेपी और आरजेडी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गई है तो वहीं मुकेश सहनी का इस चुनाव से लिटमस टेस्ट भी होगा.
बोचहां में जीत का दावा: आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि आरजेडी उम्मीदवार अमर पासवान (RJD candidate Amar Paswan) की किसी से लड़ाई नहीं है. सभी दल वहां दूसरे और तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ रहे हैं. अमर पासवान को सहानुभूति वोट भी मिलेगा. हालांकि, सत्ताधारी जेडीयू और बीजेपी का दावा है कि एनडीए भारी वोटों से उपचुनाव जीतेगा. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि आरजेडी तो पहले भी जीत का दावा करती रही है यहां तक कि हमेशा सरकार बनाने की बात कहती रही है लेकिन जिसके साथ जनता होगी, जीत उसी की होगी. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि जनता जनार्दन एनडीए के साथ है, इसलिए हम लोगों का उम्मीदवार काफी अंतर से जीत हासिल करेगा.
बोचहां का जातिगत समीकरण: बोचहां विधानसभा में मल्लाह, यादव, भूमिहार, मुस्लिम, पासवान, रविदास और कोईरी जातियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. बोचहां विधानसभा क्षेत्र में लगभग तीन लाख मतदाता वोट डालेंगे और उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करेंगे. जानकार कहते हैं कि जातीय समीकरण (Caste Equation in Bochaha) जिस दल के साथ फिट बैठेगा, जीत उसी के हिस्से आएगी. रमई राम बोचहां से 1980 से 2015 तक विधायक रहे हैं और अब उनकी बेटी गीता कुमारी को मुकेश सहनी ने अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. टिकट नहीं मिलने से रमई राम ने आरजेडी छोड़कर वीआईपी की सदस्यता ली है.
मुसाफिर पासवान के निधन से सीट खाली: बोचहां विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुसाफिर पासवान का निधन 24 नवंबर को हो गया था. वो वीआईपी से विधायक थे. पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट गठबंधन में वीआईपी को मिली थी. मुसाफिर पासवान विधायक बने थे. उनके निधन से यह सीट खाली हुई थी. मुसाफिर पासवान का सभी दलों के नेताओं से बेहतर संबंध था. उन्होंने आरजेडी के कद्दावर नेता रमई राम को 11,268 वोटों के मार्जिन से हराया था. इससे पहले मुसाफिर साल 2005 में आरजेडी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे. इस विधानसभा क्षेत्र में 22 प्रखंड में 285 मतदान केंद्र हैं, उसमें 12 अप्रैल को मतदान होना है. 16 अप्रैल को चुनाव परिणाम घोषित होंगे. इस उपचुनाव में आरजेडी ने मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जबकि मुकेश सहनी ने पूर्व मंत्री रमई राम की बेटी गीता कुमारी पर दांव खेला है.
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