पटनाः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur cataract case) मोतियाबिंद कांड मामले में डॉक्टरों पर दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR Against Doctors in Muzaffarpur Cataract case) को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. एसोसिएशन की बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार और सेक्रेटरी डॉ सुनील कुमार की ओर से डॉक्टरों के ऊपर हुई प्राथमिकी का विरोध किया है.
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एसोसिएशन ने मुजफ्फरपुर में पिछले माह ऑपरेशन के बाद कई मरीजों की आंख में जटिलताओं के कारण आंखों को निकालने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. साथ ही कहा कि इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट आए बिना नेत्र चिकित्सकों का नाम प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है.
एसोसिएशन ने कहा कि मुजफ्फरपुर आंख अस्पताल से अल्पकालिक रूप से संबंधित डॉक्टर साहू और अन्य नेत्र चिकित्सक आंखों के ऑपरेशन के लिए योग्यता प्राप्त हैं. उन्हें अनगिनत ऑपरेशन का अनुभव है. एक पाली में कई मरीजों को ऑपरेशन के बाद जटिलताएं, लेकिन अन्य पालियों के सैकड़ों अन्य मरीजों में सफल ऑपरेशन साबित करता है कि ऑपरेशन के बाद ये जटिलताएं चिकित्सकों के ऑपरेशन प्रक्रिया में गलती नहीं होकर संक्रमण के कारण हुई है. ऑपरेशन के उस पाली में प्रवृत्त आई ड्रॉप्स, सलाइन अथवा औजारों के सही ढंग से जीवाणु रहित नहीं होने के कारण भी यह संक्रमण हो सकता है.
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आईएमए ने कहा है डॉक्टरों पर ये प्राथमिकी प्रशासन द्वारा जन आक्रोश से बचने की हड़बड़ी में कराई गई है. इसका बुरा परिणाम सरकार के अंधापन निवारण कार्यक्रम पर पड़ सकता है. आईएमए बिहार और बिहार ऑफथैलेमिक सोसायटी द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय जांच दल इस पूरी घटना की जांच करेगा. आईएमए ने सरकार से आग्रह किया है कि अपूर्ण जांच और सभी पक्षों को सुने बिना कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए.
बता दें कि बीते दिनों मुजफ्फरपुर के मुजफ्फरपुर आई हॉस्पीटल में 65 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद करीब 25 लोगों की आंखों में समस्याएं होने लगी थी. इसके बाद गंभीर संक्रमण के कारण इनमें से अब तक 14 से अधिक मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी थी. वहीं, अन्य करीब तीस की संख्या में लोगों की आंखों की रोशनी प्रभावित हुई है.