पटनाः बिहार में इफ्तार के बहाने लंबे समय से सियासत होता रहा है. इस बार भी इफ्तार पर सियासत शुरू है. रविवार को जदयू के इफ्तार में अचानक जीतन राम मांझी के पहुंचने से राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. कयास लगाया जा रहा है कि आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मांझी के इफ्तार में शामिल होंगे. महागठबंधन खेमे में इसका कितना असर होगा, यह देखने वाली बात होगी.
दावत-ए-इफ्तार में अचानक पहुंचे मांझी
राजधानी पटना में लगातार सियासी इफ्तार का दौर चल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग में इफ्तार देकर इसकी शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री के इफ्तार में कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान पहुंचे थे. हालांकि आरजेडी का कोई बड़ा चेहरा नहीं दिखा. लेकिन कल रविवार को जदयू की इफ्तार पार्टी में जीतन राम मांझी अचानक पहुंच गए और नीतीश कुमार से गले मिले. इस मुलाकात के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है.
नीतीश और राम विलास की मुलाकात
नीतीश कुमार की इफ्तार में बीजेपी का कोई सदस्य नहीं पहुंचा था, क्योंकि बीजेपी की ओर से भी रविवार को ही इफ्तार का आयोजन किया गया था. सुशील मोदी से लेकर बीजेपी के सभी नेता उसी इफ्तार पार्टी में मौजूद थे. लेकिन जदयू के इफ्तार में जीतन राम मांझी के साथ एनडीए के सहयोगी रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान के साथ पहुंचे थे. सबसे बड़ी बात कि इसके बाद रामविलास पासवान ने नीतीश कुमार के सरकारी आवास एक अणे मार्ग पर आधे घंटे से अधिक समय तक नीतीश कुमार के साथ बैठक भी की.
मांझी की इफ्तार पार्टी में जाएंगे नीतीश
रविवार को इन घटनाक्रमों को लेकर सियासी हलचल तेज है और उससे भी अधिक आज जीतन राम मांझी की इफ्तार पार्टी है. नीतीश कुमार उसमें भी शामिल होंगे. ऐसे तो इफ्तार पार्टी रामविलास पासवान के आवास पर भी है और एनडीए के नेता वहां भी दिखेंगे. लेकिन मांझी के आवास पर नीतीश कुमार जब पहुंचेंगे बिहार की सियासी हलचल और बढ़ेगी.
हार के बाद महागठबंधन खेमे में खलबली
देखना दिलचस्प है कि आने वाले समय में बिहार की राजनीतिक समीकरण कितना बदलता है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद महागठबंधन का जिस तरह से सफाया हुआ है, उस से खलबली मची हुई है. बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव भी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू शामिल नहीं हुआ है. अभी बिहार में जो मंत्रिमंडल विस्तार हुआ उसमें बीजेपी और लोजपा को जगह नहीं दिया गई है. कुल मिलाकर देखा जाए तो सियासी हलकों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि बिहार की राजनीति नई करवट ले सकती है.