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कई संस्थाओं के हेड बने IAS अधिकारी, नीतीश पर लगा अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा करने का आरोप

नीतीश सरकार ने एक विधेयक पारित किया है. इसमें बिहार बोर्ड के अध्यक्ष सिर्फ आईएएस ही बन सकते हैं. इसके साथ ही कई संस्थाओं की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारियों को सौंपी गई है. इस फैसले पर दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

पटना
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Published : Aug 14, 2019, 10:06 PM IST

Updated : Aug 14, 2019, 10:15 PM IST

पटना: सीएम नीतीश कुमार प्रदेश के कई विभागों की जिम्मेवारी आईएएस अधिकारियों को सौंपते जा रहे हैं. इस फैसले को लेकर दोनों तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है. बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव इसे एक नया प्रयोग बताया. वहीं, पटना कालेज के पूर्व प्राचार्य एन के चौधरी ने इस नीति को गलत बताया.

एन के चौधरी ने बताया कि सिर्फ एक आईएएस होना ईमानदारी का प्रमाण नहीं है. एक आईएएस कुशल प्रशासक और ईमानदार हो इसकी गारंटी नहीं है. पूरे प्रदेश को ये अधिकारी ही चलाते हैं. क्या इससे प्रदेश की सभी समस्याओं का अंत हो गया है? शिक्षा जगत में तो ऐसे लोगों को लाना ही गलत है. यह नीति ही गलत है.

IAS अधिकारियों के हाथों में कई संस्थाएं

नीतीश कुमार पर लगाया आरोप
बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा कि कुलपतियों की भी नियुक्ति आईएएस को दे देनी चाहिए. इसके साथ ही शिक्षकों का भी काम इन्हीं को दे देना चाहिए. देश में अब तक शिक्षक ही पढ़ाते रहे हैं. लेकिन हालत अभी कैसी है? देश में एक नया प्रयोग तो होना चाहिए. वहीं, राजद विधायक रामानुज प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार नौकरशाहों को जिम्मेदारी देकर सिर्फ अपने मन का काम कराना चाहते हैं.

पटना
ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आईएएस ही होंगे
बता दें कि इस मानसून सत्र में नीतीश सरकार ने एक विधेयक पारित किया है. इस विधेयक के अनुसार बिहार बोर्ड के अध्यक्ष सिर्फ आईएएस ही बन सकते हैं. इसके साथ ही सरकार ने ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट का प्रभार भी एक आईएएस को बनाया है. नीतीश कुमार आईएएस पर ज्याद भरोसा करते हैं ऐसे आरोप पहले भी उन पर लगते रहे हैं.

पटना: सीएम नीतीश कुमार प्रदेश के कई विभागों की जिम्मेवारी आईएएस अधिकारियों को सौंपते जा रहे हैं. इस फैसले को लेकर दोनों तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है. बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव इसे एक नया प्रयोग बताया. वहीं, पटना कालेज के पूर्व प्राचार्य एन के चौधरी ने इस नीति को गलत बताया.

एन के चौधरी ने बताया कि सिर्फ एक आईएएस होना ईमानदारी का प्रमाण नहीं है. एक आईएएस कुशल प्रशासक और ईमानदार हो इसकी गारंटी नहीं है. पूरे प्रदेश को ये अधिकारी ही चलाते हैं. क्या इससे प्रदेश की सभी समस्याओं का अंत हो गया है? शिक्षा जगत में तो ऐसे लोगों को लाना ही गलत है. यह नीति ही गलत है.

IAS अधिकारियों के हाथों में कई संस्थाएं

नीतीश कुमार पर लगाया आरोप
बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा कि कुलपतियों की भी नियुक्ति आईएएस को दे देनी चाहिए. इसके साथ ही शिक्षकों का भी काम इन्हीं को दे देना चाहिए. देश में अब तक शिक्षक ही पढ़ाते रहे हैं. लेकिन हालत अभी कैसी है? देश में एक नया प्रयोग तो होना चाहिए. वहीं, राजद विधायक रामानुज प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार नौकरशाहों को जिम्मेदारी देकर सिर्फ अपने मन का काम कराना चाहते हैं.

पटना
ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आईएएस ही होंगे
बता दें कि इस मानसून सत्र में नीतीश सरकार ने एक विधेयक पारित किया है. इस विधेयक के अनुसार बिहार बोर्ड के अध्यक्ष सिर्फ आईएएस ही बन सकते हैं. इसके साथ ही सरकार ने ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट का प्रभार भी एक आईएएस को बनाया है. नीतीश कुमार आईएएस पर ज्याद भरोसा करते हैं ऐसे आरोप पहले भी उन पर लगते रहे हैं.

Intro:पटना--मुख्यमंत्री नीतीश संस्थानों को आईएएस के हवाले करते जा रहे है। मानसून सत्र में दोनों सदनों में कानून बना कर बिहार बोर्ड को आईएएस के हवाले कर दिया। एन सिन्हा इंस्टीट्यूट भी आईएएस के प्रभार में है। दोनों जगह एकैडमी के लोगों को ही चलाने की जिम्मेवारी दी जाती थी लेकिन नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद लगातार अधिकारियों के हवाले बड़े-बड़े संस्थान किए जा रहे हैं। नीतीश अपने सलाहकार भी पूर्व आईएस को ही बना रहे हैं। सहयोगी बीजेपी के नेता तो कह रहे हैं कि आईएएस को पढ़ाने की भी जिम्मेवारी दे देनी चाहिए तो वही विशेषज्ञ कहते हैं कि आईए एस का मतलब यह नहीं है कि सबसे ज्ञानी और ईमानदार हो गए।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: मानसून सत्र में बिहार विधानसभा में कानून बनाकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष का पद आईएएस के हवाले कर दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पहले भी अधिकारियों पर हद से ज्यादा भरोसा करने का आरोप लगता रहा है । एक के बाद एक एकेडमिक संस्थानों को आईएएस के हवाले करने पर बिहार के शिक्षाविद नाराज हैं। पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो एनके चौधरी का कहना है कि केवल आईएएस होना ही कुशल प्रशासक और ईमानदारी की गारंटी नहीं हो सकती बिहार में एक से एक एकैडमिशियन है और ऐसे लोगों ने ही नीतीश कुमार को आज जिस रूप में है उन्हें तैयार किया है। इसलिए नीतीश कुमार का यह नीति पूरी तरह गलत है।
बाईट--एन के चौधरी, पूर्व प्राचार्य पटना कालेज।
सहयोगी बीजेपी के नेता भी नाराजगी जताते हुए कह रहे हैं इस सरकार को शिक्षक और कुलपति भी आईएएस ही बनाना चाहिए यदि प्रयोग ही होना है तो अच्छा से हो।
बाईट--नवल यादव, बीजेपी विधान पार्षद
वहीं विरोधी दल राजद के विधायक रामानुज प्रसाद का कहना है बिहार के शिक्षाविद कहां जाएंगे। राजद नेता नीतीश कुमार की मंशा पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं की आईएएस के हवाले इसलिए कर रहे हैं कि जो चाहे संस्थान में कर सकें।
बाईट--रामानुज प्रसाद, राजद विधायक।



Conclusion: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में पिछले कुछ सालों में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी रिजल्ट में भी गड़बड़ी हुई थी और टॉपर बनाने में भी खेल हुआ था लेकिन शिक्षाविदों का कहना है कि इसके लिए नीतीश कुमार ही दोषी हैं क्योंकि इन संस्थानों में अपने चाहने वाले अयोग्य लोगों को जिम्मेवारी दी थी और गड़बड़ी इसी कारण हुई यदि योग्य शिक्षाविदों को जिम्मेवारी दी होती तो कभी भी गड़बड़ी नहीं होता। ऐसे नीतीश कुमार का आईएएस पर भरोसा और प्रेम किसी से छिपा नहीं है पूर्व मुख्य सचिव अंजनी सिंह जब रिटायर हुए तो उन्हें अपना सलाहकार बना लिया।
अविनाश, पटना।
Last Updated : Aug 14, 2019, 10:15 PM IST
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