पटना: सीएम नीतीश कुमार प्रदेश के कई विभागों की जिम्मेवारी आईएएस अधिकारियों को सौंपते जा रहे हैं. इस फैसले को लेकर दोनों तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है. बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव इसे एक नया प्रयोग बताया. वहीं, पटना कालेज के पूर्व प्राचार्य एन के चौधरी ने इस नीति को गलत बताया.
एन के चौधरी ने बताया कि सिर्फ एक आईएएस होना ईमानदारी का प्रमाण नहीं है. एक आईएएस कुशल प्रशासक और ईमानदार हो इसकी गारंटी नहीं है. पूरे प्रदेश को ये अधिकारी ही चलाते हैं. क्या इससे प्रदेश की सभी समस्याओं का अंत हो गया है? शिक्षा जगत में तो ऐसे लोगों को लाना ही गलत है. यह नीति ही गलत है.
नीतीश कुमार पर लगाया आरोप
बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा कि कुलपतियों की भी नियुक्ति आईएएस को दे देनी चाहिए. इसके साथ ही शिक्षकों का भी काम इन्हीं को दे देना चाहिए. देश में अब तक शिक्षक ही पढ़ाते रहे हैं. लेकिन हालत अभी कैसी है? देश में एक नया प्रयोग तो होना चाहिए. वहीं, राजद विधायक रामानुज प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार नौकरशाहों को जिम्मेदारी देकर सिर्फ अपने मन का काम कराना चाहते हैं.
बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आईएएस ही होंगे
बता दें कि इस मानसून सत्र में नीतीश सरकार ने एक विधेयक पारित किया है. इस विधेयक के अनुसार बिहार बोर्ड के अध्यक्ष सिर्फ आईएएस ही बन सकते हैं. इसके साथ ही सरकार ने ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट का प्रभार भी एक आईएएस को बनाया है. नीतीश कुमार आईएएस पर ज्याद भरोसा करते हैं ऐसे आरोप पहले भी उन पर लगते रहे हैं.