ETV Bharat / state

Bihar News: पटना में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे हैं सैकड़ों छात्र, पढ़ाई की फीस जुटाने के लिए पढ़ाते हैं ट्यूशन

'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.' कुछ इसी हौसले के साथ सैकड़ों छात्र पटना में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं. इनमें से कई ऐसे भी छात्र हैं, जिनकी माली हालत बेहद खराब है. इसके बावजूद वह हिम्मत नहीं हारते. गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले ये लड़के ट्यूशन पढ़ाकर न केवल अपना गुजारा करते हैं, बल्कि खुद भी पढ़ते हैं ताकि जीवन में ऊंची उड़ान हासिल कर सके.

author img

By

Published : Jan 29, 2023, 12:32 PM IST

Updated : Jan 29, 2023, 1:10 PM IST

सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे छात्र

पटना: बिहार में सरकारी नौकरी की चाहत लिए हर साल सैकड़ों युवा राजधानी पटना आते हैं. बाजार समिति और नया टोला इलाके में रहकर तैयारी करते हैं. इनमें से ज्यादातर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होते हैं. जो अपना खर्च उठाने के लिए छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं. इसके साथ ही अपने पढ़ाई भी जारी रखते हैं. इन युवाओं के मुताबिक लंबे अरसे के बाद सेंट्रल और राज्य स्तर पर वैकेंसी आती है. जिसमें काफी कम सीट रहती है. वहीं राज्य सरकार की वैकेंसी में कई बार परीक्षा के दौरान क्वेश्चन पेपर लीक हो जाते हैं. इससे कई बार मन निराश और हताश हो जाता है.

ये भी पढ़ेंः 67वीं BPSC रिजल्ट में धांधली के आरोप: बोले गुरु रहमान- 'पूछे गए थे गलत प्रश्न'


लॉज में रहकर पढ़ाई करते छात्र: राजधानी पटना के बाजार समिति स्थित इलाके में लॉज में रहने वाले छात्रों से मिलकर उनके बारे में जानने की कोशिश की. तभी मालूम हुआ कि एक ही छोटे से कमरे में 2 छात्र रहते हैं. दोनों अभ्यर्थियों ने बताया कि करीब छह से सात सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में घर वालों ने सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए पैसे भेजे थे. लेकिन घर की आर्थिक हालात कमजोर होने के कारण अब नहीं भेज पाते हैं. इस कारण हमलोगों को खुद के पढ़ाई के खर्च के लिए 2-2 होम ट्यूशन पढ़ाने पड़ते हैं. दोनों छात्रों की पहचान नीरज और रजनीश बताया गया है.


छह साल से तैयारी में जुटे: पूछताछ करने पर नीरज ने बताया कि उनके पिताजी किसान हैं. वह पिछले 6 साल से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है. कई एग्जाम के कुछ पेपर निकालने में सफल हुआ है. लेकिन फाइनल में सिलेक्शन नहीं हो पाया है. उसने बताया कि पिछले साल केंद्र सरकार की सीजीएल परीक्षा में मेंस पेपर में असफल हो गया था. इस बार फिर से प्री पेपर क्वालिफाई किया है और मेंस की तैयारी में जुटा हुआ है. इसके अलावे एनटीपीसी में रिजल्ट निकला. जबकि रिजल्ट के सिर्फ 18 दिन के अंदर ही टाइपिंग टेस्ट के लिए तिथि घोषित कर दी गई. जिसमें वह असफल हो गया. नीरज का कहना था कि अगर टाइपिंग के लिए थोड़ा और समय मिलता है तो बेहतर रहता.

परीक्षा सही समय पर कराने की जताई उम्मीद: इधर दूसरे छात्र नीरज ने बताया कि करीब 8 साल के लंबे अंतराल के बाद बिहार एसएससी की वैकेंसी आई. आयोग ने कहा कि डेढ़ साल के अंदर वैकेंसी कंप्लीट करा लिया जाएगा तब इस परीक्षा से उम्मीद जागी थी. जबकि इसकी शुरुआत ही जब परीक्षा पेपर लीक के कारण कैंसिल हो गई तब फिर से इसपर ग्रहण चढ़ गया. उसने बताया कि इस वैकेंसी को भी कंप्लीट होने में पिछले वैकेंसी के जैसा ही 6 से 8 साल लग जाएंगे. उसके बाद बताया कि अगर इस स्थिति से परीक्षाओं का संचालन होगा तब फिर से अभ्यर्थी टूट जाएंगे.

खाने पीने में होती है काफी परेशानी: इसी बातचीत के दौरान नीरज ने बताया कि एक छोटे से कमरे का 3000 रुपए किराया चुकाना होता है. इसलिए दो लोग एक साथ रहकर कमरा शेयर करते हैं. इसके अलावे खाने पीने का भी अलग ही खर्च है. घर से उतने संपन्न नहीं है कि बार-बार जाकर राशन पानी लेकर आए. ट्यूशन पढ़ाते हैं उसी पैसे से रेंट भी चुकाते हैं, पढ़ाई का खर्च भी निकालते हैं और खाने-पीने का खर्च उसी से हो पाता है. खाना-पीना इतना महंगा हो गया है कि 1 किलो आटा, आधा किलो दाल, 1 किलो आलू, आधा किलो प्याज पर ही जिंदगी जीने की कोशिश करते हैे. चावल भी एक- दो किलो से अधिक नहीं खरीदा जाता. पूरे दिन में मात्र 2 बार खाना बनाकर खाते हैं. कभी दाल चावल बनाते हैं, तो कभी आलू की सब्जी और चावल बनाकर खाते हैं. ज्यादा कभी समय मिला तब सब्जी और रोटी बनाकर खाते हैं. इन खानों के अलावे कभी कोई कभी कोई तीसरा व्यंजन नहीं बन पाता है. इसका सिर्फ एक ही कारण है आर्थिक तंगी. तमाम मुसीबतों से जूझते हुए इस उम्मीद से तैयारी में लगे हुए हैं कि जब सरकारी नौकरी लगेगी तब दिन बदलेंगे लेकिन कब बदलेंगे इसका इंतजार है.

सही समय पर वैकेंसी लाने की मांग: उसके मुताबिक आर्थिक तंगी और नौकरी की वैकेंसी 5 और 8 साल के अंतराल पर आती है. इस कारण दोहरी मार झेलनी पड़ती है. अगर हर साल वैकेंसी आती तब काफी पहले ही कहींं न कहीं नौकरी ज्वाइन कर चुके होते. अभ्यर्थियों का कहना है कि कई एग्जाम में काफी आगे तक निकल चुके हैं. हालांकि अभी फाइनल रिजल्ट का इंतजार है. उन दोनों छात्रों का यहीं कहना है कि वह बिहार सरकार से यही आग्रह करेंगे कि प्रतिवर्ष सरकारी नौकरी की वैकेंसी निकाले और प्रदेश में जो भी परीक्षाएं ली जाए तो उसमें पारदर्शिता अपनाई जाए. इसके साथ ही पेपर को लीक होने से बचाया जाए. क्योंकि ऐसी घटनाओं से उनके जैसे तैयारी करने वाले छात्रों का मनोबल टूटता है.


घर की माली हालत दयनीय: रजनीश ने बताया कि वह भी पटना में लगभग 7 वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. शुरुआत में घर से पैसे मिले लेकिन पिताजी किसान हैं और आर्थिक हालात अच्छे नहीं है. ऐसे में अब अपनी पढ़ाई का खर्च और पटना में रहने का खर्च ट्यूशन पढ़ाकर निकालना पड़ता है. चाहे परीक्षा का समय नजदीक हो या कोई परिस्थिति हो वह ट्यूशन नहीं छोड़ते हैं. क्योंकि इसी से उनका पटना में रहने का गुजर-बसर होता है. इसके साथ ही पढ़ाई का खर्च भी निकलता है. उनलोगों का कहना है कि अधिक ट्यूशन पढ़ा नहीं सकते क्योंकि अपनी पढ़ाई भी करनी होती है. उसने बताया कि हमारे घर में छोटी बहन है. जिसकी शादी भी करनी है. इन्हीं कारणों से वह अपने पिताजी पर बोझ नहीं बनना चाहता है. इस वजह से घर से पैसे और राशन पानी नहीं लाते हैं. ज्यादा घर भी जाना संभव नहीं क्योंकि घर भी मजबूत स्थिति में नहीं है. उसके अनुसार छोटे से कमरे में सिंगल बेड के दो पतले चौकी है. जिसमें एक चौकी से बेड हटाकर खाना बनाया जाता है. तब जाकर हमलोग खा पाते हैं.

प्रश्नपत्र वायरल होने से नाराजगी: रजनीश ने बताया कि लंबे समय के बाद एसएससी की वैकेंसी आई तो बड़ी उम्मीद थी. लगभग 7 वर्षों से तैयारी में लगे हैं. उम्मीद था कि क्वालीफाई कर जाएंगे लेकिन तीसरा शिफ्ट में परीक्षा हुआ और परीक्षा के क्वेश्चन सोशल साइट पर घूमने लगे. जिसके बाद काफी निराश हो गए. उसका कहना है कि जिन लोगों ने प्रश्नपत्र वायरल कराया है वे लोग एग्जाम क्वालीफाई कर जाएंगे. उस छात्र का यह भी कहना था कि बीपीएससी 68 वी की फॉर्म भरे हैं, इसकी तैयारी में लगे हुए हैं.

प्रश्नपत्र वायरल होने से बचाए सरकार: बिहार में जब वह परीक्षा देकर आते हैं और पता चलता है कि परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक हो गया है. उस समय काफी मनोबल टूट जाता है. जबकि फिर सोचते हैं कि सरकारी नौकरी निकाला जाए और फिर से ट्यूशन पढ़ाकर खर्च निकाल कर अपने पढ़ाई का सिलसिला जारी रखते हैं. किसी अन्य राज्य के भी सरकारी नौकरी के 1-2 राउंड के पेपर क्लियर है लेकिन चाहते हैं कि बिहार में ही नौकरी मिल जाए तो बेहतर रहेगा. वह बिहार सरकार से यही गुहार करेंगे कि बिहार में उन जैसे गरीब छात्रों को भी ध्यान में रखकर और प्रदेश के मेधावी छात्रों के हितों को देखते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाएं और क्वेश्चन पेपर वायरल होने की घटनाओं पर लगाम लगाए.

'पटना में लगभग 7 वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. शुरुआत में घर से पैसे मिले लेकिन पिताजी किसान हैं और आर्थिक हालात अच्छे नहीं है. ऐसे में अब अपनी पढ़ाई का खर्च और पटना में रहने का खर्च ट्यूशन पढ़ाकर निकालना पड़ता है. चाहे परीक्षा का समय नजदीक हो या कोई परिस्थिति हो वह ट्यूशन नहीं छोड़ते हैं. क्योंकि इसी से उनका पटना में रहने का गुजर-बसर होता है. इसके साथ ही पढ़ाई का खर्च भी निकलता है'- रजनीश कुमार, छात्र

ये भी पढ़ेंः BPSC Exam: बदले पैटर्न में नेगेटिव मार्किंग के क्या हैं फायदे-नुकसान? एक्सपर्ट से जानें कैसे करें तैयारी

सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे छात्र

पटना: बिहार में सरकारी नौकरी की चाहत लिए हर साल सैकड़ों युवा राजधानी पटना आते हैं. बाजार समिति और नया टोला इलाके में रहकर तैयारी करते हैं. इनमें से ज्यादातर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होते हैं. जो अपना खर्च उठाने के लिए छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं. इसके साथ ही अपने पढ़ाई भी जारी रखते हैं. इन युवाओं के मुताबिक लंबे अरसे के बाद सेंट्रल और राज्य स्तर पर वैकेंसी आती है. जिसमें काफी कम सीट रहती है. वहीं राज्य सरकार की वैकेंसी में कई बार परीक्षा के दौरान क्वेश्चन पेपर लीक हो जाते हैं. इससे कई बार मन निराश और हताश हो जाता है.

ये भी पढ़ेंः 67वीं BPSC रिजल्ट में धांधली के आरोप: बोले गुरु रहमान- 'पूछे गए थे गलत प्रश्न'


लॉज में रहकर पढ़ाई करते छात्र: राजधानी पटना के बाजार समिति स्थित इलाके में लॉज में रहने वाले छात्रों से मिलकर उनके बारे में जानने की कोशिश की. तभी मालूम हुआ कि एक ही छोटे से कमरे में 2 छात्र रहते हैं. दोनों अभ्यर्थियों ने बताया कि करीब छह से सात सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में घर वालों ने सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए पैसे भेजे थे. लेकिन घर की आर्थिक हालात कमजोर होने के कारण अब नहीं भेज पाते हैं. इस कारण हमलोगों को खुद के पढ़ाई के खर्च के लिए 2-2 होम ट्यूशन पढ़ाने पड़ते हैं. दोनों छात्रों की पहचान नीरज और रजनीश बताया गया है.


छह साल से तैयारी में जुटे: पूछताछ करने पर नीरज ने बताया कि उनके पिताजी किसान हैं. वह पिछले 6 साल से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है. कई एग्जाम के कुछ पेपर निकालने में सफल हुआ है. लेकिन फाइनल में सिलेक्शन नहीं हो पाया है. उसने बताया कि पिछले साल केंद्र सरकार की सीजीएल परीक्षा में मेंस पेपर में असफल हो गया था. इस बार फिर से प्री पेपर क्वालिफाई किया है और मेंस की तैयारी में जुटा हुआ है. इसके अलावे एनटीपीसी में रिजल्ट निकला. जबकि रिजल्ट के सिर्फ 18 दिन के अंदर ही टाइपिंग टेस्ट के लिए तिथि घोषित कर दी गई. जिसमें वह असफल हो गया. नीरज का कहना था कि अगर टाइपिंग के लिए थोड़ा और समय मिलता है तो बेहतर रहता.

परीक्षा सही समय पर कराने की जताई उम्मीद: इधर दूसरे छात्र नीरज ने बताया कि करीब 8 साल के लंबे अंतराल के बाद बिहार एसएससी की वैकेंसी आई. आयोग ने कहा कि डेढ़ साल के अंदर वैकेंसी कंप्लीट करा लिया जाएगा तब इस परीक्षा से उम्मीद जागी थी. जबकि इसकी शुरुआत ही जब परीक्षा पेपर लीक के कारण कैंसिल हो गई तब फिर से इसपर ग्रहण चढ़ गया. उसने बताया कि इस वैकेंसी को भी कंप्लीट होने में पिछले वैकेंसी के जैसा ही 6 से 8 साल लग जाएंगे. उसके बाद बताया कि अगर इस स्थिति से परीक्षाओं का संचालन होगा तब फिर से अभ्यर्थी टूट जाएंगे.

खाने पीने में होती है काफी परेशानी: इसी बातचीत के दौरान नीरज ने बताया कि एक छोटे से कमरे का 3000 रुपए किराया चुकाना होता है. इसलिए दो लोग एक साथ रहकर कमरा शेयर करते हैं. इसके अलावे खाने पीने का भी अलग ही खर्च है. घर से उतने संपन्न नहीं है कि बार-बार जाकर राशन पानी लेकर आए. ट्यूशन पढ़ाते हैं उसी पैसे से रेंट भी चुकाते हैं, पढ़ाई का खर्च भी निकालते हैं और खाने-पीने का खर्च उसी से हो पाता है. खाना-पीना इतना महंगा हो गया है कि 1 किलो आटा, आधा किलो दाल, 1 किलो आलू, आधा किलो प्याज पर ही जिंदगी जीने की कोशिश करते हैे. चावल भी एक- दो किलो से अधिक नहीं खरीदा जाता. पूरे दिन में मात्र 2 बार खाना बनाकर खाते हैं. कभी दाल चावल बनाते हैं, तो कभी आलू की सब्जी और चावल बनाकर खाते हैं. ज्यादा कभी समय मिला तब सब्जी और रोटी बनाकर खाते हैं. इन खानों के अलावे कभी कोई कभी कोई तीसरा व्यंजन नहीं बन पाता है. इसका सिर्फ एक ही कारण है आर्थिक तंगी. तमाम मुसीबतों से जूझते हुए इस उम्मीद से तैयारी में लगे हुए हैं कि जब सरकारी नौकरी लगेगी तब दिन बदलेंगे लेकिन कब बदलेंगे इसका इंतजार है.

सही समय पर वैकेंसी लाने की मांग: उसके मुताबिक आर्थिक तंगी और नौकरी की वैकेंसी 5 और 8 साल के अंतराल पर आती है. इस कारण दोहरी मार झेलनी पड़ती है. अगर हर साल वैकेंसी आती तब काफी पहले ही कहींं न कहीं नौकरी ज्वाइन कर चुके होते. अभ्यर्थियों का कहना है कि कई एग्जाम में काफी आगे तक निकल चुके हैं. हालांकि अभी फाइनल रिजल्ट का इंतजार है. उन दोनों छात्रों का यहीं कहना है कि वह बिहार सरकार से यही आग्रह करेंगे कि प्रतिवर्ष सरकारी नौकरी की वैकेंसी निकाले और प्रदेश में जो भी परीक्षाएं ली जाए तो उसमें पारदर्शिता अपनाई जाए. इसके साथ ही पेपर को लीक होने से बचाया जाए. क्योंकि ऐसी घटनाओं से उनके जैसे तैयारी करने वाले छात्रों का मनोबल टूटता है.


घर की माली हालत दयनीय: रजनीश ने बताया कि वह भी पटना में लगभग 7 वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. शुरुआत में घर से पैसे मिले लेकिन पिताजी किसान हैं और आर्थिक हालात अच्छे नहीं है. ऐसे में अब अपनी पढ़ाई का खर्च और पटना में रहने का खर्च ट्यूशन पढ़ाकर निकालना पड़ता है. चाहे परीक्षा का समय नजदीक हो या कोई परिस्थिति हो वह ट्यूशन नहीं छोड़ते हैं. क्योंकि इसी से उनका पटना में रहने का गुजर-बसर होता है. इसके साथ ही पढ़ाई का खर्च भी निकलता है. उनलोगों का कहना है कि अधिक ट्यूशन पढ़ा नहीं सकते क्योंकि अपनी पढ़ाई भी करनी होती है. उसने बताया कि हमारे घर में छोटी बहन है. जिसकी शादी भी करनी है. इन्हीं कारणों से वह अपने पिताजी पर बोझ नहीं बनना चाहता है. इस वजह से घर से पैसे और राशन पानी नहीं लाते हैं. ज्यादा घर भी जाना संभव नहीं क्योंकि घर भी मजबूत स्थिति में नहीं है. उसके अनुसार छोटे से कमरे में सिंगल बेड के दो पतले चौकी है. जिसमें एक चौकी से बेड हटाकर खाना बनाया जाता है. तब जाकर हमलोग खा पाते हैं.

प्रश्नपत्र वायरल होने से नाराजगी: रजनीश ने बताया कि लंबे समय के बाद एसएससी की वैकेंसी आई तो बड़ी उम्मीद थी. लगभग 7 वर्षों से तैयारी में लगे हैं. उम्मीद था कि क्वालीफाई कर जाएंगे लेकिन तीसरा शिफ्ट में परीक्षा हुआ और परीक्षा के क्वेश्चन सोशल साइट पर घूमने लगे. जिसके बाद काफी निराश हो गए. उसका कहना है कि जिन लोगों ने प्रश्नपत्र वायरल कराया है वे लोग एग्जाम क्वालीफाई कर जाएंगे. उस छात्र का यह भी कहना था कि बीपीएससी 68 वी की फॉर्म भरे हैं, इसकी तैयारी में लगे हुए हैं.

प्रश्नपत्र वायरल होने से बचाए सरकार: बिहार में जब वह परीक्षा देकर आते हैं और पता चलता है कि परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक हो गया है. उस समय काफी मनोबल टूट जाता है. जबकि फिर सोचते हैं कि सरकारी नौकरी निकाला जाए और फिर से ट्यूशन पढ़ाकर खर्च निकाल कर अपने पढ़ाई का सिलसिला जारी रखते हैं. किसी अन्य राज्य के भी सरकारी नौकरी के 1-2 राउंड के पेपर क्लियर है लेकिन चाहते हैं कि बिहार में ही नौकरी मिल जाए तो बेहतर रहेगा. वह बिहार सरकार से यही गुहार करेंगे कि बिहार में उन जैसे गरीब छात्रों को भी ध्यान में रखकर और प्रदेश के मेधावी छात्रों के हितों को देखते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाएं और क्वेश्चन पेपर वायरल होने की घटनाओं पर लगाम लगाए.

'पटना में लगभग 7 वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. शुरुआत में घर से पैसे मिले लेकिन पिताजी किसान हैं और आर्थिक हालात अच्छे नहीं है. ऐसे में अब अपनी पढ़ाई का खर्च और पटना में रहने का खर्च ट्यूशन पढ़ाकर निकालना पड़ता है. चाहे परीक्षा का समय नजदीक हो या कोई परिस्थिति हो वह ट्यूशन नहीं छोड़ते हैं. क्योंकि इसी से उनका पटना में रहने का गुजर-बसर होता है. इसके साथ ही पढ़ाई का खर्च भी निकलता है'- रजनीश कुमार, छात्र

ये भी पढ़ेंः BPSC Exam: बदले पैटर्न में नेगेटिव मार्किंग के क्या हैं फायदे-नुकसान? एक्सपर्ट से जानें कैसे करें तैयारी

Last Updated : Jan 29, 2023, 1:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.