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लॉकडाउन के बीच खरीफ फसलों की बुआई के लिए कितना तैयार है बिहार?

लॉकडाउन के बीच देश भर के किसानों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही बिहार में भी किसान परेशान हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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Published : Apr 17, 2020, 12:11 PM IST

पटना: कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसको फैलने से रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन लागू है. इस बीच बिहार में किसानों के लिए गेहूं की कटनी में परेशानी हो रही है. गेहूं की फसल खेतों में पड़े हुए हैं.

हालांकि, केंन्द्र और राज्य सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए कृषि कार्य को लॉकडाउन से मुक्त कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी विभाग की ओर से किसानों को संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

  • कृषि विभाग की ओर से खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य:
    धान 33 लाख हेक्टेयर
    मक्का 4.3 लाख हेक्टेयर
    दलहन 1 लाख हेक्टेयर
    तेलहन 50 हजार हेक्टेयर
    प्रम कुमार कृषि मंत्री
    प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

'विक्रेताओं के पास बीज उपलब्ध'
विभाग के मुताबिक बिहार राज्य बीज निगम के पास तत्काल 65 हजार क्विंटल सामान्य प्रभेद के, जबकि 20 हजार क्विंटल हाइब्रिड धान का बीज उपलब्ध है. इसके अलावा, एक अनुमान के मुताबिक लगभग 4 लाख 10 हजार क्विंटल निजी बीज विक्रेताओं के पास बीज उपलब्ध है. कृषि मंत्री प्रेम कुमार का दावा है कि खरीफ में बीज की कोई कमी नहीं होगी. प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में उर्वरक की भी कोई कमी नहीं है.

किसान परेशान
किसान

सरकार से नहीं मिली कोई मदद
ईटीवी भारत की टीम ने पटना के पास के एक गांव में किसानों से बात की. इस दौरान सबलपुर दियारा के किसानों ने कहा कि अब तक तो सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. अगर सरकार यह दावा करती है, वह सब कुछ दे रहे हैं तो वह हमें नजर आना चाहिए. उन्होंने कहा कि खाद और बीज से लेकर पानी तक की व्यवस्था हमें खुद करनी पड़ती है. अब तक तो सरकार की तरफ से हमें कोई मदद नहीं मिली है.

देखें खास रिपोर्ट

कोरोना वायरस के संक्रमण से खेती प्रभावित
वहीं, सीपीआई एमएल नेता अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि अगर सरकार के पास पूरे संसाधन उपलब्ध हैं तो हर साल घटिया बीज और खाद की किल्लत कैसे हो जाती है. इस बार तो स्थिति बिल्कुल उलट है. ऐसे में सरकार को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन सरकार की कोई कोशिश होती नहीं दिख रही है. खरीफ की बुआई मई महीने के बाद शुरू हो जाती है. सरकार के पास बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है. फिलहाल कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण कृषि पर भी बड़ा असर हुआ है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि सरकार के दावे खरीफ फसलों की बुआई के वक्त कितने सही साबित होते हैं.

पटना: कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसको फैलने से रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन लागू है. इस बीच बिहार में किसानों के लिए गेहूं की कटनी में परेशानी हो रही है. गेहूं की फसल खेतों में पड़े हुए हैं.

हालांकि, केंन्द्र और राज्य सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए कृषि कार्य को लॉकडाउन से मुक्त कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी विभाग की ओर से किसानों को संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

  • कृषि विभाग की ओर से खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य:
    धान 33 लाख हेक्टेयर
    मक्का 4.3 लाख हेक्टेयर
    दलहन 1 लाख हेक्टेयर
    तेलहन 50 हजार हेक्टेयर
    प्रम कुमार कृषि मंत्री
    प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

'विक्रेताओं के पास बीज उपलब्ध'
विभाग के मुताबिक बिहार राज्य बीज निगम के पास तत्काल 65 हजार क्विंटल सामान्य प्रभेद के, जबकि 20 हजार क्विंटल हाइब्रिड धान का बीज उपलब्ध है. इसके अलावा, एक अनुमान के मुताबिक लगभग 4 लाख 10 हजार क्विंटल निजी बीज विक्रेताओं के पास बीज उपलब्ध है. कृषि मंत्री प्रेम कुमार का दावा है कि खरीफ में बीज की कोई कमी नहीं होगी. प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में उर्वरक की भी कोई कमी नहीं है.

किसान परेशान
किसान

सरकार से नहीं मिली कोई मदद
ईटीवी भारत की टीम ने पटना के पास के एक गांव में किसानों से बात की. इस दौरान सबलपुर दियारा के किसानों ने कहा कि अब तक तो सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. अगर सरकार यह दावा करती है, वह सब कुछ दे रहे हैं तो वह हमें नजर आना चाहिए. उन्होंने कहा कि खाद और बीज से लेकर पानी तक की व्यवस्था हमें खुद करनी पड़ती है. अब तक तो सरकार की तरफ से हमें कोई मदद नहीं मिली है.

देखें खास रिपोर्ट

कोरोना वायरस के संक्रमण से खेती प्रभावित
वहीं, सीपीआई एमएल नेता अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि अगर सरकार के पास पूरे संसाधन उपलब्ध हैं तो हर साल घटिया बीज और खाद की किल्लत कैसे हो जाती है. इस बार तो स्थिति बिल्कुल उलट है. ऐसे में सरकार को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन सरकार की कोई कोशिश होती नहीं दिख रही है. खरीफ की बुआई मई महीने के बाद शुरू हो जाती है. सरकार के पास बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है. फिलहाल कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण कृषि पर भी बड़ा असर हुआ है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि सरकार के दावे खरीफ फसलों की बुआई के वक्त कितने सही साबित होते हैं.

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