पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में कई अहम मुद्दे एक के बाद एक फिर से सामने आ रहे हैं. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के कई विधायकों पर गंभीर मामले दर्ज हैं. फिर भी राजनीतिक दल उन्हें टिकट देते हैं और यह सिलसिला जारी है. इस बार निर्वाचन आयोग की सख्ती का कितना असर देखने को मिलेगा. देखिए यह खास रिपोर्ट.
दागी विधायक
वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवारों ने जो नामांकन किया था. उस आधार पर एडीआर की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एडीआर के मुताबिक बिहार में दागी विधायकों के मामले में सबसे आगे राष्ट्रीय जनता दल है. जिसके 41 फीसदी विधायक दागी हैं. इस मामले में दूसरा नंबर कांग्रेस का है जिसके 40% नेताओं पर कोई ना कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है. वहीं जदयू के 38 फीसदी और बीजेपी के 35% नेताओं पर कोई न कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है.
सामाजिक विश्लेषक राजनीतिक दलों को मानते हैं दोषी
इस बारे में राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषक सीधे-सीधे राजनीतिक दलों को दोषी मानते हैं. उनका कहना है कि यह दावा तो सभी पार्टियां करती हैं कि वह किसी दागी को टिकट नहीं देंगे. लेकिन आखिरकार चुनाव आते-आते उनके सारे दावे खोखले साबित होते हैं. हर पार्टी दावा करती है कि मेरे उम्मीदवार दूसरी पार्टी के उम्मीदवार से कम दागी है. लेकिन असलियत यह है कि कोई किसी से कम नहीं है.
सभी पार्टियों में गंभीर मामलों के आरोपी शामिल
रिपोर्ट तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राजीव कुमार कहते हैं कि 2015 में उम्मीदवारों ने जो आंकड़ा चुनाव आयोग के पास दाखिल किया है. उसके मुताबिक सभी पार्टियों में गंभीर मामलों के आरोपी शामिल हैं. यही नहीं यह आंकड़ा पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ता गया है. राजीव कुमार ने बताया कि वर्ष 2005 में जहां महज 39 फीसदी दागी विधायक चुनकर आए थे. वहीं 2010 में यह संख्या बढ़कर 40% हो गई और 2015 में यह आंकड़ा 45% तक पहुंच गया.
दागियों को टिकट नहीं देने को लेकर निर्देश जारी
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राजनीतिक दलों से दागियों को टिकट नहीं देने को लेकर निर्देश जारी किया था. लेकिन उसका कोई असर राजनीतिक दलों पर नहीं पड़ा. हाल में निर्वाचन आयोग ने सख्ती दिखाते हुए सभी उम्मीदवारों को अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं. यह देखने वाली बात होगी कि इस सख्ती का इस बार कितना फर्क पड़ता है.
राजनीतिक दल को दागी उम्मीदवारों से करना चाहिए परहेज
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह समय सीमा जो तय की गई है. उससे वोटर्स को अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने में मदद मिलेगी. आयोग के निर्देश के मुताबिक निर्विरोध उम्मीदवारों और उनके राजनीतिक दलों को भी आपराधिक ब्योरे का विज्ञापन देना होगा. दागी उम्मीदवारों के मामले में सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में राष्ट्रीय जनता दल रहा है. हालांकि राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र कहते है कि किसी भी राजनीतिक दल को दागी उम्मीदवारों से परहेज करना चाहिए और बेहतर कार्यकर्ता को विधायक बनने का अवसर देना चाहिए.