पटना: कोरोना महामारी के दौर में ब्लैक फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसके चलते बिहार सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. बिहार में इस बीमारी से कई लोग ग्रसित हो चुके हैं और रोज इसके मामले सामने आ रहे हैं. ब्लैक फंगस के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह शरीर के बाहरी हिस्से से होकर अंदर प्रवेश कर आंख या मस्तिक में पहुंचकर टिशू को बुरी तरह से डैमेज कर देता है. बिहार सरकार ने इस महामारी के इलाज के लिए चार अस्पतालों को चिन्हित किया है.
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इन अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस इलाज
सरकार के निर्देश के अनुसार सभी अस्पतालों को ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए राज्य और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा. मरीजों के इलाज के लिए RMRI में दवाओं का भंडारण किया गया है. पटना में एम्स, आईजीआईएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज की विशेष व्यवस्था की गई है. वहीं, ब्लैक फंगस मरीजों को एंफोटेरिसिन की दवा मुफ्त में मिलेगी.
कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहर मचा रही है. कोरोना की तबाही अभी थमी भी नहीं थी कि अब एक और नई मुसीबत ने बिहार में दस्तक दिया है. कोरोना महामारी के बाद अब राज्य में 'ब्लैक फंगस' बीमारी के भी मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. जो प्रदेश में महामारी का रूप ले रही है.
''बिहार में ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार ने इसे एपिडेमिक एक्ट के तहत शामिल कर लिया है. अब चिकित्सकों को ग्रसित लोगों के बारे में सरकार को जानकारी देनी होगी और बीमार का इलाज प्रोटोकॉल के हिसाब से करना होगा.''- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार
बिहार में ब्लैक फंगस के 174 मामले
ब्लैक फंगस बीमारी मरीजों की आंखों की रोशनी के साथ-साथ जान तक भी ले रही है. कई राज्यों में इसे महामारी घोषित कर दी गई है. बता दें कि बिहार में ब्लैक फंगस का आंकड़ा बढ़कर 174 पहुंच चुका है.
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क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते है. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.
''अगर किसी को ब्लैक फंगस का लक्षण महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें और टेलीमेडिसिन के बजाय डॉक्टर से मिले. डॉक्टर सबसे पहले इंडोस्कोपिक करने की सलाह देंगे, जिसमें नाक के काले फंगस का पता लगाया जाता है. फिर जहां संक्रमण ज्यादा है, वहां सर्जरी के माध्यम से उसे हटाया जाता है. अगर ब्लैक फंगस लास्ट स्टेज में पता चलता है तो मरीज की मौत होने की संभावना ज्यादा होती है.''- डॉ. अनिल कुमार, उपाधीक्षक, पटना एम्स
क्या हैं लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
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खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.
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