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Etv भारत की नजरों से करें पटना के ऐतिहासिक 'घंटाघर' का दीदार, जानिए सचिवालय का इतिहास

सचिवालय भवन को 'घंटाघर' के नाम से भी जाना जाता है. भवन के बीचों-बीच घड़ी का टॉवर बना हुआ है. इसकी ऊंचाई 198 फीट है. वहीं, सचिवालय भवन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव सहित कई विभागों के मंत्री और आलाधिकारियों का दफ्तर है.

बिहार सचिवालय
बिहार सचिवालय
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Published : Feb 3, 2020, 10:47 PM IST

पटना: देश की ऐतिहासिक धरोहरों में पटना का मुख्य सचिवालय भी आता है, जो अपने गर्भ में आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक के इतिहास को समेटे हुए है. 103 वर्ष पुराना लाल रंग के पत्थरों से बना सचिवालय लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. यही कारण है कि नीतीश सरकार ने इतिहास को करीब से जानने के लिए सचिवालय के द्वार आम लोगों के लिए खोल दिए हैं. ऐसे में ईटीवी भारत घर बैठे आपको इस ऐतिहासिक धरोहर का दीदार करवाने जा रहा है. हमारे कैमरे की निगाह से देखिए, पटना स्थित सचिवालय की खूबसूरती.

सचिवालय भवन को 'घंटाघर' के नाम से भी जाना जाता है. भवन के बीचों-बीच घड़ी का टॉवर बना हुआ है. इसकी ऊंचाई 198 फीट है. वहीं, सचिवालय भवन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव सहित कई विभागों के मंत्री और आलाधिकारियों का दफ्तर है. यहीं से बिहार की समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाओं और प्रदेश के विकास की नींव रखी जाती है.

चलिए घूमते हैं पटना सचिवालय (पार्ट-1)

परिसर में प्रवेश
जैसे ही हम सचिवालय का रुख करते हैं, तो हमें बिहार के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण सिंह की आदमकद प्रतिमा दिखाई देती है. श्री कृष्ण सिंह आजादी के पूर्व से बिहार का नेतृत्व कर रहे थे. आजादी के पहले इन्हें अंग्रेजों ने बिहार का प्रधानमंत्री बनाया था. (आजादी से पहले मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था.)

बिहार शिल्पकला
बिहार शिल्प कला

सचिवालय परिसर में आने के लिए दो सिक्योरिटी गेट हैं, जहां सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. इसके अलावा भवन के अंदर जाने के लिए भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती रहती है. इसके अंदर आम आदमी या किसी भी फरियादी को जाने के लिए पास बनाने का इंतजाम है. सचिवालय भवन के मुख्य पोर्टिको के अंदर प्रवेश करते ही बिहार की शिल्प कला की प्रदर्शनी लगी हुई मिलती है. हाल ही के दिनों में बिहार सरकार ने राज्य से जुड़ी कई ऐतिहासिक हस्तियों की मूर्तियां और चित्र यहां लगाए हैं. खासतौर से बिहार से जुड़े महावीर और गौतम बुद्ध के जीवन काल के चित्रों को भवन के दीवारों पर लगाया गया है.

ऊपर से कुछ ऐसा दिखता है सचिवालय का एंट्री प्वाइंट
ऊपर से कुछ ऐसा दिखता है सचिवालय का एंट्री प्वाइंट

यहां से चलती है बिहार की सत्ता
सचिवालय भवन दो मंजिलों में बना हुआ है. जिनमें कई विभागों के मंत्री और अधिकारियों का दफ्तर है. इसमें संसदीय कार्य मंत्री, संसदीय कार्य सचिव, ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास सचिव, योजना विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग सहित कई और विभागों का दफ्तर है. पहली मंजिल पर बिहार के मुखिया मुख्यमंत्री का दफ्तर है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर बैठते हैं. दफ्तर के सामने मंत्रिमंडल कक्ष है, जहां कैबिनेट की बैठक होती है. मंत्रिमंडल कक्ष के आगे बिहार के उपमुख्यमंत्री का दफ्तर है. इसी कॉरिडोर में वित्त विभाग का ऑफिस है. वहीं, यहां मौजूद मुख्य सचिव के ऑफिस के पास ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल बना हुआ है, जहां दिल्ली या अन्य राज्यों के अधिकारियों की बैठक की जाती है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल के बगल में सभा कक्ष है.

घंटाघर के अंदर का दीदार (पार्ट-2)

घंटाघर का दीदार
180 सीढ़ी चढ़ने पर हम घड़ी वाले टॉवर के ऊपर पहुंच जाते हैं. यहां से सचिवालय और उसके आसपास का नजारा अद्भुत दिखाई पड़ता है. इसके पूरब की ओर राजभवन जो महज 1 किलोमीटर की दूरी पर है, उसे यहां से आसानी से देखा जा सकता है. सचिवालय के मुख्य प्रांगण से राजभवन प्रांगण नाक की सीध में बना हुआ है. सचिवालय के पीछे की ओर विधानसभा और विधान परिषद का परिसर है.

एंट्री करते ही शानदार नजारा
एंट्री करते ही शानदार नजारा

एक नजर सचिवालय के इतिहास पर

  • मुख्य सचिवालय भवन का निर्माण कार्य 1913 में शुरु हुआ.
  • 4 साल तक इस भवन का निर्माण हुआ, जो1917 में बनकर पूरी तरह तैयार हो गया.
  • इस भवन की लंबाई 716 फीट और चौड़ाई 364 फीट है.
  • ऑस्ट्रेलिया के आर्किटेक्ट जोसेफ पी मुनिगस ने इस भवन की संरचना तैयार की थी.
    परिसर में लहराता तिरंगा
    परिसर में लहराता तिरंगा
  • इस आर्किटेक्ट ने देश के कई और ऐतिहासिक भवन का मॉडल तैयार किया था, जिसमें कोलकाता का विक्टोरिया हाउस भी शामिल है.
  • कोलकाता के डेवलपर मार्टिन बर्न ने पटना के मुख्य सचिवालय का निर्माण किया था.
  • सचिवालय में बना सबसे आकर्षक घंटाघर 198 फीट ऊंचा है.

पटना: देश की ऐतिहासिक धरोहरों में पटना का मुख्य सचिवालय भी आता है, जो अपने गर्भ में आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक के इतिहास को समेटे हुए है. 103 वर्ष पुराना लाल रंग के पत्थरों से बना सचिवालय लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. यही कारण है कि नीतीश सरकार ने इतिहास को करीब से जानने के लिए सचिवालय के द्वार आम लोगों के लिए खोल दिए हैं. ऐसे में ईटीवी भारत घर बैठे आपको इस ऐतिहासिक धरोहर का दीदार करवाने जा रहा है. हमारे कैमरे की निगाह से देखिए, पटना स्थित सचिवालय की खूबसूरती.

सचिवालय भवन को 'घंटाघर' के नाम से भी जाना जाता है. भवन के बीचों-बीच घड़ी का टॉवर बना हुआ है. इसकी ऊंचाई 198 फीट है. वहीं, सचिवालय भवन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव सहित कई विभागों के मंत्री और आलाधिकारियों का दफ्तर है. यहीं से बिहार की समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाओं और प्रदेश के विकास की नींव रखी जाती है.

चलिए घूमते हैं पटना सचिवालय (पार्ट-1)

परिसर में प्रवेश
जैसे ही हम सचिवालय का रुख करते हैं, तो हमें बिहार के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण सिंह की आदमकद प्रतिमा दिखाई देती है. श्री कृष्ण सिंह आजादी के पूर्व से बिहार का नेतृत्व कर रहे थे. आजादी के पहले इन्हें अंग्रेजों ने बिहार का प्रधानमंत्री बनाया था. (आजादी से पहले मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था.)

बिहार शिल्पकला
बिहार शिल्प कला

सचिवालय परिसर में आने के लिए दो सिक्योरिटी गेट हैं, जहां सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. इसके अलावा भवन के अंदर जाने के लिए भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती रहती है. इसके अंदर आम आदमी या किसी भी फरियादी को जाने के लिए पास बनाने का इंतजाम है. सचिवालय भवन के मुख्य पोर्टिको के अंदर प्रवेश करते ही बिहार की शिल्प कला की प्रदर्शनी लगी हुई मिलती है. हाल ही के दिनों में बिहार सरकार ने राज्य से जुड़ी कई ऐतिहासिक हस्तियों की मूर्तियां और चित्र यहां लगाए हैं. खासतौर से बिहार से जुड़े महावीर और गौतम बुद्ध के जीवन काल के चित्रों को भवन के दीवारों पर लगाया गया है.

ऊपर से कुछ ऐसा दिखता है सचिवालय का एंट्री प्वाइंट
ऊपर से कुछ ऐसा दिखता है सचिवालय का एंट्री प्वाइंट

यहां से चलती है बिहार की सत्ता
सचिवालय भवन दो मंजिलों में बना हुआ है. जिनमें कई विभागों के मंत्री और अधिकारियों का दफ्तर है. इसमें संसदीय कार्य मंत्री, संसदीय कार्य सचिव, ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास सचिव, योजना विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग सहित कई और विभागों का दफ्तर है. पहली मंजिल पर बिहार के मुखिया मुख्यमंत्री का दफ्तर है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर बैठते हैं. दफ्तर के सामने मंत्रिमंडल कक्ष है, जहां कैबिनेट की बैठक होती है. मंत्रिमंडल कक्ष के आगे बिहार के उपमुख्यमंत्री का दफ्तर है. इसी कॉरिडोर में वित्त विभाग का ऑफिस है. वहीं, यहां मौजूद मुख्य सचिव के ऑफिस के पास ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल बना हुआ है, जहां दिल्ली या अन्य राज्यों के अधिकारियों की बैठक की जाती है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल के बगल में सभा कक्ष है.

घंटाघर के अंदर का दीदार (पार्ट-2)

घंटाघर का दीदार
180 सीढ़ी चढ़ने पर हम घड़ी वाले टॉवर के ऊपर पहुंच जाते हैं. यहां से सचिवालय और उसके आसपास का नजारा अद्भुत दिखाई पड़ता है. इसके पूरब की ओर राजभवन जो महज 1 किलोमीटर की दूरी पर है, उसे यहां से आसानी से देखा जा सकता है. सचिवालय के मुख्य प्रांगण से राजभवन प्रांगण नाक की सीध में बना हुआ है. सचिवालय के पीछे की ओर विधानसभा और विधान परिषद का परिसर है.

एंट्री करते ही शानदार नजारा
एंट्री करते ही शानदार नजारा

एक नजर सचिवालय के इतिहास पर

  • मुख्य सचिवालय भवन का निर्माण कार्य 1913 में शुरु हुआ.
  • 4 साल तक इस भवन का निर्माण हुआ, जो1917 में बनकर पूरी तरह तैयार हो गया.
  • इस भवन की लंबाई 716 फीट और चौड़ाई 364 फीट है.
  • ऑस्ट्रेलिया के आर्किटेक्ट जोसेफ पी मुनिगस ने इस भवन की संरचना तैयार की थी.
    परिसर में लहराता तिरंगा
    परिसर में लहराता तिरंगा
  • इस आर्किटेक्ट ने देश के कई और ऐतिहासिक भवन का मॉडल तैयार किया था, जिसमें कोलकाता का विक्टोरिया हाउस भी शामिल है.
  • कोलकाता के डेवलपर मार्टिन बर्न ने पटना के मुख्य सचिवालय का निर्माण किया था.
  • सचिवालय में बना सबसे आकर्षक घंटाघर 198 फीट ऊंचा है.
Intro:नोट : सचिवालय स्टोरी के नाम से लाइव यू से गया है।
कृपया इस खबर को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाये।


सब हेड...
राजधानी पटना में 100 वर्षों से भी पुराना है मुख्य सचिवालय भवन। ऑस्ट्रेलिया के आर्किटेक्ट ने डिजाइन किया था यह भवन। नीतीश सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए छुट्टी दिन घूमने की की है व्यवस्था।

राजधानी पटना के मुख्य सचिवालय भवन का 103 वर्ष पूरा हो चुका है। देश के ऐतिहासिक भवनों में पटना का मुख्य सचिवालय भवन भी है। इंडो सरसेनिक स्टाइल में या भवन बनाया गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के ऐतिहासिक भवनों हो आम पर्यटकों के लिए खोल दिया है। ईटीवी भारत ने अपने तमाम दर्शकों को इस रिपोर्ट के माध्यम से सचिवालय का भ्रमण करा रहा है।


Body:सचिवालय भवन को घंटाघर से भी जाना जाता है। भगवान के बीचो- बीच घड़ी का टावर बना हुआ है। जिसकी ऊंचाई 198 फीट है। इस भवन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव सहित कई विभागों के मंत्री और अला अधिकारियो का दफ्तर है।

परिसर के प्रांगण में बिहार के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण सिंह की आदमकद प्रतिमा लगी हुई है। श्री कृष्ण सिंह आजादी के पूर्व से हैं बिहार का नेतृत्व कर रहे थे। आजादी के पहले इन्हें अंग्रेजी द्वारा बिहार का प्रधानमंत्री बनाया गया था। आजादी से पहले मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री ही कहा जाता था।

सचिवालय परिसर में आने के लिए दो सिक्योरिटी दरवाजा है जहां सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। इसके अलावा भवन के अंदर जाने के लिए भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती रहती है। इसके अंदर आम आदमी या किसी भी फरियादी को जाने के लिए पास बनाने का इंतजाम है।
सचिवालय भवन के मुख्य पोटीको के अंदर प्रवेश करते ही बिहार की सिर्फ कलाएं का प्रदर्शनी लगा हुआ मिलता है। हाल ही के दिनों में बिहार सरकार ने राज्य से जुड़े कई ऐतिहासिक हस्तियों की मूर्तियां और चित्र लगाए हैं। खासतौर से बिहार से जुड़े महावीर और गौतम बुद्ध के जीवन काल की चित्रों को भवन के दीवारों पर दिखाया गया है। कलाकृतियों में कई अन्य विभूतियों का मूर्ति और चित्र भी लगाया गया है।


Conclusion:सचिवालय भवन दो मंजिल है। निचली मंजिल पर कई विभागों के मंत्री और अधिकारियों का दफ्तर है। इसमें संसदीय कार्य मंत्री, संसदीय कार्य सचिव, ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास सचिव, योजना विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग सहित कई और विभागों का दफ्तर है।
वह पहली मंजिल पर बिहार के मुखिया मुख्यमंत्री का दफ्तर है। जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर बैठते हैं।
दफ्तर के सामने मंत्रिमंडल कक्ष है जिसमें कैबिनेट की बैठक होती है। मंत्रिमंडल कक्ष के आगे बिहार के उपमुख्यमंत्री का दफ्तर है जिसमें सुशील कुमार मोदी बैठते हैं। इसी कोरिडोर रोड में वित्त विभाग का दफ्तर है। पूरे बिहार का पिता से जुड़ा मामला यही निष्पादित होता है।
पहली मंजिल पर है मुख्यमंत्री दफ्तर के दूसरे और मुख्य सचिव का दफ्तर है। मुख्य सचिव के दफ्तर के पास ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल बना हुआ है जिसमें समय-समय पर दिल्ली या अन्य राज्यों से अधिकारियों की बैठक की जाती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल के बगल में सभा कक्ष का निर्माण है जिसमें कई विभागों के बैठक होती है।

180 सीढ़ी चढ़ने पर हम घड़ी वाले टावर के ऊपर पहुंच जाते हैं। यहां से सचिवालय और उसके आसपास का नजारा अद्भुत दिखता है। पूरब की ओर राजभवन 1 किलोमीटर है। सचिवालय के मुख्य प्रांगण से राजभवन का प्रांगण नाक की सीध में बना हुआ है। सचिवालय के पीछे की ओर विधानसभा और विधान परिषद का परिसर है।

सचिवालय का इतिहास...
मुख्य सचिवालय भवन का निर्माण कार्य 1913 में शुरू हुआ। 4 साल काम करने के बाद 1917 में या भवन पूरा हुआ।
इस भवन की लंबाई 716 फीट है।
वहीं भवन की चौड़ाई 364 फीट है।
ऑस्ट्रेलिया के आर्किटेक्ट जोसेफ पी. मुनिगस ने इस भवन की संरचना तैयार की थी।
इस आर्किटेक्ट ने देश के कई और ऐतिहासिक भवन की फीस संरचना तैयार की थी। जिसमें कोलकाता का विक्टोरिया हाउस भी है।
कोलकाता के डेवलपर मार्टिन बर्न पटना के मुख्य सचिवालय का निर्माण किया था।
सचिवालय में बना सबसे आकर्षक - 198 फीट ऊंचा है।
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