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शराबबंदी के बढ़ते मामलों से HC नाराज, सरकार से पूछा- अब तक क्यों लंबित हैं इतने केस

कोर्ट ने नारजागरी जाहिर करते हुए कहा कि पूरे राज्य में शराबबन्दी से संबंधित लंबित मामलों की संख्या 2 लाख से अधिक है. यह नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का गम्भीर मामला है.

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Published : Nov 21, 2019, 2:24 PM IST

पटनाः हाईकोर्ट समेत राज्य की अन्य अदालतों में बड़ी संख्या में शराबबन्दी से सम्बंधित मामले लम्बित होने के कारण पटना हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है. इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने पूछा क्यों लंबित है मामला?
इस मामले पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा कि इतने बड़े पैमाने पर शराबबन्दी से संबंधित मामले राज्य की अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित क्यों हैं. इसमें बड़े पैमाने पर अदालतों के जरिए जमानत भी दी गई है. अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले में स्पष्ट जवाब देने को कहा है.

ये भी पढ़ेंः NRC को लेकर pk ने अमित शाह से पूछा- क्या राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ली गई है राय?

22 नवंबर को दोबारा होगी सुनवाई
कोर्ट ने नारजागी जाहिर करते हुए कहा कि सिर्फ हाईकोर्ट में ही 36 हजार मामले लंबित हैं, जबकि पूरे राज्य में इनकी संख्या 2 लाख से अधिक है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का गम्भीर मामला है. इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को दोबारा होगी.

पटनाः हाईकोर्ट समेत राज्य की अन्य अदालतों में बड़ी संख्या में शराबबन्दी से सम्बंधित मामले लम्बित होने के कारण पटना हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है. इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने पूछा क्यों लंबित है मामला?
इस मामले पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा कि इतने बड़े पैमाने पर शराबबन्दी से संबंधित मामले राज्य की अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित क्यों हैं. इसमें बड़े पैमाने पर अदालतों के जरिए जमानत भी दी गई है. अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले में स्पष्ट जवाब देने को कहा है.

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22 नवंबर को दोबारा होगी सुनवाई
कोर्ट ने नारजागी जाहिर करते हुए कहा कि सिर्फ हाईकोर्ट में ही 36 हजार मामले लंबित हैं, जबकि पूरे राज्य में इनकी संख्या 2 लाख से अधिक है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का गम्भीर मामला है. इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को दोबारा होगी.

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